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इन दिनों इराक में जिहादी हिंसा चरम पर है। चार दिन के अन्दर 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। मोसूल,बैजी और निनवेह पर जिहादियों ने कब्जा कर लिया है। लाखों लोग या तो जिहादियों की गिरफ्त में हैं या पलायन कर गए हैं। जिहादियों की नजर अब राजधानी बगदाद पर है। ये जिहादी 'इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एण्ड सीरिया' से जुड़े हुए हैं। कभी-कभी इसे 'इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एण्ड लेवेन्ड' भी कहा जाता है। लेवेन्ड का अर्थ है वह क्षेत्र जिसमें जॉर्डन, सीरिया, लेबनॉन और इस्रायल शामिल हैं। जिहादियों ने उत्तरी और पश्चिमी इराक में एक तरह की तबाही मचा रखी है। अत्याधुनिक हथियारों से लैस इन जिहादियों के सामने इराकी सुरक्षाबल टिक नहीं पा रहे हैं। देश की बिगड़ती हालत पर वहां की सरकार बेचैन है। प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी की गुजारिश पर इराकी संसद ने देश में आपातकाल लागू करने की हरी झण्डी दे दी है। सरकार ने यह भी कहा है कि वह किसी भी सूरत में मोसूल,बैजी और निनवेह को जिहादियों के कब्जे में नहीं रहने देगी। लेकिन इराक के जो हालात हैं उनसे लड़ना सरकार के लिए मुश्किल लग रहा है। जिहादियों के तार अल-कायदा और तालिबान से जुड़े हुए हैं। यह भी खबर आ रही है कि सीरिया और चेचन्या की तरह इराक में कई देशों के जिहादी लड़ रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि बाहरी देश इराक की मदद नहीं करेंगे तो आने वाले समय में इराक भी उन्हीं देशों की श्रेणी में खड़ा हो जाएगा,जहां जिहादी तत्वों की तूती बोलती है। उधर संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् ने जिहादियों की इस करतूत की निन्दा की है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान-की-मून ने इराक के मामले पर विश्व समुदाय से एक होने की अपील की है।
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