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घाटी में पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही थी। कई जिले जलमग्न हो चुके थे। स्थिति बड़ी विषम थी। पांच सितंबर प्रात:काल से स्वयंसेवकों के लगातार फोन आने शुरू हो गए। सभी बाढ़ की स्थिति के बारे में जानकारी दे रहे थे। स्वयंसेवकों से अपने स्तर पर बाढ़ पीडि़तों की मदद करने को कहा गया और तत्काल उन्होंने काम शुरू कर दिया। छह सितंबर की शाम होते-होते मोबाइल सेवा पूरी तरह धराशायी हो गई। स्वयंसेवकों से बातचीत का कोई साधन नहीं रहा। सेवा भारती के छह सदस्यीय दल ने जिसमें दो लोग जम्मू से थे और बाकी चार लोग कश्मीर के, उन्होंने श्रीनगर, पुलवामा, बड़गाम में बाढ़ प्रभावित सभी इलाकों में जाकर राहत कार्य शुरू कर दिए थे। ये कहना है सेवा भारती के हिमाचल व जम्मू के सेवाप्रमुख श्री जयदेव सिंह का।
स्वयंसेवकों से मिली जानकारी के आधार पर उन्होंने बताया कि पुलवामा जिले में कई गांवों में मकान नजर ही नहीं आ रहे थे। इस जिले के सबसे ज्यादा प्रभावित गांव ऋषिपुरा, लारिकपुरा, गुलजारपुरा थे। यहां पर 12 फीट से लेकर 32 फीट तक पानी भरा हुआ था। इक्का- दुक्का मकानों की छत पानी से बाहर दिख रही थी। बाकी कोई जगह ऐसी नहीं थी जहां पानी मौजूद न हो। लोग बचने के लिए अपने घरों की छतों पर चढ़े हुए थे। ऐसी परिस्थितियों में सेवा भारती से जुड़े कार्यकर्ताओं ने लोगों को बाहर निकालने के लिए लकड़ी के लट्ठों पर टायर बांधकर अस्थाई नाव बनाईं और पानी में फंसे लोगों को बाहर निकाला।
उन्होंने बताया कि श्रीनगर में सात सितंबर से पहले स्थिति ठीक थी, लेकिन लगातार होती बारिश के कारण नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी होती गई, सात सितंबर को श्रीनगर में भी बाढ़ के हालात पैदा हो गए। लाल चौक पर ही बीस फीट से ज्यादा पानी भर गया। सेना अपने स्तर पर लोगों को मदद पहुंचा रही है लेकिन सेवाभारती के कार्यकर्ता ऐसी विषम परिस्थितियों में भी जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच राहत कार्य कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के 300 गांवों में सेवाभारती का नेटवर्क है। सेवा भारती से सैकड़ों की संख्या में जुड़े कार्यकर्ताओं ने घाटी में बाढ़ के हालात होने पर तत्काल प्रभाव से संपर्क साधा और बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने का कार्य शुरू कर दिया। पहले चरण में स्वयंसेवकों की सात टीमें बनाकर बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत कार्य शुरू किया गया। सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर, पुलवामा, बड़गाम जिलों का दौरा किया। श्रीनगर के लासजन, नावगेम, चानपुरा, नायक बाग, बादशाह नगर, हैदरपुरा का दौरा किया जहां बाढ़ से सबसे ज्यादा जनजीवन प्रभावित हुआ है। ये वे इलाके हैं जो झेलम से बिल्कुल सटे हुए हैं। स्वयंसेवकों ने बाढ़ में फंसे लोगों को वहां के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर बाहर निकाला और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
इसके बाद कार्यकर्ताओं का दल बड़गाम जिले के बारजुला, संतनगर, फोहरो, सादिकबाग, चाकपुरा, जानीबाग पहुंचा और वहां जाकर राहतकार्य प्रारंभ किए। तीसरे चरण में कार्यकर्ता पुलवामा जिले में पहुंचे और वहां जाकर बचाव कार्य शुरू किया। इस इलाके में कई गांवों में इतना पानी भरा था कि चाहकर भी कार्यकर्ताओं वहां नहीं पहुंची सके। सेवा भारती के कार्यकर्ताओं की सहायता से बाढ़ में फंसे लोगों के लिए कंबल और ब्रेड के पैकेट और दवाइयां भी पहुंचाई गईं।
एकल विद्यालय के शिक्षक बाढ़ से प्रभावित लोगों को अपने घरों में रहने की जगह देकर उनकी मदद कर रहे हैं। बाढ़ के चलते कुपवाड़ा, बारामूला, कुलगाम, गंदरबल और अनंतनाग जिले से पूरी तरह संपर्क टूटा हुआ है। श्री जयदेव सिंह ने बताया कि जैसे ही बाढ़ का पानी थोड़ा उतरेगा वहां जाकर राहत कार्य करेंगे। -पाञ्चजन्य ब्यूरो
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