चौतरफा आक्रमण की चौसर
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

चौतरफा आक्रमण की चौसर

by
Apr 19, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 19 Apr 2014 15:23:27

.मीडिया के सहारे भारत में उथल-पुथल फैलाने में जुटी है माओवादी, चर्च और जिहाद की तिकड़ी

मोरेश्वर जोशी

पिछले 10-15 सालों से देश के हर हिस्से में बहुत बड़े अनुपात में मतान्तरण का काम जारी है। यह मुख्य रूप से हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए किया जा रहा है। वैसे तो तमाम चर्च किसी इमारत के दायरे में रहकर अपने काम से काम रखने वाले हुआ करते थे। लेकिन पिछले 15 साल से वे धीरे-धीरे आक्रामक होते गए हैं। ये लोग अचानक पूरे देश में किस तरह व्यापक रूप से सक्रिय हुए है, इस पर ह्यब्रेकिंग इंडियाह्ण पुस्तक ने पर्याप्त रोशनी डाली है। देश में अनेक स्थानों पर चर्च संगठनों के लोग माओवादी टोलियों के साथ दुर्गम स्थानों पर जाते हैं एवं चर्च के मिशनरी व माओवादी अपने अपने काम में जुट जाते हैं। ऐसे अनेक संदर्भ इस पुस्तक में आए हैं। ईसाई मिशनरी, जिहादी व माओवादी, ये तीनों घटक पीढि़यों से एक-दूसरे के शत्रु रहे हैं एवं पूरे विश्व में कहीं युद्घ तो कहीं शीतयुद्घ में रत हैं। फिर भीआपस मेंे ये शत्रु घटक यहां एकजुट हो रहे हैं। स्थानीय परिस्थिति के अनुसार उन देशों के घटकों पर विजय पाने के लिए परस्पर सहयोग की ये प्रक्रिया पूरे विश्व में उन्होंने सफल करके दिखाई है। भारत और पूर्व सोवियत संघ के विरोध में महासत्ताओं ने तब अफगानिस्तान में जिहादियों की ही मदद ली थी। भारत के नागालैंड एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्वतंत्र देश के लिए आंदोलन खड़ा करने हेतु बैप्टिस्ट चर्च एवं माओवादियों की मिलीजुली कार्रवाइयां चल रही हैं। विश्व के अनेक भागों में स्थानीय स्तर पर ऐसे गठबंधन किये गए हैं। भारत में हाल ही तक अविश्वसनीय प्रतीत होने वाली गतिविधियां गहरी पैठ बना चुकी हैं एवं अपने विशाल एजेंडे पर चल रही हैं। इसका पूरा मानचित्र इस पुस्तक के कारण अत्यंत व्यापक रूप में सामने आ रहा है। इस सबका प्रमुख कारण है स्थानीय जनता का दुर्लक्ष और सत्ताधीशों द्वारा घुसपैठियों के लिए अनुकूल नीति अपनाना।
ईसाई मतान्तरण राष्ट्रांतरण ही होता है, यह पूरे विश्व का अनुभव है। पिछले पांच सौ वषोंर् में पूरे विश्व की महासत्ताएं इसी प्रक्रिया से जमी हैं। ऐसे मतान्तरण का राष्ट्रीय स्तर पर विरोध करने जैसा राजनीतिक वातावरण आज नहीं है। रा़ स्व़ संघ परिवार के अनेक संगठन इसका पूरी शक्ती से विरोध कर रहे हैं। अन्य अनेक संगठन अपने अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन आक्रमण जितना व्यापक है उसकी तुलना में यह काम सीमित है। ह्यब्रेकिंग इंडियाह्ण पुस्तक ने इस मतान्तरण के लिए पूरक घटक एवं अपने आसपास के अनेक घटकों से परिचित कराया है। पिछले एक हजार वर्ष में जो आक्रामक घटक थे, वही आज संगठित आक्रामक बने हुए हैं। यूरोपीय, जिहादी एवं मंगोलिया के मंगोल, मंगोल यद्यपि जिहादी थे लेकिन उनकी आक्रामकता अधिक तीव्र थी, इन तीनों घटकों की आक्रामकता एवं आज के संदर्भ में आक्रामकता, इनमें एक महवपूर्ण समानता है, वह यह कि इस आक्रामकता का खासा विरोध होता नहीं दिखता।
इस एक-दूसरे को मदद करने की प्रक्रिया के कारण उसका दायरा व्यापक है। ये घटक अपने अपने देश में काम कर ही रहे हैं। लेकिन उनके काम में जो ह्यएक्स्पोर्ट क्वालिटीह्ण है उसमें सबसे समान चीज है-उग्रवादी। हमें इस आक्रमण के जो पहलू समझने हैं उनमें है कि, उनकी साजिश कैसे काम करती है। इसमें भी कुछ खासियत दिखती है। इस काम में अगुआई अमरीकी विश्वविद्यालयों ने की थी। देश विदेश की सभ्यताओं का अध्ययन करने हेतु अमरीकी विश्वविद्यालयों में खास विभाग शुरू किए गए, उनमें कुछ युवाओं को छात्रवृत्तियां दी गईं। उसी से यह सिलसिला शुरू हुआ था।
ये जानकारी केवल उदाहरण के लिए है। लेकिन जिन विश्वविद्यालयों में ऐसे कामों की सौ सौ वर्ष की पृष्ठभूमि है, उनमें आज संपूर्ण अमरीका, भारत पर कुछ शताब्दियों तक राज्य करने वाला ब्रिटेन एवं अधिकांश यूरोपीय देश अकेले एवं स्वतंत्र रूप से इस काम में लगे हैं। उनके मत में, स्वतंत्रता के बाद भारत में अभी भी अव्यवस्था है। लेकिन एक बार यहां उपरोक्त विभाजनवादी, उग्रवादी एवं घुसपैठियों को शत्रु मानने वाली सरकार एवं संगठन अपने राष्ट्रनिर्माण के काम में स्थिर हो गए, तो वहां विभाजनवादियों का काम करना कठिन हो जाएगा, इसलिए यह विषय कई पहलुओं से समझ लेना आवश्यक है। इसलिए अध्ययनकर्ताओं को संगठित रूप से आगे आने की आवश्यकता है। ह्यब्रेकिंग इंडियाह्ण पुस्तक के आने के बाद भारत एवं पूरे विश्व में एक विचार मंथन शुरू हुआ है। इस पुस्तक की तरह अनेक दूसरे प्रयास भी सामने आ रहे हैं। किसी भी देश के बंदरगाह अथवा विशाल सागर तटों पर अनेक माफिया सक्रिय होते हैं। बिना कर दिए माल लाना एवं उसे देश में फैलाना, यही उनका उद्देश्य होता है। कोई संस्था अथवा पंथ का अनुयायी उनसे मदद मांगे, तो वे मदद देने को तैयार होते हैं। ऐसे समय में वे पांथिक प्रवृत्ति के प्रतीत होते हैं। लेकिन तस्करी के लिए वे किसी की भी मदद लेने के लिए तैयार हो जाते हैं। जो मदद करे वह मित्र एवं जो विरोध करे वह शत्रु, यह उनका सीधा हिसाब होता है। उन सबका अपना मताभिमान होता है, लेकिन कारोबार को लेकर वे कुछ भी करने को तैयार होते हैं। इस लेख में इन माफियाओं का उदाहरण देने का कारण है यह दिखाना कि जैसे भिन्न उद्देश्य रखने वाले ये लोग ऐसे कामों के लिए संगठित होते हैं, इन आक्रामक घटकों का एकत्र आना भी कुछ वैसा ही है। इस पुस्तक के 18वें अध्याय में दोनों तरफ के काम में माहिर लोगों एवं संस्थाओं की सूची दी गई है। ये सूची जिस तरह इवांजेलिस्ट लोगों एवं संस्थाओं की है, वैसी ही जिहादी एवं माओवादियों की भी है। इनमें से अनेक नाम हमारे मीडिया में आएदिन आ रहे हैं। इन लोगों के जो संयुक्त काम होते हैं उनकी जानकारी उन संगठनों के वरिष्ठों तक को भी नहीं होती। एक बार इस सूची का स्वरूप समझ आने पर हर प्रांत में कौन कौन ऐसे लोग होंगे, इस बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है।
इनमें से एक महत्वपूर्ण नाम है डा़ विशाल मंगलवाडी। प्रदीप निनान थामस, रवी जकरिया, विजय प्रसाद का भी उल्लेख अपरिहार्य है। ये लोग इस मूल संकल्पना के जनक नहीं हैं और इतिहास जिनकी जानकारी ले, ऐसे षड्यंत्री काम भी इन लोगों के नहीं हैं। लेकिन अगले तीस पैंतीस वर्ष में इन तीन उग्रवादी संगठनों का काम किस तरह का होगा, इनके काम देखने से इसकी झलक मिलती है। माओवादी एवं चर्च के एकत्र आने का उत्तर-पूर्व भारत के नागालैंड एवं अन्य हिस्सों के बाद महत्वपूर्ण उदाहरण है ओडिशा। नागालैंड जैसे दुर्गम प्रदेश के बाद मध्य भूमि में इस तरह संपूर्ण राज्य पर छा जाने का उदाहरण ओडिशा ही है। इस तरह की भूमिका सार्वजनिक रूप से ईसाई मिशनरी डा़ विशाल मंगलवाडी पूरे भारत एवं पूरे विश्व में फैला रहे हैं। गोरिल्ला सेना खड़ी करना किस तरह उपयोगी है, यही उनके अध्ययन का विषय है। इसी तरह विशाल पैमाने पर गोरिल्ला सेना बनाने की पद्घति विकसित करना, यही उनका कार्यक्रम है। यूरोप में ह्यहर कोई एक बंदूक देह्ण, यह अपील उनके प्रचार का हिस्सा होती है। तमिलनाडु राज्य के दुर्गम हिस्सों की जातियां एवं टोलियों का संबंध अमरीका की प्रणालियों से स्थापित करना, यह प्रदीप निनान थामस की खासियत है। तमिलनाडु ऐसा राज्य है, जहां आर्य विरोधी वातावरण तैयार करने का काम पिछले तीन सौ वषोंर् से जारी है। वहां की राजनीति में भी इवांजेलिस्ट संगठनों का अत्यधिक सहभाग होता है। इसमें दुर्गम हिस्सों की जातियों एवं संगठनों को अमरीका से जोड़ने का काम प्रदीप थामस ने किया है। रवि जकरिया इसी कड़ी के एक इवांजेलिस्ट हैं, लेकिन उनका ज्यादा काम कम्युनिस्टों के साथ है। एक तरफ भारत में सफेदपोश माओवादियों से दोस्ती एवं दूसरी तरफ अमरीका एवं यूरोप में भारत में चर्च बनाने के लिए मदद इकट्ठी करना, ये तत्व ये ही काम करते हैं। ह्यबाय ए चर्च ऑर बिल्ड ए चर्च इन इंडियाह्ण मुहिम के तहत उन्होंने काफी पैर फैला लिए हैं।
ऐसे तत्वोंं के साथ मिलकर सीआईए के लिए काम करने वाला चर्च संगठन है वर्ल्ड विजन। इसने अमरीका को संपूर्ण विश्व में स्थानीय स्तर पर प्रणालियां बनाकर दी हैं। जिहादी, माओवादी और चर्च में समान स्वभाव यह है कि अपने अपने देश में वे शांत होते हैं लेकिन विदेश में वे उग्रवादी ही होते हैं। ह्यगॉस्पेल फॉर एशियाह्ण की भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका स्पष्ट हो चुकी है। इन सबमें भारत के मीडिया की अति महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत के पचास प्रतिशत से अधिक मीडिया समूहों में चर्च का पैसा लगा है। वैश्विक स्तर पर पत्रकारिता की शुरुआत ही ईसाई मत प्रचार हेतु हुई थी, शायद वह सूत्र आज भी कायम है। हमारे यहां मीडिया पर काम करना यानी अपने विषय उसमें रखना, इतना ही मान लिया जाता है। लेकिन समाज पर परोक्ष रूप से नियंत्रण रखने हेतु मीडिया का अत्यंत गहनता के साथ अध्ययन किया जाता है। इनमें से कुछ बारीकियों पर हम आगे चर्चा करेंगे।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वाले 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies