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13 दिसम्बर, 2001 को आतंकियों ने देश की संसद पर एके 47 और ग्रेनेड से हमला किया था जिसमें 9 जवानों की जान गई थी और 30 लोग घायल हुए। इस आतंकी हमले को 13 वर्ष पूरे हो रहे हैं। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले बलिदानियों के परिजन केन्द्र में नई सरकार को आतंकवाद के खात्मे के लिए दृढ़प्रतिज्ञ मानते हैं। इनकी मांग है कि अफजल और कसाब जैसे आतंकियों को वर्षों तक जेल में रखने की बजाय उन्हें तुरंत फांसी पर लटका देना चाहिए। संसद की सुरक्षा में इन लोगों की बहादुरी के चलते ही उस समय वहां उपस्थित उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से लेकर अन्य मंत्री व सांसदों तक आतंकी नहीं पहंुच सके थेऔर जांबाजों ने उससे पहले ही आतंकियों को ढेर कर दिया था। संसद हमले के बलिदानियों की 13वीं पुण्यतिथि पर दिल्ली पुलिस के हवलदार बलिदानी बिजेन्दर सिंह की पत्नी जयवती का कहना है कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से उन्हें बहुत उम्मीदें हैं।
संसद हमले के बलिदानी दिल्ली पुलिस के उपनिरीक्षक नानकचंद के पुत्र इन्द्रजीत का कहना है कि बलिदानियों का परिवार आतंकियों को सजा नहीं मिलने तक पल-पल मरता है। यदि कभी कोई आतंकी या षड्यंत्रकारी न्यायालय से मुक्त हो जाए तो वे स्वयं को ठगा महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि अपने को खोने का दुख परिवार वाले ही जान सकते हैं। साथ ही यदि निचली अदालत में ही साबित हो जाए कि आरोपी आतंकी घटना में शामिल रहा है तो फिर उसे ऊपरी अदालत या उसके बाद राष्ट्रपति के यहां दया याचिका लगाने के अधिकार से वंचित किया जाना चाहिए क्योंकि आतंकी पर दया नहीं करनी चाहिए। उनकी मांग है कि केन्द्र सरकार को आतंक विरोधी कानून और भी सख्त बनाकर त्वरित कार्रवाई की व्यवस्था करनी चाहिए। इन्द्रजीत का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कम समय में पाकिस्तान और चीन की हरकतों पर रोक लगाई है उससे उन्हें पूरी आशा है कि सरकार जल्द ही आतंकवादी संगठनों का सफाया करेगी और अपने जवानों को यूं ही बलिदान न होने देगी। -राहुल शर्मा
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