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'संयम एवं साधना से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य के अंदर सुषुप्त अवस्था में अपार शक्ति छुपी हुई है, उसे श्रम और साधना से जगाने की आवश्यकता है। ये विचार हैं देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या के। डॉ. पण्ड्या पिछले दिनों हरिद्वार में व्यक्तित्व परिष्कार कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। डॉ. पण्ड्या ने चार संयम के बारे में बताते हुए कहा कि समय संयमों द्वारा जीवन को सुव्यस्थित बनाया जाता है, तो अर्थ संयम से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की जा सकती है। इसी तरह इन्द्रिय संयम से शरीर पुष्ट होता है और व्यक्तित्व परिष्कार में सहायता मिलती है, तो विचार संयम से कल्पना शक्ति एवं विवेक शक्ति का विकास होता है। कार्यशाला में पूरे देश से आए अभियंताओं, उद्योग जगत के अधिकारियों और पत्रकारों ने भाग लिया।
संस्था की अधिष्ठात्री शैल दीदी ने आत्मीयता एवं सहकारिता के विकास पर बल देते हुए कहा कि इससे जहां पारिवारिक व सामाजिक जीवन में खुशहाली आती है, वहीं पारस्परिक सहयोग से जीवन आनन्दपूर्ण बनता है। प्रतिनिधि
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