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अक्तूबर माह में राबर्ट वाड्रा ने अपनी पांच कंपनियों की 'बैलेंसशीट'कंपनी मामलों के मंत्रालय में जमा की थी। इससे वाड्रा और डीएलएफ समूह के बीच घनिष्ठ संबंधों का खुलासा होता है।
वाड्रा ने जिस बैंलेंसशीट को डीएलएफ से सस्ती दरों पर ऋण लेने का विवाद बढ़ने पर वर्ष 2011 में रोक दिया था, अब तीन वर्ष की बैलेंसशीट को मात्र पांच दिनों में ही जमा करा दिया है।
अब जमा कराई गई रिटर्न के साथ-साथ वाड्रा की स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड और रीयल एस्टेट में डीएलएफ से हुए 58 करोड़ रुपए के अनियमितता वाले सौदे का खुला खेल भी पता लगता है।
जानकारी के मुताबिक स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी से वाड्रा को मोटा मुनाफा प्राप्त होता है और डीएलएफ द्वारा भी वाड्रा को सस्ती दरों पर ऋण और अग्रिम भुगतान किया जाता रहा है। वाड्रा को प्रतिवर्ष करीब 60 लाख रुपए स्काइलाइट रीयलिटी प्राइवेट लिमिटेड से प्राप्त होते हैं।
वाड्रा को स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी को कारोबार के लिए डीएलएफ से 65 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया था। वाड्रा की पांच कंपनी देखते ही देखते पांच लाख से सीधे 65 करोड़ पर पहंुच गईं।
वर्ष 2012 में डीएलएफ ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि वाड्रा ने परियोजना पूरी होने पर 15 करोड़ रुपए लौटा दिए थे, इसके बाद फरीदाबाद में भी विवादित 'डील' की गई।
स्काइलाइट कंपनी की हाल ही में जमा की गई बैलेंसशीट संकेत देती है कि आखिर कैसे वाड्रा ने डीएलएफ की मेहरबानी से गुड़गांव में स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी के लिए 3.5 एकड़ का प्लॉट खरीदा था।
स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी के खाते मंे मात्र एक लाख रुपए जमा थे जब कि उसने 15.38 करोड़ रुपए का प्लॉट खरीदा था। वाड्रा ने बाद में इसी प्लाट को डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया। वाड्रा को तब हरियाणा में कांग्रेस की हुड्डा सरकार के चलते सभी जगह से अनापत्ति दे दी गई थी। इससे पता लगता है कि डीएलएफ ने वाड्रा की कंपनियों के लिए अग्रिम राशि उनकी जरूरत के अनुसार दी, जो कि वाड्रा डीएलएफ के लिए खरीदना चाहता था।
डीएलएफ की 2012 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 65 करोड़ रुपए की अग्रिम राशि स्काइलाइट कंपनी को उचित मानकों को ध्यान में रखकर दी गई थी।
डीएलएफ अपनी प्रेस विज्ञप्ति में यह दावा भी कर चुका है कि उसने 2008-09 में भूमि पर अपना कब्जा ले लिया था, जो कि राबर्ट वाड्रा ने बेच दी थी, लेकिन 16 अक्तूबर को प्रस्तुत की गई बैलेंसशीट के अनुसार वाड्रा और डीएलएफ के बीच सौदा 2012-13 में हुआ था तो फिर चार साल पुराने सौदे की बैलेंसशीट अब क्यों जमा कराई गई।
कैग की रपट में सवाल उठाया गया है कि हरियाणा सरकार शिकोहपुर में स्काइलाइट द्वारा बनाए जा रहे एक व्यावसायिक केन्द्र के करार में 41.5 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। स्काइलाइट की बैलेंसशीट जमा होने के संबंध में डीएलएफ ने किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इंकार कर दिया।
वाड्रा द्वारा 2011-12, 2012-13 और 2013-14 की बैलेंसशीट गत 15 से 20 अक्तूबर के बीच जमा कराई गई है, इसमें स्काइलाइट को बड़े पैमाने पर ऋण प्राप्ति
दिखाई गई है।
2011-12 की बैलेंसशीट के मुताबिक स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी द्वारा मजेदार बात सामने आई है कि 35 करोड़ रुपया साकेत स्थित कोर्टयार्ड हॉस्पिटेलिटी में निवेश किए गए। ठीक इतनी ही राशि डीएलएफ को किश्तों में गुड़गांव सौदे के तहत दी गई थी। ल्ल प्रतिनिधि
वाड्रा और विवाद
हरियाणा के एक अधिकारी अशोक खेमका ने लैंड कंसोलिडेशन डिपार्टमेंट का चार्ज छोड़ते वक्त राबर्ट और भारत की एक अग्रणी रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच गुड़गांव जिले में हुई जमीन सौदे की म्यूटेशन को रद्द कर दिया। अपनी रपट में खेमका ने कहा कि यदि सही तरीके से जांच हो तो हरियाणा की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान 20 हजार करोड़ से 350 हजार करोड़ तक का जमीनों का घोटाला निकलकर सामने आ सकता है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल का खुलासा
2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान अमरीका के एक प्रतिष्ठित अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी खबर के अनुसार, वाड्रा ने 2007 में एक लाख रुपये के साथ अपने व्यापार की शुरुआत की, लेकिन 2012 में उनकी संपत्ति 300 करोड़ से भी अधिक की हो गई। अर्थव्यवस्था में छाई मंदी के समय में ऐसी वृद्घि आश्चर्यजनक थी।
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