|
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह श्री किस्मत कुमार ने कहा कि डॉ़ आंबेडकर ने अपने मान-सम्मान की चिंता किए बगैर समाज में फैलीं कुरीतियों को मिटाने का भरसक प्रयास किया। छुआछूत के कारण उन्हें बहुत अपमान झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपना धैर्य न खोकर उच्च शिक्षा ग्रहण की और दुनिया के महान लोकतंत्र की गाथा अपने हाथों से लिखी। उन्हें वंचित नेता के तौर पर ही देखा जाता रहा है, जबकि उनका जीवन इससे कहीं ऊपर और प्रेरणादायक रहा है। शिक्षा में अग्रणी होने के बाद भी उन्हें समाज में वह सम्मान नहीं मिला। यदि डॉ़ आंबेडकर एक सामान्य व्यक्ति होते तो कब के टूट गए होते, लेकिन उन्होंंने देश का हित कभी नहीं छोड़ा। उनके द्वारा दी गई आरक्षण की परिभाषा स्पष्ट थी। जातिगत आरक्षण का एक व्यक्ति तब तक हकदार है जब तक कि वह हिन्दू धर्म में है। यदि वह अन्य मत-पंथ में जाता है तो उसका आरक्षण पर अधिकार स्वत: ही समाप्त हो जाता है। इसलिए डॉ़ आंबेडकर को मात्र एक संविधान निर्माता या वंचित नेता के तौर पर ही नहीं, बल्कि हिन्दू समाज के संरक्षक और देशभक्त के तौर पर जानना जरूरी है।
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त जिला सत्र न्यायाधीश जे़ एल. गुप्ता ने कहा कि डॉ़ आंबेडकर को समाज सुधारक और देशभक्त के रूप में देखा जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि थीं दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की साध्वी रुकमणी। ल्ल
टिप्पणियाँ