|
दुनिया मंे ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो अपना स्वार्थ छोड़कर समाज सेवा कार्य को बढ़ावा देने से पीछे नहीं हटते। उनमें भी अनेक साधु संतों ने अपनी साधना का मिशन अलग चुना है, जिसके कारण वे गरीब एवं जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित बना रहे हैं। ऐसे ही साधु हैं स्वामी हरिओमदास परिव्राजक जिनका एक मात्र ध्येय बच्चों को शिक्षित बनाना है। अलसुबह उसकी दिनचर्या शुरू होती है। बच्चों को जगाने से लेकर तैयार करने तक उनका काम जारी रहता है। वे खुद बच्चों को पढ़ाने में विश्वास करते हैं। तभी तो उनका हर पल महत्वपूर्ण रहता है।
स्वामी जी का मानना है कि बच्चों को संस्कारित शिक्षा मिल जाए और बाल्यकाल में उनमें राष्ट्रभक्ति और सदाचार का प्रवाह संचार करने लगे तो पूरा जीवन ही सफल हो जाता है। उनका कहना है कि गुरु सच्चा मार्गदर्शक होता है और शिष्य के जीवन पथ को निर्बाध करने का काम करता है। गुरु के मार्गदर्शन के बिना किसी भी व्यक्ति के लिए सफलता पाना सरल नहीं है। मनुष्य प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से आजीवन ज्ञान प्राप्त करता रहता है और उसके जीवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव भी झलकने लगता है।
वात्सल्य वाटिका, ब्रह्मा कालोनी, कुरुक्षेत्र के संचालक स्वामी हरिओमदास परिव्राजक जी का व्यक्तित्व निराला है। जो वात्सल्य वाटिका के नाम से प्रसिद्घ छोटे से परिसर में असहाय, झुग्गी-झोपडि़यों में रहने वाले बच्चांे को सहारा दे रहे हैं और उन्हें शिक्षित भी बना रहे हैं। इनमें ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो बचपन में बुरी संगत का शिकार होने की कगार पर थे। घर की मजबूरियां उन्हें भिक्षाटन के लिए प्रेरित कर रही थीं। बुरी लतें उन्हें चोरी और मांसाहार की तरफ ले जा रही थीं। जब वे स्वामी जी के सान्निध्य में आए तो पूरा जीवन बदल गया।
बच्चों का कहना है कि स्वामी जी के साथ उन्हें माता-पिता जैसा लाड दुलार मिलता है। स्वामी जी की वजह से ही वह बुरी आदतों में पड़ने से बच गए। वर्तमान में वात्सल्य वाटिका में 8-9 बच्चे आवासीय व्यवस्था में हैं जबकि 200 के करीब बच्चे वहां पढ़ते हैं जिनको स्वामी जी स्वयं भी पढ़ाते हैं और शिक्षकगण उपलब्ध कराकर पूर्ण शिक्षा भी दे रहे हैं। यूं तो यहां अच्छे व्यवस्थापक, संचालक व संयोजक भी हैं। लेकिन 24 घण्टे परिसर में रहना, प्रात: चार बजे से रात्रि 11 बजे तक बच्चों का मार्गदर्शन करना व स्वयं ही अवासीय बच्चों के वस्त्र धोना आदि कार्य करते हैं। वृद्धावस्था के चरण में इतने सारे कार्य स्वयं संभालना उनकी असाधारण कार्य प्रणाली और अनन्य समर्पण भाव को दर्शाता है। अनेक लोग उनकी इस सेवा भावना से प्रेरणा ले रहे हैं।
लोगों का मानना है कि सरकार ऐसे कर्मयोगी की पहचान करे और ऐसी संस्था का सहयोग करे जो कई साल से पूर्ण समर्पित होकर और समाजसेवी लोगों के सहयेाग से चल रहे हैं। उनकी इसी कार्यप्रणाली व असाधारण कृतित्व और बच्चों के पालन पोषण के कारण उनको हरियाणा राज्य बाल कल्याण की ओर से राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है जिसको स्वयं वर्तमान गर्वनर श्री जगन्नाथ पहाडि़या जी द्वारा दिया गया।
डा. गणेश दत्त वत्स
टिप्पणियाँ