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इंटरनेट को 'अनेकों नेटवर्क का नेटवर्क' कहा गया है, लेकिन इंटरनेट मात्र उपकरणों का नेटवर्क ही नहीं है, जैसे कि इंटरनेट से पहले के नेटवर्क हुआ करते थे। इंटरनेट जानकारी, ज्ञान का नेटवर्क है और इसलिए इंटरनेट को ज्ञान का महासागर भी कहा जाता है।
घंटों-घंटों इंटरनेट पर समय बिताने वाले बहुत कम लोग हैं, जो कि ज्ञान के इस महासागर को खंगालते होंगे? फेसबुक या यू ट्यूब के अलावा इंटरनेट से जानकारी जुटाने वालों की संख्या काफी कम है। इसका एक प्रमुख कारण यह भी हो सकता है कि सभी को यह मालूम नहीं होता है कि इंटरनेट पर विविध प्रकार की जानकारी उपलब्ध रहती है। हालांकि कभी-कभी किसी विषय को 'गूगल' पर सर्च (तलाश) किया तो पहला शोध उत्तर 'विकीपीडिया' से ही मिलता है। इस समय सारी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित ज्ञानकोश भी विकीपीडिया ही है।
विकीपीडिया 'ऑनलाइन' ज्ञानकोश है। विकी का अर्थ होता है जल्दी (जो हवाई भाषा में प्रयोग किया जाने वाला शब्द है) और पीडिया शब्द 'एन्साइक्लोपीडिया' से लिया गया है। जनवरी, 2001 में शुरू हुआ यह कोश निरंतर विकसित हो रहा है। 'सर्च इंजन्स' के साथ इसका बेहतर तालमेल है। इसके विषय भी लगभग रोज 'अपडेट' होते रहते हैं। 45 लाख 27 हजार से भी ज्यादा विषयों पर विकीपीडिया में जानकारी और आलेख उपलब्ध हैं। 3 करोड़ 30 लाख से भी ज्यादा पृष्ठ इस ई-ज्ञानकोश में हैं। यह कोश सब अर्थ में वैश्विक है और व्यापक है। दुनिया की अनेक भाषाओं में यह उपलब्ध है जिसमें भारत की सभी प्रमुख भाषाएं सम्मिलित हैं। विकीपीडिया का हिन्दी संस्करण जुलाई, 2003 में प्रारंभ हुआ था। इसमें एक लाख 11 हजार से भी ज्यादा आलेख हैं अर्थात अनेक महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी हिन्दी में सरलता से उपलब्ध है। सर्च इंजन से अच्छे तालमेल के कारण अधिकांश विषयों के उत्तरों में सबसे ऊपर विकीपीडिया की ही जानकारी रहती है।
विकीपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोश है अर्थात कोई भी जानकार इसमें नए विषय जोड़ सकता है और प्रकाशित विषयों को संपादित भी कर सकता है। इस संपादन की भी एक प्रक्रिया है। इसीलिए विकीपीडिया में शामिल सभी आलेख सही हैं, ऐसा भी नहीं है। समय-समय पर किसी विषय के विशेषज्ञों ने जो जानकारी जोड़ी है, उसी का संशोधित स्वरूप हमारे सामने आता है। तकनीकी विषय पर तो इसमें अधिकतर जानकारी सही है, किन्तु सामाजिक और राजनैतिक विषयों पर अनेक आलेख विशिष्ट विचारधारा के अनुसार हैं। ये सभी आलेखों संशोधित हो सकते हैं, बशर्ते विकीपीडिया के लिए समय देने वाले सामने आएं और आलेख के पुनर्लेखन में मदद करें।
विकीपीडिया से प्रेरित होकर एक और ज्ञान कोश तैयार हुआ है, जो पूर्णत: भारत संबंधी विषयों को समर्पित है। 'भारतकोश' नामक यह परियोजना निजी है। इसका मूल नाम है 'भारत डिस्कवरी ँ्र.ुँं१ं३्रि२ूङ्म५ी१८.ङ्म१ॅ इसका संकेत स्थल है। मथुरा के 'ब्रजभूमि विकास चैरिटेबल ट्रस्ट' द्वारा यह भव्य परियोजना चलाई जा रही है।
भारतकोश तुलना में नया ई-ज्ञानकोश' है, किन्तु इसे समृद्ध बनाने के पूरे प्रयास किये जा रहे हैं। इतिहास कोश, भूगोल कोश, जीवनी कोश, साहित्य कोश, धर्म कोश, विज्ञान कोश, संस्कृति कोश जैसे अनेक कोश इस 'भारतकोश' में सम्मिलित हैं। लेखों की संख्या कम होने के बाद भी, इसमें कुछ विशेष जानकारी दी गई हैं। एक छोटा सा उदाहरण-महाभारत में वर्णित'अश्व नदी' का आलेख भारतकोश में है पर विकीपीडिया में नहीं है अर्थात भारतकोश की तुलना में विकीपीडिया में लेखों की संख्या अधिक है। ज्ञानकोशों की इस श्रृंखला में सरकारी विभाग द्वारा चलाया जा रहा 'विकासपीडिया' भी महत्वपूर्ण है। इसमें कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, ऊर्जा, ई-गवर्नेंस आदि विषयों पर भरपूर सामग्री है। यह ऑनलाइन ज्ञानकोश, संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इलेक्ट्रॉनिक विभाग व सी-डैक की संयुक्त परियोजना है। इसमें अनेक ऑनलाइन सेवाएं हैं। व्यापार, वित्तीय मामलों की सलाह जैसे अनेक विभाग हैं। इसका एक प्रमुख आकर्षण है- ई-लर्निंग। विभिन्न पाठ्यक्रम अनेक विषयों पर मल्टीमीडिया के माध्यम से ई-लर्निंर्ग पाठ्यक्रम इस कोश के पोर्टल पर उपलब्ध हैं। ये सारे पाठ्यक्रम मुफ्त हैं। विशेषत: कक्षा 10 तक के विद्यार्थियों के लिए सभी विषयों के पाठ्यक्रम आकर्षक स्वरूप में, गीत-संगीत के साथ दिए गए हैं। शायद सरकारी परियोजना होने के कारण बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है। समस्त ज्ञानकोशों का इसे जनक कहा जाता है, वह 'एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका' है, जो इंटरनेट पर पूरा मिलता है, और वह भी नि:शुल्क । साथ ही भारतीय भाषाओं के ज्ञानकोश या विश्वकोश भी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। मराठी विश्वकोश का नवीन वर्जन वहां मिलता है। बंगला भाषा का सम्पूर्ण बंगकोश भी इंटरनेट पर उपलब्ध है।
दुर्भाग्य से हिन्दी का ज्ञानकोश इंटरनेट पर सरलता से नहीं खुलता है। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान का 'ज्ञानकोश' नामक पोर्टल अवश्य है, किन्तु संस्थान ने भाषा कोश, ज्ञानकोश या हिंदी विश्व कोश को ऑनलाइन उपलब्ध नहीं कराया है। महाराष्ट्र के वर्धा में 'महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय' है, इस संस्था ने हिन्दी के लिए समग्र शब्दकोश तैयार किया है, जो ऑनलाइन उपलब्ध है। यह मात्र शब्दों के अर्थ तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके द्वारा बड़ी संख्या में उपन्यास, कहानी, कविता, व्यंग्य, नाटक, आलोचना, विमर्श आदि सभी प्रकार का साहित्य इंटरनेट पर उपलब्ध कराया गया है। हिन्दी साहित्य का यह शायद सबसे बड़ा ऑनलाइन ज्ञान का भंडार है। इसमें अनेक ई-पुस्तकें नि:शुल्क दी गयी हैं, जो डाउनलोड की जा सकती हैं। बाकी सारा साहित्य भी नि:शुल्क है। इस शब्दकोश का संकेत स्थल है- ६६६.ँ्रल्ल्रि२ंें८.ूङ्मे हिंदी जिनकी मातृभाषा है, या जो हिन्दी पढ़ना-लिखना जानते हैं, ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक बार तो इस ऑनलाइन ज्ञानकोश को भेंट करना ही चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से इस संकेत स्थल को भेंट देने वालों की संख्या बहुत कम है।
हिन्दी कविता प्रेमी 'कविता कोश' से भलीभांति परिचित हैं,यह हिंदी कविताओं का बृहद, समग्र ऑनलाइन संकलन है। इस कोश में अभी 73255 पृष्ठ हैं जिनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। हिन्दी के सभी कवियों की उपस्थिति इस ऑनलाइन कविता कोश में है। इसका संकेत स्थल है- ६६६.'ं५्र३ं'ङ्म२ँ.ङ्म१ॅ । इस कविता कोश की सफलता को देखकर उन्हीं कोशकारों द्वारा 'गद्यकोश' की भी शुरुआत की गयी है। अभी इस कोश में हिंदी के प्रमुख रचनाकारों की रचनाएं सम्मिलित हैं, जो 12124 पृष्ठों में समाहित हैं। केवल साहित्य ही नहीं, विज्ञान, इतिहास, दर्शनशास्त्र, गणित आदि सभी विषयों के कोश इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। आवश्यकता है ज्ञान के इस भण्डार का उपयोग करने की। फेसबुक और यू ट्यूब के इस्तेमाल जैसी 'आदत' हमें लगती है, वैसी ही 'आदत' यदि इन ज्ञानकोशों को देखने की लगे तो फिर बात ही बन जाए।
-प्रशांत पोल
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