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दादा की बत्तीसी गायब
दादी थोड़ा ऊंचा सुनतीं।
नाना हरदम चश्मा टांगें
नानी दिनभर माला जपतीं।।
पापा बात–बात पर बिगड़ें
मम्मी कुछ बातूनी ज्यादा।
चाचा 'नंबर' वन के लोभी
चाची करतीं झूठा वादा।।
मामा चापलूस मम्मी के
मामी देतीं शिक्षा केवल।
मौसा बातों से बहलाते
मौसी खाती रहतीं हर पल।।
भइया रोब जमाएं अपना
दीदी झक्की है, वहमी है।
मुन्ना–मुन्नी ऊधम मचाते
सबमें थोड़ी–बहुत कमी है।।
घमंडीलाल अग्रवाल
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