|
अलगाववादियों के अतिरिक्त सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस तथा कांग्रेस के विरोध के पश्चात भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन पर भाजपा की श्रीनगर में सफल रैली ने कई नेताओं को आश्चर्यचकित कर दिया है और वह अनाप-शनाप भाषा बोलने लगे हैं। इनमें मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. सैफुद्दीन सोज भी शामिल हैं।
भाजपा की इस चुनावी रैली को असफल बनाने के लिए पाकिस्तान समर्थित सैयद अली शाह गिलानी के साथ मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तथा कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कई प्रयत्न किए और कश्मीरियों की भावनाएं उभारते हुए कहा कि वह इस समारोह से दूर रहे हैं, श्री मोदी की रैली से उनकी स्वतंत्रता तथा अधिकार प्रभावित होंगे। बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग रैली में शामिल हुए। ऐसे में रैली में लोगों को जाने से मना करने वाले तमाम नेता हैरान और परेशान हैं आखिर यह हुआ तो हुआ कैसे?
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक कह दिया कि रैली में भीड़ दिखाने के लिए लोगों को जम्मू से लाया गया था और अलगाववादी नेता सज्जाद लोन ने अपने समर्थक इस रैली में भेजे थे। जिस पर लोन ने उमर अब्दुल्ला के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और शेख परिवार पर कश्मीरियों के हितों के साथ खिलवाड़ करने के कई आरोप भी लगाए।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रो. सैफुद्दीन सोज ने बेवजह कहा कि मोदी की रैली में मात्र ढाई हजार लोग शामिल हुए, जबकि वास्तविकता यह है कि 'शेर ए कश्मीर' स्टेडियम लोगों से खचाखच भरा था। स्टेडियम के बाहर भी लोग खड़े थे। लोगों को रैली में आने से रोकने के लिए रास्ते में कई जगह बाधाएं भी उत्पन्न की गईं लेकिन बावजूद इसके रैली में जबरदस्त भीड़ जुटी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में संवेदनशील विषयों को लेकर कोई बात नहीं कही। उन्होंने अधिकतर बातें विकास के संबंध में कहीं। उन्होंने कहा कि अभी तक कश्मीर में राजनेताओं ने बहुत से तरीके अपनाकर सिर्फ लोगों का शोषण किया है लेकिन वे विकास से कश्मीर के लोगों का दुख दूर करना चाहते हैं, जिसके लिए भाजपा को बहुमत की सरकार बनाने का अवसर दिया जाए। वह पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस विचार को पूरा करना चाहते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत को अपनाकर कश्मीर को विकास के मार्ग पर लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र से जो राशि कश्मीर की जनता के लिए भेजी जाती है उसका राज्य में दुरुपयोग होता रहा है। कुछ एक परिवार समृद्ध बन गए हैं जिन्होंने इस राशि को एक प्रकार से लूटा है।
प्रधानमंत्री ने जम्मू के पास स्थित विजयपुर-राया में भी बड़े जनसमूह को संबोधित किया और कहा कि एके-47 राइफल की नहीं बल्कि ईवीएम द्वारा दिए जाने वाले मत की शक्ति कहीं अधिक है। आज जिन युवकों के हाथ में लैपटॉप और एंड्रायड फोन होने चाहिए उनके हाथों में असलहे थमा दिए गए हैं। इन परिस्थितियों से राज्य को बाहर निकालना हमारी प्राथमिकता होगी। ल्ल विशेष प्रतिनिधि
मोदी के खिलाफ अपशब्द के लिए माफी मांगी
आखिरकार तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के खिलाफ अपशब्द कहने पर माफी मांग ली है। पहले खेद जताने से भी इंकार कर रहे बनर्जी ने गत 10 दिसंबर को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री श्री शास्त्री का अपमान करना उनकी मंशा नहीं थी। उन्होंने जो कुछ कहा वह राजनीतिक मंच से कहा गया था। वह एक तरह से वह प्रतिक्रिया थी। यदि उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची तो वह खेद जताते हैं।
उल्लेखनीय है कि बनर्जी ने एक रैली में मोदी के लिए अपमानजनक शब्द प्रयोग किए थे। साथ ही पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह पर टिप्पणी करते हुए लाल बहादुर शास्त्री के लिए भद्दी भाषा इस्तेमाल की थी। शुरुआत में बनर्जी माफी मांगने से बच रहे थे लेकिन भाजपा सांसद किरीट सोमैया की ओर से लाए गए निंदा प्रस्ताव और सरकार की ही नहीं, विपक्षी दलों की तरफ से भी बढ़े दबाव के बाद वे झुक गए। स्वयं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि माफी मांगने से कोई छोटा नहीं होता, लेकिन अगर अपशब्द कहे गए हैं तो सांसदों के लिए यह उचित आचरण नहीं माना
जा सकता।
कल्याण सपा प्रमुख मुलायम सिंह के बयान के बाद पूरी तरह नरम पड़ गए। मुलायम ने कहा कि सांसदों से यह अपेक्षा की जाती है कि उनका आचरण सही होगा। राजनीतिक रूप से विरोध हो सकता है लेकिन अपशब्द बर्दाश्त नहीं किए
जा सकते। ल्ल प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ