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अमरीकी रक्षा जासूसी की परतें उघाड़ने वाला अमरीका की राष्ट्रीय रक्षा एजेंसी (एनआईए) का पूर्व कर्मी एडवर्ड स्नोडन कई दिनों तक मास्को शेरमेत्येवो हवाई अड्डे पर डेरा डाले रहने के बाद कितने ही देशों से शरण मांग चुका है। लेकिन बेमतलब में अमरीकी नाराजगी मोल लेने से बचते हुए ज्यादातर देशों ने स्नोडन की शरण की दरख्वास्त ठुकरा दी। भारत सरकार ने भी उसे न कह दिया है। दिलचस्प बात यह है कि व्हिसल ब्लोअर विकीलीक्स स्नोडन के साथ खड़ा है और उसकी 20 देशों से शरण मांगने की अर्जी भी विकीलीक्स की कानूनी सलाहकार सारा हैरिसन ने रूसी दूतावास अधिकारी के हवाले की थी। इतना ही नहीं, सारा ने ऐसे दस्तावेज भी दिए जिनमें बताया गया था कि स्नोडन को अमरीका जाने पर क्या क्या खतरा झेलना पड़ सकता है। जिन देशों से स्नोडन ने पनाह मांगी थी उनमें अमरीका के 'नाटो' साथी भी थे। स्नोडन के पनाह मांगे जाने की खबर पाते ही अमरीका ने तमाम देशों को खबरदार कर दिया कि उसके वांछित आदमी को कोई पनाह न दे। फिर क्या था, एक के बाद एक इनकार आने लगे। भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने साफ कहा कि बारीकी से जांच के बाद तय पाया गया कि स्नोडन की दरख्वास्त मानने की कोई वजह नहीं है। सबसे पहले तो स्नोडन ने हवाई अड्डे पर बैठे बैठे रूस से ही शरण देने की अपील की थी, पर राष्ट्रपति पुतिन ने दो टूक कहा कि स्नोडन को अमरीकी हितों को चोट पहुंचाने से बाज आना चाहिए। पर स्नोडन भी, इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कदम खींचने को तैयार नहीं है।
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