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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों और सुशासन का जादू झारखंड में स्पष्ट दिखाई दिया। उनके आह्वान पर झारखंड की जनता ने भाजपा पर विश्वास जताते हुए उसे बहुमत देकर यह स्पष्ट कर दिया कि यहां के लोग एक सशक्त और स्थायी सरकार चाहते हैं। झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 37 और उसके सहयोगी दल एजेएसयू (ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन) ने पांच सीटों पर जीत प्राप्त की है। झामुमाो ने वर्ष 2009 में 18 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि इस बार इसके 19 प्रत्याशी जीते हैं। वहीं कांग्रेस महज छह सीटें ही जीत सकी। राजद का खाता भी राज्य में नहीं खुला। भाजपा की जीत के बाद राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव की बोलती बंद हो गई है। नीतिश कुमार को भी यह अहसास हो गया है कि झारखंड में अब उनके लिए कुछ नहीं बचा है। झारखंड सरकार में मंत्री रहीं अन्नपूर्णा देवी और सुरेश पासवान को अपने ही विधानसभा क्षेत्र में हार का मुंह देखना पड़ा। बिहार की तरह झारखंड में भी भाजपा का विजय रथ रोकने की राजद, जदयू और कांग्रेस की रणनीति यहां कामयाब नहीं हो सकी। झामुमो ने बिना किसी गंठबंधन के ही चुनाव लड़ा था। भाजपा की इस जीत ने विपक्षियों को जबरदस्त निराश किया है। झारखंड में तीन बार मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा, जो मुख्यमंत्री की कुर्सी के प्रबल दावेदारों में से एक थे, 10 हजार से ज्यादा मतों से हारे।
संभावना है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की तर्ज पर गैर वनवासी नेता को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाए। जमशेदपुर पूर्व से जीत दर्ज करने वाले भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास को मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक इस मामले पर तस्वीर कुछ साफ नहीं हुई है।
अपराध, भ्रष्टाचार और नक्सली उग्रवाद को लेकर सुर्खियों रहने वाले झारखंड की जनता इस बार स्थायी सरकार चाहती थी उसने मोदी पर विश्वास जताया और झारखंड में भाजपा के पक्ष में जमकर मतदान किया। झारखंड में चार पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, मधु कोड़ा, अर्जुन मुंडा और हेमंत सोरेन को (एक स्थान पर)यहां की जनता ने नकार दिया। झारखंड में जीतने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव सह प्रभारी भूपेंद्र यादव के साथ त्रिवेंद्र सिंह रावत को झारखंड भाजपा का प्रभारी बनाया और चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी। रावत ने कहा कि हमने इस भ्रम को तोड़ा है कि क्षेत्रीय दल ही झारखंड में ज्यादा प्रभावी हैं। भाजपा की सबसे बड़ी सफलता यह रही कि उसने झामुमो के गढ़ रहे संथाल परगना क्षेत्र में उसे कड़ी मात दी। दुमका से मोर्चे के मुखिया हेमंत सोरेन को भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस सीट पर झामुमो का पिछले 35 वर्षों से कब्जा था। दुमका सीट पर सोरेन को मात देने वाले झारखंड में भाजपा के वनवासी एवं ईसाई प्रत्याशी लुईस मरांडी ईसाई और मुस्लिम मतों को भी अपनी तरफ खींचने में कामयाब रहे। हालांकि दुमका से हारने के बाद भी सोरेन बारहट में भाजपा के प्रत्याशी हेमलाल मुरमू को हराने में कामयाब रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में नौ रैलियां की थीं। झारखंड भाजपा के अध्यक्ष के भूपेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमें 50 सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, लेकिन यह पहला मौका है कि जबकि राज्य में पहली बार कोई गठबंधन पूर्ण बहुमत के साथ जीत दर्ज करने में कामयाब हुआ है। नई सरकार में भाजपा पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। हम कांग्रेस, झामुमो और राजद द्वारा फैलाए गए भ्रष्टाचार से लोगों को निजात दिलाएंगे। इसमें शक नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी का झारखंड की तरक्की पर विशेष ध्यान रहने वाला है। -आभा भारती
विधानसभा चुनाव-2014
कुल स्थान-81
पार्टी सीटें
भाजपा 37
एजेएसयू 05
झामुमो 19
झाविमो 08
कांग्रेस व सहयोगी 06
बसपा 01
अन्य 05
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