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24 जून की रात राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट, तिलक मार्ग, कस्तूरबा गांधी मार्ग, संसद मार्ग जैसे बेहद सुरक्षित इलाकों में ही नहीं, तमाम रिहायशी इलाकों में भी 11 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक शबे-बारात के मतवाले मुस्लिम युवकों ने अपनी मोटर साइकिलों के साथ जमकर उत्पात मचाया। उन्होंने न केवल एक मोटर साइकिल -स्कूटर पर तीन-तीन सवार होकर, सिर पर हेल्मेट नहीं, अपनी मजहबी टोपियां पहनकर यातायात के हर कानून का मखौल उड़ाया, बल्कि यातायात पुलिस की नाकेबंदियों को धता बताते हुए पुलिस वालों से ही बदतमीजी की। हालात बेकाबू होते देख कहीं कहीं हल्का लाठीचार्ज किया तो पुलिस वालों से ही तू तू -मैं मैं और हाथपाई करने लगे। रिहायशी इलाकों में लोग नींद में घबड़ाकर उठ बैठे कि सड़क पर अचानक यह तेज दौड़ती मोटर साइकिलों-स्कूटरों के साथ हो-हल्ले की आवाज कैसी। ये मुस्लिम युवक सड़क पर अपने घर लौटने के लिए बस वगैरह का इंतजार कर रहे आम लोगों पर ओछी फब्तियां कसते, महिलाओं को देख असभ्य भाषा में चिल्लाते, लोगों की गाड़ियों को तोड़ते रात भर हुड़दंग मचाते रहे।
क्या किसी मुस्लिम त्योहार के माने ये हैं कि आप सार्वजनिक रूप से जो चाहें करें, जिसका चाहे अपमान करें, कानून की धज्जियां उड़ाएं? 'देश के संसाधनों पर पहले हक' के माने क्या ये हैं कि उनको कोई रोकने-टोकने वाला न हो?
रिहायशी इलाकों के अलावा यह बावेला उन इलाकों में खूब हुआ जहां जाने कौन कौन सी श्रेणियों की सुरक्षा पाए नेता लोग रहते हैं। इंडिया गेट पर तो रात सवा दो बजे उत्पाती मुस्लिम युवकों ने तैनात पुलिस वालों पर पत्थर बरसाए। बहरहाल, दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त (यातायात) अनिल शुक्ला ने बस इतना ही कहा कि, उन्होंने कानून तोड़ा तो हमने 65 चालान काट दिए। बस! (देखें, बाक्स)।
कहना न होगा, जब मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने पूरे मामले की रपट मंगाई हो तो पुलिस महकमा यूं भी उत्पातियों की पहचान खुलकर क्यों बताएगा। क्योंकि सब जानते हैं, शीला सरकार कांग्रेस की है, कांग्रेस सेकुलर है, सेकुलर के मायने मुस्लिम परस्ती है, मुस्लिम परस्ती के मायने चुनावी गणित है। तो फिर जो होता है सो तो हुआ ही है।
आलोक गोस्वामी
दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त (यातायात) अनिल शुक्ला ने कहा–
कानून के तहत चालान कर सकते हैं, हवालात में तो बंद नहीं कर सकते
25 जून को दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त (यातायात) अनिल शुक्ला से हुई बातचीत के अंश
दिल्ली में 24 जून की रात लोगों ने स्कूटर–मोटर साइकिलों पर बैठकर हुड़दंग मचाया, आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
लोग माने? ये कौन लोग हैं, वह बताइए पहले।
वही हम जानना चाह रहे हैं……
नहीं, पहले आप बताइए न।
मीडिया में जो फोटो छपी हैं……
कौन लोग हैं वे? क्या यह रोज होता है?
वही तो, कौन लोग हैं?
आप बताइए न।
रोज तो ऐसा नहीं होता……
नहीं होता न, तो कल क्यों हुआ?
आप मुझसे पूछ रहे हैं, आप ही बताइए न।
ज्यादातर अखबारों ने तो उन्हें 'बाइकर्स' लिखा है। पर 'बाइकर्स' के तो क्लब हैं।
तो…. ये 'बाइकर्स' नहीं हैं? 'बाइकर्स' को तो…. ज्यादा अंग्रेजी नहीं आती न हम लोगों को, तो जो 'बाइक' चलाता है, वह 'बाइकर्स' हो गया।
लेकिन क्या कल रात शबे–बारात मनाई जा रही थी? वे सब मुस्लिम युवक थे?
आप जानते हैं तो फिर पूछ क्यों रहे हैं? असली बात तो वही है।
आप इस तरह से हुड़दंग मचाने की छूट दे देते हैं क्या?
नहीं, हमने चालान किए हैं?
कितने चालान किए हैं?
हमने कल रात ढाई सौ से ज्यादा चालान किए हैं। 65 मोटरसाइकिलें जब्त की हैं। इसमें खतरनाक ड्राइविंग के चालान भी किए हैं, बिना हेल्मेट और तिहरी सवारी के चालान किए हैं। एक मामले में गंभीर दुर्घटना भी हुई, जिसमें एक आदमी की मृत्यु हुई है।
किस इलाके में ज्यादा चालान किए गए हैं?
हर जगह चालन किए हैं। दक्षिणी क्षेत्र में 93, मध्य क्षेत्र में 97, पश्चिमी क्षेत्र में 28 और पूर्वी क्षेत्र में 13 चालान किए गए। 65 गाड़ियां कनाट प्लेस, संसद मार्ग, तिलक मार्ग इलाकों में जब्त की हैं।
ये ज्यादातर दोपहिया ही हैं?
जी
अगले साल इस मौके पर ऐसा हुड़दंग न हो, क्या ऐसा कुछ उन हुड़दंगियों से कड़ाई से कहा गया है?
अगले साल क्या होगा, वह इस समय तो मैं नहीं बता सकता।
आपके इंस्पेक्टर ने उनके चालान काटते वक्त उनसे पूछा होगा कि वे ऐसा क्यों कर रहे थे, तो उन्होंने क्या कहा?
मैंने तो अपने इंस्पेक्टर से पूछा नहीं कि उन्होंने क्या सवाल किए और क्या जवाब दिए गए।
जब्त वाहनों के हुड़दंगियों से नरमी दिखाई जाएगी या कड़ाई?
आपको ऐसा लगता है कि हमने नरमी दिखाई है? जो कानून कहता है, उसके हिसाब से कार्रवाई होगी। खतरनाक ड्राइविंग में एक हजार रु. का चालान है तो उतना दण्ड होगा। लेकिन अगर आपका यह कहना है कि सबको हवालात में डाल दिया जाए, तो ऐसा तो नहीं हो सकता न। मैं ये कल रात के 'आंकड़े' दे रहा हूं। वैसे तो कल दिल्ली में 11 हजार चालान हुए हैं।
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