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केरल के मदरसों में बच्चों को अवैध तस्करी करके लाया जा रहा है। हाल ही में पलक्कड में रेलवे पुलिस ने 600 बच्चों को मुक्त कराया। जिन्हें बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से लाया गया था। केरल राज्य के गृहमंत्री का कहना है कि यह अवैध है,जबकि इस काम में लिप्त मुस्लिम संगठन इसे समाज सेवा का नाम देते हैं।
जानकारी के अनुसार 22 मई को आरपीएफ ने 589 बच्चों को मुक्त कराया। पुलिस ने बच्चों की तस्करी के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार भी किया है। जिन बच्चों को पुलिस ने छुड़ाया उन्हें कोझीकोड और मल्लपुरम में मुस्लिम संगठनों द्वारा संचालित मदरसों में रखा गया था।
पुलिस ने जिन आठ लोगों को गिरफ्तार किया है,उनमें से चार अब्दुल कादिर अंसारी, मोहम्मद आलंगीर मोहम्मद इदोतलाम, मौलाना फैसुल्ला बिहार के रहने वाले हैं, जबकि चार लोग पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
सभी बच्चों को उनके घरों से मुफ्त शिक्षा और अच्छे रहन सहन का वायदा कर मुस्लिम संगठनों द्वारा चलाए जा रहे शेल्टर होम में लाया गया था। बच्चों के साथ 43 अन्य लोग थे जिनका कहना था कि वे बच्चों के रखवाले हैं। जो लोग उन बच्चों को लेकर आए थे उनके पास 336 बच्चे लाने ले जाने के वैध कागजात नहीं थे। इस प्रकरण के खुलासे के बाद कुछ बच्चे अपने अभिभावकों के साथ वापस अपने घर लौट गए। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य शोभा सुरेंद्र ने बच्चों की तस्करी को लेकर बाल कल्याण मंत्रालय में एक याचिका दायर की है।
मामले के तूल पकड़ने के बाद झारखंड से आए पांच अधिकारी पलक्कड पहुंचे। वहां जाकर उन्होंने पूरे मामले की जांच करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि प्रथम दृष्ट्या जांच में मामला बच्चों की तस्करी का नजर आ रहा है। उनका कहना था कि झारखंड सरकार राज्य के सभी गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा और छात्रावास की सुविधा देती है। ऐसे में उन्हें राज्य छोड़ने की आवश्यकता क्यों पड़ेगी? अधिकारियों ने इस मामले में आगे गहन जांच किए जाने की बात कही है।
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केरल पुलिस के डीआईजी एस श्रीजित और केरल मानवधिकार आयोग के अधिकारियों ने मुक्कोम और कोझीकोड में मुस्लिम संगठनों द्वारा चलाए अनाथ आश्रमों का निरीक्षण किया। वे झारखंड के अधिकारियों के मत से सहमत थे। अनाथ आश्रम के पहले बैच में 456 बच्चे दूसरे राज्यों से लाए गए थे। डीआईजी श्रीजित ने बताया कि निरीक्षण के दौरान पता चला कि अनाथ आश्रम प्रबंधन मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहे हैं। केरल के गृह मंत्री रमेश चेन्निथला भी बच्चों की तस्करी के विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को रेल की बोगियों में सामान की तरह ठूंस-ठूंस कर लाया जाता है।
उन्होंने जिम्मेदार मुस्लिम संगठनों से कहा कि समाज सेवा के नाम पर बच्चों के साथ इस तरह का क्रूर व्यवहार सही नहीं है। उन्होंने मुस्लिम संगठनों को सलाह दी कि यदि वास्तव में उन्हें समाज सेवा करनी है तो बच्चों को वहां लेकर आने की बजाय वे दूसरे राज्यों में आश्रम खोल सकते हैं। उनके इस बयान की कांग्रेस की सबसे बड़ी घटक मुस्लिम लीग व मुस्लिम संगठनों जैसे जमाते इस्लामी और सुन्नियों की संस्था ने कड़ी आलोचना की है। संस्था का कहना है कि राज्य के गृहमंत्री के इस बयान ने पूरे मुस्लिम समुदाय को अपमानित किया है। मुसलमानों अपने संस्थान खोलने को लेकर सलाह देने वाले वह होते कौन हैं,जबकि संविधान हर व्यक्ति को देश में कहीं भी निवास करने, शिक्षा लेने की अनुमति देता है।
इस संबंध में स्थानीय कोष अंकेक्षण विभाग (लोकल फंड ऑडिट डिपार्टमेंट) ने रपट प्रस्तुत की है, जिसमें कहा गया है कि केरल में बाहर से तस्करी करके बच्चों को इसलिए लाया जाता है ताकि आश्रमों को ज्यादा से ज्यादा सरकारी सहायता मिल सके। अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहनता जांच कराई जा रही है।
– प्रदीप कृष्णन
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