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महिला समन्वय की अखिल भारतीय बैठक 5 व 6 सितम्बर को गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में आयोजित हुई। समापन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि महिला और पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं। घर में अगर मां नहीं तो घर नहीं। संस्कार का सबसे बड़ा गुरुकुल मां है। महिलाएं दो कुलों की पहचान हैं। पुरुष को बेटी, मां, बहन और पत्नी की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा। स्त्री के बिना समाज को गतिमान नहीं बनाया जा सकता है। बैठक में अन्य वक्ताओं ने महिला सशक्तिकरण, कन्या भ्रूण हत्या को समाप्त करने के लिए प्रबल जन-जागरण अभियान चलाने एवं महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना पर विशेष जोर दिया। बैठक में राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए महिला समन्वय के काम को गति देने और लव जिहाद, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आदि पर सार्थक चर्चा हुई। वक्ताओं ने यह भी कहा कि मातृशक्ति को भी जीजाबाई, माता अंजनी के रूप में भूमिका निभाकर अपनी सन्तानों को संस्कार देने के लिए आगे आना होगा। छुआछूत मिटाने के लिए सहभोज का आयोजन करने और एक परिवार को मित्र बनाने का संकल्प लिया गया।
बैठक में 40 प्रान्तों से 270 माताओं और बहनों ने भाग लिया। इनमें प्रमुख थे संघ समन्वय प्रमुख श्री अनिरुद्ध, गीताताई गुंडे, प्रमिला ताई, मीनाक्षी पिशवे, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, लक्ष्मीकान्ता चावला, केन्द्रीय मंत्री सीतारमन, शकुन्तला मिश्रा, रेखा चुड़ासमा, शरद रेणु, माला रावल, मीना भट्ट, रजनी ठुकराल, दमयंती, संजना, सावित्री, श्रीचन्द, पी़ एऩ ईश्वरन आदि। ल्ल प्रतिनिधि
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