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बिजनौर (उ़ प्र.) के नूरपुर स्थित सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर के प्रांगण में 5 अप्रैल को पाञ्चजन्य के पाठकों का सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में हिन्दू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र बैस ने कहा कि पाञ्चजन्य ने हमेशा से ही सत्य को प्रकाशित किया है। भारत प्रकाशन (दिल्ली) लि. के बिजनौर प्रतिनिधि शुभम वालिया ने गो, गंगा और बेटी की रक्षा करने का संकल्प लेने का आह्वान किया। इस अवसर पर पाठकों ने पाञ्चजन्य के पूर्व सम्पादक श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करने पर भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में हिन्दू जागरण मंच के जिला महामंत्री नवीन कुमार हिमांशु, धर्मवीर शास्त्री, श्याम जी महाराज आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री भीलचन्द ने की। -प्रतिनिधि
छोड़ दो मैकाले और मार्क्स की मानसिकता
अम्बाला (हरियाणा) में 5 मार्च को हिन्दी प्रचार समिति ने एक गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए भारतीय शिक्षा नीति आयोग के अध्यक्ष श्री दीनानाथ बत्रा ने कहा कि भारत के चार उच्च न्यायालयों में हिन्दी में कार्य करने को प्राथमिकता दी जाती है। वहां बहस से लेकर सभी कार्य हिन्दी में पूर्ण किए जा सकते हैं। परन्तु हरियाणा उच्च न्यायालय में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? इस कार्य के लिए हरियाणा के बुि़द्धजीवियों और न्याय व्यवस्था से जुड़े लोगों को संघर्ष करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस देश और संस्कृति ने अपनी भाषा से नाता तोड़ा है वे सभी देश विकास से भी दूर चले गए हैं। उन्हें आज भी गरीबी से मुक्ति नहीं मिल पाई। इसके विपरीत जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, इस्रायल जैसे देश हैं, जिनकी लगभग साढ़े सात सौ कम्पनियों ने अपनी भाषा के बलबूते ही तकनीक व विकास में नए आयामों को स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने हम भारतीयों की मानसिकता को बदलने के लिए ही अंग्रेजी का मकड़जाल बुना था, जिसमें हम आज तक फंसे हुए हैं। हमें मैकाले व मार्क्स के मानस से बाहर आना होगा जिसने हमारे मस्तिष्कों पर कब्जा किया हुआ है। साहित्यकार व विद्वान डॉ़ प्रदीप शर्मा 'स्नेही' ने भी गोष्ठी को संबोधित किया। गोष्ठी की अध्यक्षता किरण आंगरा ने की। ल्ल अभिनव
इसराणी स्मृति व्याख्यानमाला सम्पन्न
पिछले दिनों भोपाल में श्री उत्तमचंद इसराणी स्मृति व्याख्यानमाला आयोजित हुई। इसके एक सत्र का विषय था 'डॉ़ हेडगेवार : एक शाश्वत विचार।' इस विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक प्रो़ राकेश सिन्हा ने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने जो बीज बोया था, अब वह वट वृक्ष बन गया है। उन्होंने कभी भी सम्बंधों के नाम पर राष्ट्रीय विचारधारा से समझौता नहीं किया। संघ को वास्तव में समझना है तो संघ में आना होगा। उन्होंने संघ के वर्धा शिविर का उदाहरण देते हुए बताया कि उन दिनों गांधी जी हरिजन आंदोलन चला रहे थे। एक दिन वे जमनालाल बजाज के साथ बिन बुलाए ही शिविर में पहुंच गए। जब उन्होंने स्वयंसेवकों से उनकी जाति पूछी तो उन्होंने अपने को केवल हिन्दू बताया। बाद में ड़ॉ. हेडगेवार की अनुमति मिलने पर उन स्वयंसेवकों ने अपनी जाति बताई। गांधी जी यह जानकर स्तब्ध रह गए कि वहां विभिन्न जातियों से आने वाले स्वयंसेवक बिना भेदभाव के एक साथ भोजन कर रहे हैं, एक साथ रह रहे हैं। ल्ल प्रतिनिधि
लखनऊ और डिब्रूगढ़ में भव्य पथ संचलन
लखनऊ में 5 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने विशाल पथ संचलन निकाला। पथ संचलन लखनऊ के चार अलग-अलग स्थानों से शुरू होकर परिवर्तन चौक पर संगम हुआ। संचलन में शामिल दो हजार से अधिक स्वयंसेवकों का जगह-जगह पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया। घोष के साथ दो कि.मी. लंबे इस पथ संचलन में स्वयंसवेक अनुशासित ढंग से कदमताल करते हुए चल रहे थे। इस दौरान स्वयंसेवकों ने एकता व राष्ट्रीयता का संदेश दिया।
डिब्रूगढ़: इसी तरह का एक अन्य संचलन डिब्रूगढ़ में भी हुआ। शहर के मध्य स्थित मारवाड़ी हिन्दी हाई स्कूल के प्रांगण से यह संचलन शुरू हुआ और शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए विवेकानंद केंद्रीय विद्यालय के प्रांगण में पहुंचकर समाप्त हुआ। यहां एक सभा हुई, जिसको उत्तर-पूर्व के संघचालक श्री असीम कुमार दत्त, कोंकण प्रान्त (महाराष्ट्र) के प्रान्त प्रचारक श्री सुमन राम शेखर, उत्तर असम के शारीरिक प्रमुख श्री अमरजीत दास आदि ने सम्बोधित किया।
-डिब्रूगढ़ से मनोज पाण्डे के साथ प्रतिनिधि
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