|
राजनाथ
सुनी किसानों की पीड़ा और बांटा दर्द
उत्तर प्रदेश के किसान ओलावृष्टि और अति वर्षा से फसलों के भारी नुकसान के चलते परेशान हालत में हैं। ऐसे में गृहमंत्री राजनाथ सिंह उनके लिए संकटमोचक की भूमिका में आकर खड़े हो गए। उन्होंने एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में खेतों और किसानों के बीच जाकर नुकसान का खुद आकलन किया और प्रभावित किसानों की पीड़ा भी सुनी। प्रदेश में फसल बर्बादी के कारण किसानों की जान पर बन आई है। अभी तक सैकड़ों लोगांे की मौत हो चुकी है। प्रदेश के प्रभावित किसानों में से 12 लाख, 38 हजार को 550 करोड़ रुपए की राहत राशि बांटी जा चुकी है। जिलों में 1,134 करोड़ रुपए वितरण के लिए भेजे गए हैं। संकट में फंसे किसानों के लिए राजनाथ सिंह किसानों के मसीहा की छवि के रूप में उभरकर सामने आए हैं। उन्हांेने अपने दौरे के दौरान सभी पीडि़त किसानों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिलाया। राजनाथ सिंह का अंतिम दौरा गत 19 अप्रैल को पूर्वी उ. प्र. के चंदौली जिले में हुआ। वहां तेज बरसात और ओले पड़ने से गेहंू, तिलहन और दलहन की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। वहां गृहमंत्री ने किसानों का दर्द सुना और नुकसान की जानकारी ली। उन्होंने वहां किसानों से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आपदा कोष से 506 करोड़ रुपए राज्य सरकार को दिए हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले 50 फीसद फसल बर्बाद होने पर मुआवजा मिलता था, लेकिन केंद्र सरकार ने उसे 33 फीसद कर दिया है और मुआवजे की राशि डेढ गुणा कर दी है। इस मौके पर किसानों ने उनसे राज्य सरकार के नौकरशाहों द्वारा उनके प्रति संवेदनशील नहीं रहने का जिक्र भी किया। इस पर गृहमंत्री ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
राजनाथ सिंह ने गत 16 अप्रैल को सहारनपुर के सरसावा और बदायूं जिले में पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और किसानों से बातचीत की। इससे पूर्व उन्होंने मेरठ और मुजफ्फरनगर के किसानों की सुध ली। उन्होंने कानपुर देहात में भी किसानों के बीच जाकर उनकी व्यथा सुनी।
गृहमंत्री ने किसानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रबल किसान हितैषी बताते हुए कहा कि मोदी जी किसी भी हालत में किसानों का अहित नहीं होने देंगे। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत सभी प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की है कि वे केंद्र सरकार से सहयोग कर किसान को इस संकट से निकालें।
गृहमंत्री ने कहा कि हालांकि प्रधानमंत्री के निर्देश पर पूर्व में कई केंद्रीय मंत्री उ. प्र. में ओलावृष्टि और बरसात से हुए नुकसान का जायजा ले चुके हैं, लेकिन किसानों के प्रति लगाव के चलते वह उनके बीच आने से स्वयं को नहीं रोक सके। वे स्वयं किसान परिवार में जन्मे हैं इसलिए अपना फर्ज मानते हुए उनके बीच आने से खुद को नहीं रोक पाए।
गत 16 अप्रैल को सरसावा हवाई अड्डे पर पहंुचते ही गृहमंत्री नेे गांव भगवानपुर स्थित एक गेहंू के खेत के पास अपना काफिला रुकवाया और सीधे खेत में पहुंच गए और फसल का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सरकार के मानकों पर गेहंू की ऐसी गुणवत्ता खरीद के लिए मान्य नहीं है, लेकिन ओलावृष्टि और असामायिक भयंकर वर्षा ने किसानों की उपज की यह हालत कर दी है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से अनुरोध किया है कि वे ये निर्देश जारी करें कि आपदा प्रभावित सभी राज्यों में खराब हो चुके गेहंू की भी खरीद करानी है ताकि किसानों के नुकसान की भरपाई हो सके। इसके बाद राजनाथ सिंह सरसावा में दयानंद जैन इंटर कॉलेज में आयोजित किसान पंचायत में पहुंचे। वहां उन्होंने अपनी बात कहने से पहले प्रभावित किसानों से उनकी समस्याएं पूछीं। कई किसानों की शिकायत थी कि प्रशासन नुकसान का आकलन करने में ढिलाई और पक्षपात कर रहा है। कुछ किसानों ने फसली ऋण और बिजली के बिल माफी की मांग की तो कुछ ने शिकायत की कि लेखपाल बड़े किसानों को ही ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।
एक किसान ने यहां तक कहा कि सपा समर्थक किसानों की पीडि़तों की सूची में भरमार है। इसके बाद गृह मंत्री ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे ही प्रकृति ने मुसीबत डाली तो उन्हें इसका एहसास था कि किसानों पर भारी विपदा आएगी। उन्होंने कहा कि वे स्वयं उ. प्र. में पले बढ़े और जनता ने उन्हें हमेशा अपना प्यार दिया, इसलिए उन्होंने प्रदेश में निकलना तय किया। राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि प्राकृतिक आपदा सियासत करने का विषय नहीं है। वह यहां सपा, बसपा या कांग्रेस की कमी गिनाने नहीं, बल्कि सेवा और समाज बनाने की आकांक्षा लेकर आए हैं न कि किसी सरकार या प्रशासन की आलोचना करने। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी इस प्राकृतिक आपदा से बहुत आहत हैं। इसके लिए सरकार मुआवजा देते समय खजाने की चिंता नहीं करेगी। प्रधानमंत्री और उन्होंने स्वयं सभी मुख्यमंत्रियों से प्रभावित किसानों को फौरी तौर पर भरपूर मदद के निर्देश दिए हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि उनके आग्रह पर प्रधानमंत्री ने केंद्रीय कृषि मंत्री से कहा है कि वे उनके कृषि मंत्री कार्यकाल के दौरान बनाई गई कृषि आमदनी बीमा योजना को जरूर लागू कराएं। साथ ही गृहमंत्री ने किसानों से अपील की कि वे विपदा की इस स्थिति में धैर्य न खोएं और खुदकुशी न करें। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासनिक अधिकारियों से भी अपील की कि वे पीडि़त किसानों के बीच जाकर उन्हें सांत्वना दें ताकि किसान को अपना जीवन त्यागने को मजबूर न होना पडे़।
उन्होंने मुजफ्फरनगर जिले के खतौली में भी किसानों का हाल जाना। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह के दौरे से आपदा पीडि़त किसानों को राहत मिलने की उम्मीद बढ़ी है। अनुमान के तौर पर सहारनपुर जिले में 21, 310 हेक्टेयर गेहंू और 4,552 हेक्टेयर आम की फसल का नुकसान हुआ है। पीडि़त 94 हजार किसानों को करीब 35 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा जाना है। शासन से इस जिले को अभी तक तीन करोड 42 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं। प्रदेश के कारागार मंत्री बलराम सिंह यादव ने गत 18 अप्रैल को करीब 1200 किसानों को राहत राशि के चेक प्रदान किए। उन्होंने कहा कि 30 करोड़ रुपया जल्द ही जिले को मिल जाएगा।
प्रस्तुति : सुरेंद्र सिंघल
टिप्पणियाँ