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राष्ट्रीय सुरक्षा में लंबे समय से ढील दी जा रही है। सेना का बजट सुरक्षा से जुड़े तमाम आयामों के आधार पर तय हो, सेना का आधुनिकीकरण, रक्षा सौदों में पारदर्शिता, विदेशों का मुंह ताकने की बजाय उत्तम तकनीक के हथियारों का अपने ही देश में निर्माण, सैनिकों के वेतनमानों को ईमानदारी से निर्धारित करना, सेना के तीनों अंगों में बेहतर समन्वय आदि ऐसे कुछ बिन्दु हैं जिन पर नई सरकार का बिना देर किए ध्यान देना होगा।
सबसे पहले हमारी वायुसेना को मजबूत किया जाए, एसयू 32 जैसे लड़ाकू विमानों को फौरन खरीदा जाए, पहाड़ी इलाकों में लड़ाई की संभावना को देखते हुए मध्यम दूरी की तोप की अहम जरूरत है, इसे भारत में ही बनाने की व्यवस्था हो। नौसेना के पास पनडुब्बियां नहीं हैं, ये पर्याप्त मात्रा में चाहिए। माओवाद से लड़ने को सीआरपीएफ की जगह फौज तैनात हो। अरुणाचल की तरह लद्दाख के लिए भी एक स्ट्राइक फोर्स गठित हो। याद रखना होगा कि शस्त्र के साथ अभ्यास भी जरूरी है।
-मेजर जनरल (से.नि.) गगनदीप बख्शी
क्या हो दृष्टिकोण
आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हमें अपनी अन्वेषण एजेंसियों को और समेकित तथा विश्वसनीय बनाना होगा। राष्ट्रीय पहचान पत्र या पंजिका को प्रभावी रूप से क्रियान्वित करते हुए सुरक्षा एजेंसिंयों को और उन्नत करना होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा चाहे आंतरिक हो या बाह्य, राज्य और केन्द्र सरकार के तंत्रों को एकीकृत करने की सख्त जरूरत है।
फौरन करना होगा
ल्ल एसयू-32 विमानों की तुरंत आवश्यकता है
ल्ल मध्यम दूरी तक मार करने वाली तोप चाहिए
ल्ल अभी सिर्फ पांच पनडुब्बी, तुरंत खरीद जरूरी
दीर्घकालिक लक्ष्य
ल्ल अत्याधुनिक हथियार भारत में ही विकसित हों
ल्ल अरुणाचल की तर्ज पर लद्दाख में भी हो स्ट्राइक फोर्स
ल्ल चाकचौबंद हो तटरेखा की सुरक्षा
यह है वादा
एक पूर्व सैनिक आयोग का गठन होगा जो पूर्व सैनिकों की अंशदायी स्वास्थ्य योजना में सुधार और उनके पुनर्रोजगार को देखेगा। एक रैंक-एक पेंशन योजना लागू की जाएगी।
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