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-अश्वनी कुमार मिश्र-
धिक्कार कहें, शर्मनाक कहें, षड्यंत्र या फिर छद्म सेकुलरवाद क्योंकि ये वे परदे हैं, जिनके पीछे देश में लगातार हिन्दुओं की भावनाओं पर कुठाराघात करते हुए गोतस्करी और गो हत्या जारी है। दुर्भाग्य यह भी कि इस सारे अमानवीय कृत्य में पैसे का लालची,भ्रष्टाचार में डूबा शासन-प्रशासन भी पूरी तरह शामिल है। देशभर में जहां कहीं भी गोतस्करी या गोहत्या का मामला प्रकाश में आता है वहां का शासन-प्रशासन आनन-फानन में ले-देकर मामले को रफा-दफा करने में लग जाता है, जिससे गोतस्करों के हौसले और बढ़ते हैं और यह अमानवीय कार्य जारी रहता है। हद तो तब हो गई जब लगातार हिन्दू संगठनों के विरोध करने पर सरकार भले ही न चेती हो, लेकिन गोतस्करों ने अपने काले धंधे का तरीका जरूर बदल लिया है। यही वजह है कि आज ट्रक,रेल और निजी वाहनांे यानी कारों तक में गोतस्करी जारी है। प्रभावी कानून के अभाव में ही गोतस्कर प्रशासन की आंख में धूल झोंककर अलग-अलग तरीकों से गोतस्करी को अंजाम दे रहे हैं।
गो तस्करी
गत 23 मई को राजस्थान के अलवर में गोतस्करों के ऐसे ही एक नये तरीके का पर्दाफाश हुआ। हिन्दू संगठनांे द्वारा अलवर की जालूकी पुलिस को रात 12 बजे सूचना प्राप्त हुई कि अलवर की ओर से दूध का एक टैंकर आ रहा है, जिसमें गायें भरी हुई हैं, जो जालूकी होते हुए वाया हरियाणा जा रहा है। पुलिस ने हिन्दू संगठनों के दबाव में सक्रियता दिखाते हुए तत्काल नाकाबंदी की। कुछ समय बाद सूचना के अनुरूप दूध का टैंकर आता दिखाई दिया। गोतस्करों ने नाकाबंदी देखकर पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी। तस्करांे की ओर से होती फायरिंग देखकर पुलिस भी जवाबी फायरिंग करने लगी। दोनों तरफ से लगभग दो दर्जन राउंड फायर किए गए। गोतस्करों द्वारा की गई अंधाधुंध फायरिंग से पुलिस टीम की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। वहीं पुलिस की फायरिंग से एक गोतस्कर भी गम्भीर रूप से घायल हो गया। इतना सब होने के बाद भी तस्कर टैंकर को लेकर अलवर के गांव बड़ौदामेव में घुस गए और वहां उड़ती अत्यधिक धूल का फायदा उठाकर वे गायों से भरे वाहन को छोड़कर घायल साथी समेत फरार हो गए। पुलिस टैंकर को जब्त कर जालूकी पुलिस ले आयी,जहां टंैकर के अन्दर रस्सों से बंधी 21 गायें बरामद हुईं,जिनमें 2 गायें मृत अवस्था में मिलीं।
राजस्थान गोतस्करों के लिए उपयुक्त स्थान
जिस राजस्थान की पहचान राजे-रजवाड़ों और आलीशान महलों से होती है वह राजस्थान आज गोतस्करों के गढ़ के रूप में चर्चा में आ रहा है। आए दिन सैकड़ों गोवंशों का पकड़ा जाना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि राजस्थान गोतस्करों के लिए एक उपयुक्त स्थान बन रहा है। राजस्थान के कई स्थान जैसे अलवर, अजमेर, तिजारा, भरतपुर, टोंकसवाई माधोपुर, निखीराबाद, कोटा, चूरू, झारावाला, कामां, झंुझुनंू, श्रीनगर, झालावाड़ में गोतस्करी का धंधा बहुतायत में फलफूल रहा है।
कसाइयों का क्षेत्र में आतंक
राजस्थान के चूरू शहर के एक मुहल्ले में रहने वाले कन्हैयालाल ने पाञ्चजन्य को भेजे एक पत्र में अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए लिखा है कि कुछ जिहादी सोच के मुसलमान मेरे घर पर आए दिन मांस के टुकड़े काटकर फेंकते हैं ताकि मैं यहां से भाग जाऊं । स्थानीय मुसलमानों की आबादी की अधिकता के कारण ये लोग हिन्दुओं को भगाने व इस क्षेत्र पर अपना एकाधिकार जमाने के लिए ऐसे कृत्य को आए दिन करते हैं। मैंने इस बात की लिखित शिकायत चूरू, जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक से भी की। मुआयना करने पर पुलिस ने मौके पर कटे हुए मांस के टुकड़ों को भी बरामद किया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। जिसके बाद स्थानीय विधायक के समक्ष भी शिकायत की, लेकिन अब तक कोई भी निराकरण नहीं हुआ , जिससे उनके हौसले और भी बुलंद होते जा रहे हैं।
गोतस्करी के चुनिंदा रास्ते
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, म.प्र. एवं राजस्थान को आपस जोड़ते कुछ रास्ते हैं, जिन पर चलकर महाराष्ट्र में एवं प.बंगाल के बूचड़खानों तक आसानी के साथ पहंुचा जा सकता है। विहिप के केन्द्रीय मंत्री उमेश पोरवाल के अनुसार गोतस्कर गोवंशों को कत्लखानों तक पहुंचाने के लिए ऐसे रास्तों का प्रयोग करते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इनमें कुछ रास्ते ऐसे हैं,जो सड़क मार्ग से बिल्कुल हटकर जंगल या छोटी नहरों,नदियों के किनारे की पगडंडियों पर हैं। इन रास्तों पर पैदल या छोटे वाहनों की आवाजाही बिल्कुल न के बराबर रहती है,जिसका गोतस्कर आसानी के साथ फायदा उठाते हैं।
गोतस्करी में संलिप्त मेवाती गिरोह
राजस्थान में हो रही गोकशी एवं तस्करी की घटनाओं में मेवाती गिरोह भी सक्रिय है। यह गिरोह यहां से पालने के नाम पर गायों को खरीदता है,लेकिन बाद में वह गोवंशों को कत्लखाने में या फिर कसाइयों को बेच देते हैं। असल में राजस्थान की सीमा हरियाणा से जुड़ती है। जिस सीमा से हरियाणा राजस्थान से जुड़ता है यहीं पर मेवात है। मेवात गोतस्करी का प्रमुख केन्द्र है। यहां पर कसाइयों द्वारा गायों को काटकर 'नर्म चमड़ा' बनाया जाता है। इस प्रकार के चमड़े की मांग देश सहित विदेशों में भी खूब होती है क्योंकि यह अन्य लेदर की अपेक्षा अत्यधिक चमकदार और खूबसूरत होता है।
वंचित परिवार के युवा तस्करी में शामिल
हिन्दू संगठनों एवं पुलिस की कुछ स्थानांे पर सक्रियता को देखते हुए गोतस्करों ने अब हिन्दू समाज के वंचित वर्ग को निशाना बनाना प्रारम्भ कर दिया है। पहले ये पैदल मार्ग से सैकड़ों गोवंशों को ले जाते थे ,जिनकी निगरानी के लिए कुछ मुसलमान युवक इस कार्य को करते थे, लेकिन हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा इन युवकों की वेशभूषा एवं बोलने के तरीकों से आसानी से उनकी पहचान हो जाती थी और वे पकड़े जाते थे।
गोतस्करों ने ऐसी बढ़ती घटनाओं को देखते हुए गरीब वंचित परिवार के युवा लड़कों को अपने पाश में फंसाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। कम पढ़े- लिखे एवं अभाव के कारण मजदूरी या अन्य कार्यों से ज्यादा पैसों के लालच में आसानी के साथ ये इनके झांसे में आ जाते हैं और तस्करी के लिए तैयार हो जाते हैं। इन युवा लड़कों का कार्य सिर्फ इतना होता है कि एक स्थान से दूसरे स्थान तक गोवंशों को पहुंचाना। इस बीच जहां कहीं भी हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें रोका जाता है तो उनके बात करने एवं अन्य प्रतीकों से हिन्दू होने का आभास हो जाता है और कार्यकर्ता उन्हंे जाने देते हैं, जिससे वे आसानी से सभी की आंखांे में धूल झोंककर आगे बढ़ते चले जाते हैं।
गोसंरक्षण की पहल
गोतस्करी की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान सरकार अब गायों का पंजीयन करवायेगी और पंजीयन करवाने वाले गोपालकों को नाममात्र के खर्च पर बीमा की सुविधा उपलब्ध करवायेगी। इससे गाय की मृत्य़ु़ या बीमार होने पर गोपालकों को मुआवजा मिलेगा। 2007 की पशु गणना के मुताबिक राज्य में एक करोड़ 14 लाख गायों का पंजीयन होगा। इसके लिए सरकार प्रत्येक जिले में पशु गणना करायेगी। अभी राजस्थान सरकार सिर्फ गोशाला में रह रही पांच लाख गायों का ही पंजीयन करवाती है। पंजीयन होने से गोतस्करी पर लगाम लगेगी।
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