पाठकीय
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अंक सन्दर्भ: 27, अप्रैल, 2014
आवरण कथा 'बंधक थी सरकार' से स्पष्ट हो गया कि मनमोहन सिंह पूरे दस साल सिर्फ बंधक थे। वैसे तो देश की जनता पहले से ही इस तथ्य से परिचित थी,लेकिन बारू और पारख की किताबों ने अपने रहस्योद्घाटन से इस तथ्य पर मुहर लगा दी। कांग्रेस के इस शासनकाल में मनमोहन सिंह सिर्फ जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए प्रधानमंत्री बनाये गए थे । असल में तो सत्ता सोनिया गांधी चला रही थीं। इस खुलासे से एक बात और तय हो गई कि कांग्रेस के दस साल के शासन में जितने भी भ्रष्टाचार के मामले हुए उनमें सोनिया गंाधी भी बराबर की हिस्सेदार हैं।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा, कटिहार (बिहार)
० पी.सी.पारख और संजय बारू की पुस्तकों में जो खुलासे हुए जनता उन्हें पहले ही जानती थी। हां इन पुस्तकों से एक बात की पुष्टि हो गई कि सत्ता के दो केन्द्र थे, जो मीडिया भी लम्बे समय से कहता आया है। इन अधिकारियों ने अपनी पुस्तकांे के माध्यम से सत्ता के असंवैधानिक केन्द्र को बेनकाब किया है।
-अतुल मोहन प्रसाद, धर्मशाला मार्ग, बक्सर (बिहार)
० पिछले दस साल से जो सरकार मनमोहन सिंह के नाम पर चल रही थी, वह तो सिर्फ एक दिखावा था। असल में सरकार तो कोई और चला रहा था। घरेलू मोर्चे पर महंगाई की मार, सीमा पर दुश्मनों का वार,कमजोर विदेश नीति तथा देश में प्रशासनिक और राजनैतिक अराजकता इस दौरान अपने चरम पर रही है। असहाय प्रधानमंत्री ने आन्तरिक और बाह्य मुद्दों पर देश को निराश किया है,लेकिन अब उनका और उनके पीछे जितने भी लोग थे उनका नाम उजागर हो चुका है।
-मनोहर मंजुल, पिपल्या बुजुर्ग, प. निमाड (म.प्र.)
० सत्ता के दो केन्द्र होने की बातें जो मौखिक रूप से कही जाती थीं,वे इन पुस्तकों ने लिखित प्रमाण के रूप में सिद्ध कर दी हैं। प्रधानमंत्री की कमजोरी से देश की अर्थव्यवस्था तथा विदेश नीति दोनों प्रभावित हुई हैं। जब केन्द्र के प्रधानमंत्री की अपेक्षा कांग्रेस के मंत्री 10,जनपथ के प्रति वफादार रहेंगे तो लोकतांत्रिक मर्यादाएं टूटना स्वाभाविक ही था। प्रधानमंत्री की अपने विवेक से निर्णय लेने की क्षमताओं को प्रभावित करके कांग्रेसी संस्कृति ने देश की संसदीय परम्पराओं के साथ खिलवाड़ किया है।
-विक्रम सिंह, घरौंडा-करनाल, (हरियाणा)
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० पिछले दस वर्ष में सोनिया गांधी ने अपनी इटालियन तानाशाही की एक झलक दिखाई है। कई घटनाक्रमों पर नजर डालने पर और प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों की पुस्तकों ने स्पष्ट कर दिया कि मनमोहन सिंह सिर्फ एक पुतले ही थे।
-डॉ. रवी.जबलगेकर, सोलापुर (महाराष्ट्र)
चुभते साहसी बोल
अमित शाह, गिरिराज सिंह व डॉ. प्रवीण भाई तोगडि़या के हिन्दुत्व व हिन्दुस्थान समर्थक साहसी बोलों पर जिनको नागवार गुजरा वे बेनी प्रसाद,इमरान मसूद व आजम खां के राष्ट्र विरोधी बयानों पर क्यों शान्त हैं? क्या उन्हें इमरान मसूद जैसे नेता जो सिर्फ वोट की खातिर दो सम्प्रदायों के बीच जहर घोलने का कार्य करते हैं दिखाई नहीं देते? क्या कांग्रेस सहित अन्य सेकुलर दल मुसलमानों को साथ लेकर देश में अशान्ति फैलाने की सोच रहे हैं? यह सेकुलर नेताओं की कैसी राजनीति है। देश का हिन्दू समाज अपने को हिन्दू कहता है तो इन सेकुलर नेताओं को ऐतराज हो जाता है, जबकि मुसलमान और ईसाई आए दिन हिन्दू समाज के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहते हैं, उन पर ये चुप्पी साधे रहते हैं। क्या इसका जवाब है उनके पास ?
-हरिओम जोशी, चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)
अनुकूल परिस्थिति
अभी हाल ही में श्री मोहनराव भागवत ने कहा था कि हमारे स्वयंसेवक विपरीत परिस्थिति में तो अच्छे से चलना जानते हैं,लेकिन जब अनुकूल स्थिति हो तो हमें कैसे चलना है,इस बात पर गहन चिन्तन और मनन करने की आवश्यकता है। इस लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने श्री मोदी को पलकों पर बिठाया है,यह सत्य है। लेकिन इसी पार्टी में कुछ लोग हैं,जो सत्ता के लिए आपस में लड़ते हैं,उन्हें अब सत्ता की लालसा को छोड़कर कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद देकर आगे बढ़ाना होगा और सभी भेदभावों को समाप्त कर पार्टी एवं कार्यकर्ताओं को मजबूत करना होगा। इसी में सभी का कल्याण है।
-मधुकर विनायक माजशे, जिला-रत्नागिरि (महाराष्ट्र), पाक को मिलेगा
मुंहतोड़ जवाब
आये दिन पाकिस्तान की ओर से सीज फायर का उल्लंघन किया जाता है तथा उसके द्वारा देश में आतंकियों को भेजकर हमारे देश में शान्ति और शौहार्द को बिगाड़ने के हरदम प्रयास किये जाते हैं। पाक का इस प्रकार का कृत्य बताता है कि उसकी इन कारगुजारियों को भारत के ही नेताओं ने पाला-पोशा है। अगर समय रहते इनको इनके कृत्य का जवाब मिला होता तो वह ऐसी हरकतें नहीं करता । लेकिन अब भारत का समय उज्ज्वल है। इसलिए अब वह भारत की ओर आंख तरेरना बंद कर दे, नहीं तो उसको अब मंुहतोड़ जवाब मिलेगा।
-शान्ति रानी साहा, नया टोला, कटिहार (बिहार)
ये कैसी राजनीति?
न्यायालय द्वारा नरेन्द्र मोदी को दंगों के मामले में क्लीनचिट मिलने के बाद भी सेकुलर नेताओं द्वारा दंगों का नाम लेकर मोदी को बदनाम किया जाता है। लेकिन यह कैसी राजनीति है कि सेकुलर नेता गुजरात दंगे को तो आज 12 वर्ष बाद भी याद रखते हैं, लेकिन वहीं उ.प्र. की सपा सरकार में सिर्फ दो वर्ष में ही 150 से ज्यादा दंगे हो जाते हैं उसका नाम तक अपनी जुबान पर नहीं लाते? सेकुलर नेताओं की यह कैसी दोमुंही राजनीति है? जबकि स्वयं सर्वोच्च न्यायालय तक उ.प्र. सरकार को मुजफ्फरनगर दंगों के लिए दोषी ठहरा चुका है। लेकिन इतने पर भी सेकुलर नेताओं के मुंह पर ताला लगा हुआ है क्यों?
-कमलेश कुमार ओझा, पुष्प विहार कालोनी (नई दिल्ली)
संगठित हो हिन्दू समाज!
हिन्दू समाज के असंगठित होने का ही परिणाम है कि दुश्मनों द्वारा समय-समय पर षड्यंत्र करके इस समाज को तोड़ने की साजिश हुई हैं और काफी हद तक ये षड्यंत्रकारी अपने कार्य में सफल भी हुए हैं। हिन्दू समाज के बिखराव के कारण ही इसका पराभव हुआ यह कटुसत्य है। वहीं दूसरी ओर अन्य मत-पंथों में एकता अधिक है। उनके मतप्रचारकों की एक ही आवाज में उनका समुदाय संगठित हो जाता है पर हिन्दू समाज में ऐसा नहीं है। अभी समय है सम्पूर्ण हिन्दू समाज को आपसी वैमनस्यता त्याग कर संगठित होना होगा ताकि राष्ट्र का गौरव बना रहे।
-उदय कमल मिश्र, सीधी (म.प्र.)
औपचारिक ऐलान बाकी!
देश की जनता के लिए यह चुनाव अभूतपूर्व रहा, क्योंकि इस बार का चुनाव जनता ने स्वयं लड़ा है, यह सभी लोग जान चुके हैं। कांग्रेस के भ्रष्टाचार व उसकी देशविरोधी नीतियों का ही परिणाम है कि आम जनता ने उसको न सिर्फ नकारा बल्कि इस बार बता दिया कि अगर हम सत्ता में स्थापित कर सकते हैं तो हम सत्ता से उतारना भी जानते हैं। देश की जनता ने नरेन्द्र मोदी को समर्थन देकर स्पष्ट कर दिया कि वह उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनते देखना चाहती है। क्योंकि वे ही भारत का खोया हुआ गौरव वापस दिला सकते हैं।
-प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर, दिलसुखनगर (हैदराबाद)
घोटालेबाज कांग्रेस
कांग्रेस ने वोट हथियाने के लिए नारा तो राष्ट्र और जन निर्माण का दिया, लेकिन हकीकत में उसने घोटाले और देश विरोधी नीतियों को अपनाकर देश का वेड़ा गर्क कर दिया है।
-नामदेव सिंह, मालकोठी रोड-कटिहार(बिहार)
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