|
मध्य भारत में भाजपा ने केसरिया लहर के साथ 82 में से 76 लोकसभा सीटें जीतकर अपूर्व विजय प्राप्त की। (हरियाणा-7, राजस्थान-25, मध्यप्रदेश-27, छत्तीसगढ़-10 और दिल्ली-7) हरियाणा में भाजपा के अलावा कांग्रेस को एक और इनेलो को 2 सीटें प्राप्त हुई हैं। दिल्ली में सभी 7 सीटों पर भाजपा का परचम लहराया है।
डा. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री अवश्य थे, किन्तु दबदबा राहुल व सोनिया का था। इन दोनों का देश की रीति-नीति से कोई लेना-देना नहीं था, जनता नाराज थी, 1977 में भी इतना बुरा हश्र नहीं हुआ था कांग्रेस का। देश की राष्ट्रीय पार्टी भाजपा को नरेन्द्र मोदी के रूप में ऐसा नेता मिला है जो जनआशाओं का केन्द्र बन गए। भारतीय जनता पार्टी के विषय में बात हो रही थी कि यह कांग्रेस का मुकाबला नहीं करेगी, किन्तु इन चुनावों में पार्टी के संगठन, मोदी जी के कुशल नेतृत्व ने चित्र ही बदल डाला।
डॉ. राजकुमार भाटिया,
अध्यक्ष एनडीटीएफ
एक घोंसले में पड़ी रही कांग्रेस की निष्क्रियता और राहुल गांधी की इमेज ने सल्तनत के किले ढहा दिए। कानून में न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता होनी चाहिए। संप्रग जाते-जाते दो अपने पक्षधर वकीलों को जज बनाने की फाइल बढ़ा गई। और पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह के धुर विरोधी रहे जनरल दलवीर सिंह सुहाग की नियुक्ति ऐसे ही कार्य हैं जबकि ये नई सरकार पर छोड़ देना चाहिए था। नरेन्द्र मोदी देश के लिए एक श्रेष्ठ कुशल शासक सिद्ध होंगे और जनता ने जो प्रचंड जनादेश दिया है उसकी अपेक्षाओं पर भी खरे उतरेंगे।
-नवीन कुमार जग्गी
वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय
टिप्पणियाँ