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स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या के आरोपी पादरी अजय कुमार सिंह का सम्मान प्रकरण
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को लेकर इन दिनों कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इनमें से एक सवाल है कि क्या अल्पसंख्यक आयोग का काम केवल हिन्दुओं को चिढ़ाना है? उल्लेखनीय है कि गत 5 जुलाई को नई दिल्ली में अल्पसंख्यक आयोग ने कंधमाल (ओडिशा) जिले के एक पादरी अजय कुमार सिंह को सम्मानित किया है। इस पादरी पर कई गंभीर आरोप हैं। पहला आरोप तो है स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या का। जिस व्यक्ति पर स्वामी लक्ष्मणानन्द जैसे समाजसुधारक की हत्या का आरोप लगा हो उसको सम्मानित कर अल्पसंख्यक आयोग क्या जताना चाहता है? इस पादरी पर ओडिशा में वनवासियों की जमीन हड़पने का भी आरोप है। उस पर लोगों को जबरन ईसाई बनाने के भी आरोप हैं। इन आरोपों को देखते हुए ही कंधमाल के जिलाधीश बी.एस. पूनिया ने गत माह आयोग को भेजी अपनी रपट में लिखा था कि यदि पादरी अजय कुमार सिंह को सम्मानित किया गया तो जिले में साम्प्रदायिक सौहार्द पर विपरीत असर पड़ सकता है। इसके बावजूद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग उस पादरी को सम्मानित किया। जबकि अल्पसंख्यक मंत्रालय की हिदायत है कि अल्पसंख्यक आयोग उसी को सम्मानित करे जिसके बहुसंख्यकों के साथ मधुर संबंध हों। इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद् ने इस पादरी के सम्मान का विरोध किया है।
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