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असम के कोकराझार और शोणितपुर में बोडो आतंकियों द्वारा पिछले दिनों वनवासियों पर किए गए हिंसक हमले में मरने वालों की संख्या 80 से अधिक पहुंच गई। वनवासियों ने अपने बचाव में कार्रवाई करते हुए बोडो आतंकियों पर हमला बोल दिया। हिंसा और तनाव को देखते हुए केन्द्र सरकार ने बोडो आतंकियों का सफाया करने का अभियान छेड़ दिया है। सेना के हेलीकॉप्टर आतंकियों क ी तलाश में जुट गए हैं। इस पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी गई है।
गत 23 दिसम्बर की रात बोडो आतंकियों ने वनवासी समाज को निशाना बनाकर उन पर हमला बोल दिया था। इस हमले के बाद वनवासियों ने भी 24 दिसम्बर को शोणितपुर में आतंकियों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया और हिंसा भड़क गई। इस बीच पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में तीन वनवासियों की मौत हो गई। हिंसा के कारण हजारों की संख्या में वनवासियों ने सुरक्षित ठिकानों के लिए पलायन कर दिया।
बोडो आतंकियों की कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों के पांच हजार जवानों को तत्काल असम भेज दिया गया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वयं असम जाकर हालात का जायजा लिया। इस संबंध में गृहमंत्री ने थल सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग को आतंकियों के विरुद्ध कड़ी नीति अपनाने को कहा है।
वहीं विदेश मंत्रालय से भूटान व म्यांमार से संपर्क कर हमले के बाद उन देशों में छिपने वाले आतंकियों को तलाश करने के लिए कहा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकी कार्रवाई को कायरतापूर्ण करार देते हुए पीडि़त परिवारों के लिए आर्थिक मदद की घोषणा की। प्रधानमंत्री सहायता कोष से मृतक के परिवार वालों को 2-2 लाख रुपए एवं घायलों को 50-50 हजार रुपए की मदद दी जाएगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी असम में हुई निर्दोषों की नृशंस हत्या की कड़ी भर्त्सना की है। ल्ल प्रतिनिधि
सरकार से की आतंकियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग
बोडो आतंकियों द्वारा कोकराझार में हुई वनवासियों की नृशंस हत्या की जनजातीय धर्म संस्कृति सुरक्षा मंच, गुवाहाटी ने कड़े शब्दों में निंदा की। मंच के अध्यक्ष बी. बी. जमातिया ने पीडि़त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार तत्काल पीडि़त परिवारों के लिए चिकित्सा, भोजन-पानी, कपड़े और रहने की व्यवस्था कराए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह वनवासियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करे। साथ ही धार्मिक संस्थाओं से मांग की गई कि वे इस घटना की गंभीरता को देखते हुए इस क्षेत्र और समाज के लोगों की मदद के लिए आगे आएं। मंच द्वारा राज्य सरकार से मांग की गई कि वनवासियों की हत्या करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
देश की सीमा पर चौकसी की गई कड़ी
देश से सटी सीमाओं पर केन्द्र सरकार ने खुफिया रपट के बाद सैन्य गश्त बढ़ा दी है। भारत-नेपाल एवं भारत-भूटान सीमा पर आतंकी गतिविधि रोकने के विशेष आदेश दे दिए गए हैं।
केन्द्र सरकार के इस आदेश के बाद से सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी)को सिरे से मजबूत करते हुए बटालियन की संख्या में वृद्धि की गई है। इन क्षेत्रों में बटालियनों की संख्या 62 से बढ़ाकर 73 कर दी गई है। सूत्रों की मानें तो 5 नई बटालियनों का प्रशिक्षण प्रगति पर है। भारत की पड़ोसी देशों से लगती सीमा देश की सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है, इन पर जरा सी ढील भी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।
भारत के विरुद्ध किसी भी गतिविधि को रोकने हेतु सिलिगुड़ी, गुवाहाटी एवं कुछ अन्य स्थानों पर एसएसबी को विशेष जिम्मा सौंपा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत-नेपाल एवं भारत-भूटान क्षेत्र में देश विरोधी गतिविधियों का प्रमाण कई बार खुफिया रपट में मिला था।
पश्चिम में बंगाल, सिक्किम, असम, अरुणाचल, बिहार, उ. प्र. और उत्तराखंड आदि राज्यों से सटी देश की सीमाओं पर एसएसबी की तैनाती है। गौरतलब है कि एसएसबी ने हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी रपट में अधिकारियों को चौंकाने वाले तथ्य प्रस्तुत किए। विभिन्न अभियानों के तहत एसएसबी ने भारत की सीमा से अवैध नकली मुद्रा, विस्फोटक सामग्री, नशीले पदार्थ तथा आतंकी तत्व पकड़े हैं। ल्ल बासुदेब पाल
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