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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार की 75वीं पुण्यतिथि (21 जून) पर नई दिल्ली के दीनदयाल शोध संस्थान में एक गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी का विषय था 'डॉ. हेडगेवार और भारतीय राष्ट्रवाद'। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति प्रो. कपिल कपूर की अध्यक्षता में आयोजित इस गोष्ठी में मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल।
डॉ़ कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमारे राष्ट्र का दर्शन हजारों वर्ष पुराना है। यह दर्शन हमें सिखाता है कि सारा समाज एक है। इसलिए हम विभाजन को नहीं मानते हंै। यही दर्शन यह भी बताता है कि हम सबके सुख की कामना करते हैं, सबके कल्याण की बात करते हैं। यही हमारा मौलिक दर्शन है। इसलिए हमने कभी भी किसी को गुलाम नहीं बनाया। हमारा विचार विदेशों में गया। विचार के आधार पर ही हमने विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ी, पर हमारी सेना किसी देश को जीतने के लिए विदेश नहीं गई। हमारा दर्शन यह भी कहता है कि सत्य एक है। इसलिए हम किसी दूसरे की पूजा-पद्धति को नकारते नहीं हैं। यही कारण है कि यहां जो भी आया यहीं का होकर रह गया। शक और हूण जैसे विदेशी बर्बर और शक्तिशाली यहां आए। ये लोग विजेता थे, इसके बावजूद पराजित समाज के साथ घुलमिल गए। इसी तरह यहां मुगल, पारसी और यहूदी भी आए। हमने सबको फलने-फूलने का अवसर दिया। हम पूरे विश्व के कल्याण की बात करते हैं। यही भारतीय दर्शन है,यही हिन्दू दर्शन है। हमारे इस दर्शन का आधार अध्यात्म है। इसलिए सैकड़ों वर्ष की गुलामी के बावजूद यह दर्शन जीवित रहा। यह सदियों पुरानी विचारधारा है, जिसे हमारे ऋषि-मुनियों और सुधारकों ने जीवित रखा और मजबूती प्रदान की। उन्होंने कहा कि पश्चिम में राष्ट्र की अवधारणा आर्थिक, पांथिक और आपसी लड़ाई पर टिकी है। यही कारण है कि वहां एक ही पंथ के लोग आपस में लड़ते रहते हैं। इन दिनों इराक और सीरिया में यही हो रहा है। जबकि भारत में राष्ट्र की अवधारणा हमारी सांस्कृतिक पहचान से बनी है और यह लोगों को आपस में जोड़ती है, न कि लोगों को दूर करती है। डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि डॉ़ हेडगेवार ने लोगों तक मौलिक दर्शन पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कुछ नया नहीं किया, लेकिन ऋषि परम्परा को जीवित रखा। यही काम स्वामी विवेकानन्द, महर्षि अरबिन्द जैसे महापुरुष भी कर रहे थे।
कार्यक्रम का आयोजन भारत नीति प्रतिष्ठान ने किया था। प्रतिष्ठान के निदेशक प्रो़ राकेश सिन्हा ने कहा कि वामपंथी और नेहरूवादी इतिहासकारों ने इस देश के इतिहास को और समाजशास्त्र को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इन लोगों ने सही सूचनाएं लोगों तक नहीं पहुंचने दीं। यहां तक कि संघ से संबंधित 109 फाइलों का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है। लगता है कि या तो उन्हें नष्ट कर दिया गया है या गायब कर दिया गया है। इन लोगों ने देश और इतिहास के साथ आपराधिक अन्याय किया है। प्रो. कपिल कपूर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि डॉ. हेडगेवार ने हिन्दुओं को सांस्कृतिक आधार पर एक सूत्र में जोड़ने का काम किया है। इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
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