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आवरण कथा संबंधित आंकड़े |
यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। 16 मई को देश के16वें प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के नाम पर स्पष्ट बहुमत की मुहर लगाने वाले 16वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों ने जहां चुनावी पंडितों के कयासों को कमोबेश सही साबित किया वहीं राजनीतिक दलों के बड़े बड़े नेताओं के आंकड़े धराशायी कर दिए। आजादी के बाद के शायद सबसे अहम रहे इन चुनावों पर देशी-विदेशी मीडिया पैनी नजर गढ़ाए था, क्योंकि ये चुनाव उस यूपीए के कालिख पुते 10 साल के शासन से त्रस्त भारत की जनता के भाग्य का फैसला करने वाले थे। 16 मई की सुबह 8 बजे से ईवीएम के आंकड़े जहां भाजपा और राजग की उत्तरोत्तर बढ़त दिखाते गए वहीं कांग्रेस इतिहास में अपनी शर्मनाक पराजय की ओर बढ़ती गई। गठबंधन की बात करें तो भाजपा नीत राजग तमाम रिकार्ड तोड़ते हुए आगे बढ़ता गया तो कांग्रेस नीत यूपीए पानी पानी होता गया। आंकड़े देखें तो 16 मई की देर रात तक आए नतीजों और रुझाानों को मिलाकर भाजपा अकेले अपने दम पर 288 सीट जीत चुकी थी और कांग्रेस 50 से भी कम यानी 44 सीटें ही जीत पाई थी।
लहर तो थी। बेशक। 'अच्छे दिन आने वाले हैं' और 'अबकी बार मोदी सरकार' के नारे भारत के गली-चौबारों से कस्बों-देहातों और शहरों के मॉल-स्टालों तक ऐसे छाये कि बच्चे बच्चे की जुबान पर 'अबकी बार….' ही सुनाई देता था। सोशल मीडिया ने अपना जादुई असर दिखाया। चुनावी संदेश पलक झपकते लाखों मोबाइलों से होते हुए सात समंदर पार तक पहंुचे। मोदी का तिलिस्म सबको लुभाता गया और विकास के पर्याय की उनकी छवि ने देश के करोड़ों युवाओं के दिल में घर कर लिया। मोदी-मंत्र देश में आसेतु हिमाचल गूंजने लगा और इसी का नतीजा है कि लद्दाख से कन्याकुमारी तक और कच्छ से कामरूप तक भाजपा की जबरदस्त आंधी चली जिसमें हर क्षेत्र के, हर प्रांत के विपक्षी दिग्गज ढह गए, गढ़ों में सेंध लगी और किले ताश के महलों की मानिंद भरभराकर औंधे मुंह जा गिरे।
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महाराष्ट्र में शरद पवार हों या चव्हाण, सबकी चाल उल्टी पड़ी। भाजपा की आंधी से वहां की कांग्रेस-राकांपा सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कुल 48 सीटों में से भाजपा ने 23 और साथी शिवसेना ने 18 सीटें जीतकर राकांपा को 4 और कांग्रेस को 2 सीट पर समेट दिया। उत्तर प्रदेश में तो आगे पीछे के तमाम रिकार्ड टूट गए। राज्य की 80 सीटों में से भाजपा ने 71सीटें पाईं तो कांग्रेस राहुल और सोनिया की 2 ही सीटें जीत पाई। केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की तो बताते हैं जमानत ही जब्त हो गई। बिहार ने तो बड़बोले नीतीश कुमार को चेहरा दिखाने लायक ही नहीं छोड़ा। खुद को मुस्लिमों का रहनुमा दिखाने की झौंक में भाजपा और खासकर मोदी पर बेबुनियाद आरोप लगाने वाले नीतीश की जदयू को 2 सीटें मिलीं जबकि भाजपा 22 और उसकी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी को 6 सीटें हासिल हुई हैं। भाजपा की एक और सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 3 सीटें मिलीं। कांग्रेस को बिहार ने 2 सीटों पर ही समेट दिया। तमिलनाडु में भाजपा का पहली बार खाता खुला और उसने कन्याकुमारी की एक सीट जीती है। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नारे उछालने वाले फारुख और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला की बेहद किरकिरी हुई। उनकी पार्टी नेशनल कांफें्रस का खाता भी नहीं खुला जबकि भाजपा ने वहां 6 में से 3 सीटें जीतीं। दिल्ली, राजस्थान, गोवा और गुजरात में तो मोदी का जादू साफ झलका, जहां भाजपा ने सभी सीटें जीतकर रिकार्ड बनाया। कहना न होगा, 2014 का यह जनादेश भाजपा के उस संकल्प को मिला है जो उसने अपने घोषणापत्र में स्पष्ट लिखा और चुनावी रैलियों में देशभर के मतदाताओं से किया है, जो है सबका साथ, सबका विकास। भारत को सुराज की आस है, अच्छे दिनों की प्रतीक्षा है। सफर शुरू हो गया है। आगे के पृष्ठों पर प्रस्तुत हैं भाजपा द्वारा जीती सीटों के क्षेत्रवार आंकड़े।
– पाञ्चजन्य ब्यूरो
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