|
आयुर्वेद का लोहा आज पूरी दुनिया मान चुकी है। ऐसे असाध्य रोग जिनका निदान आधुनिक चिकित्सा में भी नहीं है। वह आयुर्वेद में है। भारत हमेशा से आयुर्वेद का जनक माना जाता है। हमारे ऋषि मुनियों और पुरातन वैद्यों द्वारा दिए गए आयुर्वेद के ज्ञान को बढ़ाने के लिए अब सरकार भी आगे आई है। सरकार अनुसंधान एवं विकास की सुविधा उपलब्ध कराने और आयुर्वेद तथा उपचार की अन्य परंपरागत भारतीय प्रणालियों के औषधीय उत्पादों के विनिर्माण को मानकीकृत करने और औषधियों की गुणवत्ता पर निगरानी रखने के लिए विशेष औषधि नियंत्रण विभाग की स्थापना करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने प्रगति मैदान में छठे विश्व आयुर्वेद सम्मेलन के साथ आयोजित आरोग्य एक्सपो के उद्घाटन के मौके पर यह घोषणा की।
उन्होंने कहा कि नवसृजित आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मिशन के तहत केंद्र सरकार राज्यों को पारंपरिक दवा उद्योग के लिए विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना करने और लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। हमारा मिशन आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुष के समन्वय को बढ़ावा देना और एक ऐसी समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली विकसित करना है जिसका दुनिया भर में इस्तेमाल किया जा सके। आयुर्वेद हमारे लिए सिर्फ भावना की बात नहीं है। हम वैज्ञानिक दिमाग के साथ काम करते हैं और यह सरकार अनुसंधान पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है।
डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि सरकार, राज्यों में अनुसंधान और विकास की अत्याधुनिक सुविधाओं को उपलब्ध कराने, औषधि परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं की स्थापना करने और जड़ी-बूटी उद्यान बनाने में राज्यों के साथ भागीदारी के लिए उत्सुक है। सरकार पहले ही 12 वीं पंचवर्षीय योजना में आयुष मिशन के लिए 5 हजार करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी है। आयुर्वेद को दुनिया भर में स्वीकार किया जा रहा है और कुछ देशों ने इसे स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए भारत से साथ भागीदारी में रुचि दिखाई है। सरकार ने कई देशों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
आयुष के सचिव श्री नीलांजन सान्याल ने कहा कि दुनिया की एक तिहाई आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक प्रणालियों में इस समस्या का समाधान करने की काफी संभावना है क्योंकि वे पहले से ही भारत में 80 प्रतिशत ग्रामीण आबादी की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। इस अवसर पर आरोग्य एक्सपो के अध्यक्ष डॉ. चंद्रकांत भानुशाली और संयोजक डॉ. तनुजा गोखले ने भी लोगों को संबोधित किया। उद्घाटन समारोह में आयुष के सचिव श्री नीलांजन सान्याल, दिल्ली सरकार की विशेष सचिव डॉ. मृणालिनी, विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. विजय भाटकर, फार्मेक्सिल के महानिदेशक डॉ. पी. वी. अप्पाजी राव जैसे गणमान्य व्यक्ति और डाबर के अध्यक्ष श्री आनंद बर्मन, बैद्यनाथ के प्रबंध निदेशक अनुराग शर्मा, एवीएस कोट्टकल के अधीक्षक डॉ. पी. एम. वारियर, धूतपापेश्वर के प्रबंध निदेशक रणजीत पुराणिक और धात्री के एमडी डॉ. साजिकुमार जैसी प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं।
आरोग्य एक्सपो 9 नवंबर तक जारी रहेगी। इसमें देश भर से प्रमुख पारंपरिक दवा निर्माताओं की ओर से 400 स्टॉल स्थापित किये गये हैं। यहां 20 विशेष क्लिनिक भी हैं जो आगंतुकों को नि:शुल्क परामर्श और दवाओं की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। ल्ल पाञ्चजन्य ब्यूरो
ल्ल आयुर्वेद के लिए विशेष औषधि नियंत्रण विभाग की स्थापना होगी
ल्ल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने की आयुर्वेद सम्मेलन के उद्घाटन पर घोषणा
टिप्पणियाँ