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ध्वस्त केदारनाथ के बीच सुरक्षित बचे ऐतिहासिक मंदिर के भीतर तक भरे मलबे, शवों के ढेर और उनके विखण्डन से महामारी के खतरे के बीच भी विधि-विधानपूर्वक पूजा कराने की कुछ संतों की मांग ने आस्था पर चोट पहुंचाई है। संत स्वरूपानंद जी का कहना है कि केदारनाथ मंदिर के रावल (महंत) ने वहां से नीचे आकर और 4 दिन बाद ऊखीमठ (जहां शीतकाल में केदारनाथ भगवान की पूजा होती है।) में पूजा शुरू कराने का पाप किया है। उन्हें पद से हटा देना चाहिए और मंदिर पर संतों का नियंत्रण होना चाहिए। इस पर भड़के केदारनाथ मंदिर के मुख्य महंत भीमाशंकर लिंग ने कहा कि मंदिर के भीतर भी कुछ लोगों की जानें गयीं, अनेक पुजारी और पंडों का भी अभी तक पता नहीं। ऐसे में हम अपनी ऐतिहासिक परम्परा के अनुसार जो भी कर रहे हैं, उसमें किसी को बोलने का हक नहीं। शुद्धिकरण के पश्चात मंदिर में जाने लायक जब भी उचित काल निर्धारित होगा, तभी वहां फिर पूजा शुरू होगी।
केदारनाथ की क्या कहें, पूरी तरह सुरक्षित बचे बद्रीनाथ मंदिर में ही इन दिनों श्रद्धालुओं की संख्या नगण्य है। 17 जून के बाद दो दिन तक तो दो श्रद्धालुओं ने बड़ी पूजा कराई, फिर अगले दो दिन मंदिर समिति ने अपने खर्च से नारायण का महाभिषेक किया, क्योंकि वहां फंसे श्रद्धालुओं की हालत अब ऐसी नहीं थी। बद्रीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी पं. भुवन चन्द उनियाल के माथे पर चिंता की लकीरें, कि अब कैसे होगा नारायण का महाभिषेक। ईश्वर ने ही उनकी सुनी और उसी दिन दोबारा चालू हुई बीएसएनएल की मोबाइल सेवा के बाद उन्हें पहला फोन आया कोलकाता के एक समृद्ध श्रद्धालु संदीप अग्रवाल का। उन्होंने मंदिर की स्थिति पूछी और कहा कि नारायण का महाभिषेक नहीं रुकना चाहिए। प्रतिदिन के 8,101 रु. के हिसाब से मेरे नाम की पर्ची काटते रहिए। जिस दिन कोई अन्य श्रद्धालु महाभिषेक के लिए दान दे उस दिन को छोड़कर शीतकालीन कपाट बंद होने तक, जब भी कोई महाभिषेक न करा पाए, मेरे नाम से महाभिषेक कराइये। सारा पैसा मैं यहीं से मंदिर के बैंक खाते में डाल दूंगा। शाम की आरती के लिए 2100 रु. प्रतिदिन के हिसाब से बरेली के प्रभात टंडन ने लगातार भेजने की सूचना भिजवाई। अब बद्रीनाथ में पूजा निरन्तर जारी है। 4 जुलाई को मंदिर के धर्माधिकारी श्री उनियाल ने फोन पर बताया कि तीर्थयात्रियों के निकल जाने के बाद अब स्थानीय लोग भी नीचे अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। 5-7 दिन में मंदिर के पुजारी व कुछ कर्मचारी सहित हम 15-17 लोग ही यहां रह जाएंगे। ऐसा लगता नहीं कि इस वर्ष दोबारा श्रद्धालु यहां आ सकेंगे।
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