नक्सलियों और उनके आकाओं को सबक सिखाओ
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शीला को अभयदान क्यों?
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपने और अपनी पार्टी कांग्रेस के हित में जनता के धन को जमकर लूटा है। इसी पर आधारित रपट 'शीला सरकार ने डाला जनता की जेब पर डाका' यह भी कहती है कि इसके बावजूद शीला को पद से हटाया नहीं जा रहा है। इससे पहले शंगलू समिति ने भी राष्ट्रमंडल खेल के दौरान पानी की तरह बहाए गए पैसे को लेकर शीला दीक्षित पर कड़ी टिप्पणी की थी। फिर भी शीला को अभयदान मिल रहा है।
–बी. एल. सचदेवा
263, आई एन ए मार्केट
नई दिल्ली-110023
क्रांतिकारियों को नमन
विदेशों में आजादी की आवाज बुलन्द करने वाले क्रांतिकारियों के बारे में जानकारी देने के लिए पाञ्चजन्य परिवार को साधुवाद। बिल्कुल सही लिखा है कि गदर पार्टी के सौ साल पूरे हुए पर उसके बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं है। हमें आजादी हजारों वीरों की शहादत पर मिली है। किन्तु दुर्भाग्य से उन वीरों के बारे में हमें कोई जानकारी ही नहीं है। बच्चों को जो इतिहास पढ़ाया जाता है उनमें भी क्रांतिकारियों को उचित स्थान नहीं दिया गया है। कुछ नामी क्रांतिकारियों को जगह तो जरूर दी गई है पर उनके बारे में भी बहुत ही उथली जानकारी मिलती है। इतिहास की पुस्तकों में दुनिया के अन्य देशों के महापुरुषों की जानकारी तो मिल जाएगी पर अपने देश के महापुरुषों के बारे में जानकारी का अभाव होता है। यह भी एक विडम्बना ही है।
–विकास कुमार
शिवाजी नगर,वडा
जिला-थाणे(महाराष्ट्र)
उत्तर प्रदेश में 'अजमल'
पाञ्चजन्य में यह खबर पढ़कर बड़ा दु:ख हुआ कि उत्तर प्रदेश सरकार ने दंगे के आरोपी तौकीर रजा खान को हस्तकरघा और वस्त्र उद्योग विभाग में सलाहकार नियुक्त कर लाल बत्ती गाड़ी भेंट की है। इसके साथ ही ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार का एक ही उद्देश्य है कि हर संभव मुसलमानों को खुश करो और उनके वोट लो। शायद इस तरह की सरकारें यह भूल जाती हैं कि मुसलमान तब तक उनके साथ रहेंगे जब तक कि उत्तर प्रदेश में कोई मुस्लिम पार्टी मजबूत नहीं हो जाएगी। असम में बदरुद्दीन अजमल ने यह काम कर दिखाया है। असम के मुसलमानों को यह लगने लगा है कि अब उनके सब कुछ बदरुद्दीन अजमल ही हैं। लोग अनुमान लगाने लगे हैं कि आगामी कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में भी कोई बदरुद्दीन अजमल अवश्य पैदा होगा। इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुसलमान न तो सपा को पूछेंगे,न बसपा को और न ही कांग्रेस को। फिर उत्तर प्रदेश का क्या हाल होगा यह असम के हिन्दुओं से अभी भी पूछ सकते हैं।
–मनीष कुमार
तिलकामांझी, भागलपुर(बिहार)
आवरण कथा 'हताश नक्सलियों का बर्बर चेहरा' सचेत करती है कि अब नक्सलियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा न जाए। यह बात अब किसी से छुपी नहीं है कि नक्सली बन्दूक के बल पर सत्ता हथियाना चाहते हैं। यदि समय रहते इनकी कमर नहीं तोड़ी गई तो एक न एक दिन ये नक्सली भारतीय लोकतंत्र को कड़ी चुनौती देंगे। नेपाल में इन लोगों ने क्या किया है वह पूरी दुनिया के सामने है।
–दयाशंकर मिश्र
लोनी, गाजियाबाद (उ. प्र.)
o xÉCºÉ±ÉÒ इतने ताकतवर कैसे हो रहे हैं,उनके पास आधुनिक हथियार कहां से आ रहे हैं, उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण कौन दे रहा है? इन सबका पता आम आदमी को चलना चाहिए। जंगलों में न बन्दूक पैदा होती है और न ही पैसा। फिर जंगलों में कायर की तरह छिप कर रहने वाले नक्सलियों के पास यह सब आता कहां से है? जरूर इन्हें भारत विरोधी तत्वों का साथ मिल रहा है।
–ब्रजेश कुमार
गली सं-5, आर्य समाजरोड,मोतीहारी
जिला-पूर्वीचम्पारण 845401(बिहार)
o {ÉÉxÉÒ सिर के ऊपर से बह रहा है। अब विकास के नाम पर नक्सली हिंसा के बदलते इरादों को भांपना होगा। जब नक्सली सरकार बन कर खुद वनवासियों को अपनी गुलामी में रखना चाहते हों तब नक्सली हिंसा को खत्म करना ही सुरक्षा का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए। नक्सली हिंसा के रहते विकास नहीं हो सकता है। नक्सली और खूंखार हों उससे पहले ही उन्हें सबक सिखाना जरूरी है।
–हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड(म. प्र.)
o Eò½þÉ जाता है कि नक्सली किसी घटना को अंजाम देकर बीहड़ जंगलों मे छिप जाते हैं इसलिए उन्हें पकड़ना आसान नहीं है। क्या हमारे पास ऐसा कोई यंत्र नहीं है जो घने जंगलों के बीच नक्सली हरकत को पकड़ सके? अपने दुश्मनों का मुकाबला कैसे करेंगे? तकनीक की दुनिया में इस पीछे क्यों हैं?
–गणेश कुमार
पटना (बिहार)
o UôkÉÒºÉMÉgø में नक्सली यूं ही मजबूत नहीं हुए हैं। जब भी नक्सलियों के खिलाफ कोई अभियान चलाया गया तो किसी न किसी रूप में उसका विरोध कांग्रेस के ही नेताओं ने किया। किन्तु महेन्द्र कर्मा एक ऐसे कांग्रेसी नेता थे जो दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर इस सम्बन्ध में सोचते थे। उन्होंने नक्सलियों के विरुद्ध आवाज उठाई और लोगों को भी उनके खिलाफ जागरूक किया। नक्सलियों को पराजित करने का यह एक कारगर तरीका है।
–ठाकुर सूर्य प्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा,जिला-रतलाम-457222(म. प्र.)
o ½þ¨ÉÉ®úÒ सरकार की नीति ऐसी है कि गरीबों की जमीन छिनकर सड़कें बनाई जा रही हैं,उन सड़कों पर अमीरों की गाड़ियां सरपट दौड़ती हैं। गरीबों की जमीन पर ही बड़े-बड़े व्यापारिक केंद्र बनाए जा रहे हैं। पर इन सबसे आम आदमी को उतना फायदा नहीं हो रहा है जितना कि अमीरों को। गरीब आदमी की आय थोड़ी सी बढ़ती है पर महंगाई के कारण वह आय खत्म हो जाती है। नक्सली इस बात को भुना रहे हैं। वे लोगों से कहते हैं सरकार तुम लोगों के साथ छल कर रही है। तुम्हारे दु:ख-दर्द से सरकार को कोई मतलब नहीं है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
–महेशचंद गंगवार
नया बाजार,अजमेर(राजस्थान)
o xÉCºÉʱɪÉÉå को तो तथाकथित बुद्धिजीवियों और आधुनिक अंग्रेजों ने पाला-पोसा है। वे तो निरक्षर हैं। पैसा मिलता है इसलिए करतब दिखा जाते हैं। जब यह देश नक्सलियों के आकाओं को दुत्कारने लगेगा,उन्हें बेनकाब करने लगेगा तब ये नक्सली भी सही रास्ते पर आ जाएंगे। यह देश तो श्रीकृष्ण, श्रीराम, हरिश्चंद्र और पृथ्वीराज का रहा है। यहां नक्सली नहीं टिक पाएंगे।
–प्रो. बी. आर. ठाकुर
सी-115,संगम नगर
इन्दौर(म. प्र.)
o xÉCºÉʱɪÉÉå को समझना चाहिए कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं निकल सकता है। हिंसा तो समस्या को और बढ़ाती है। नक्सली जो कर रहे हैं वह राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है। किसी की जान लेना, किसी को भय दिखाकर अपने पाले में करना किसी भी तरह ठीक नहीं है।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया,
इन्दौर(म. प्र.)
पुरस्कृत पत्र
जब वहां से नक्सली भागे
जब भी कोई नक्सली हिंसा होती है तो यह बात सुनने और पढ़ने को मिलती है कि नक्सलियों को स्थानीय लोगों का समर्थन मिलता है, क्योंकि नक्सली उनकी हर समस्या का निदान करते हैं। उनके सुख-दु:ख में साथ रहते हैं। यह बात पूरी तरह झूठ है। नक्सली जबरन लोगों को अपने साथ करते हैं। मेरे कई रिश्तेदार नक्सलवाद प्रभावित मनिहारी इलाके में रहते हैं। हालांकि अब यह क्षेत्र नक्सलियों से मुक्त है। यह जगह झारखण्ड के गोड्डा जिले में पड़ती है। आज से करीब 15 साल पहले मनिहारी इलाके में नक्सलवाद चरम पर था। शाम होते ही पूरे इलाके में सन्नाटा छा जाता था। उस इलाके में लोग जाना भी पसन्द नहीं करते थे। ऐसा भय छा गया था कि लोग अपनी बेटी या बेटे का विवाह भी उस इलाके में नहीं करना चाहते थे। पहले हर गांव से एक-दो लड़कों को लालच देकर नक्सली बनाया गया था। शाम होते ही यही लड़के पूरे गांव के लोगों को फरमान सुनाते थे कि रात के इतने बजे अमुक जगह सभा होने वाली है और उसमें बच्चों को छोड़कर सभी को जाना है। यह भी कहा जाता था कि जो सभा में नहीं जायेगा उसको मार दिया जाएगा। लोग डर से परिवार सहित वहां पहुंच जाते थे। जब भी किसी ने इसकी खबर पुलिस को दी तो उसकी हत्या कर दी गई। इसलिए लोग पुलिस को भी कुछ नहीं बताते थे। रात के अंधेरे में सभा होती थी। सभा में नक्सलियों का नेता आता था जिसका मुंह कपड़े से ढका रहता था। वही वहां भाषण देता था और जरूरी हिदायतें भी। कभी किसी ग्रामीण को उस नेता का चेहरा नहीं दिखा। इन नक्सलियों ने जनता के बीच अपनी धाक जमाने के लिए इलाके के कई बदमाशों को मारा। पर जो बदमाश मारे जा रहे थे वे सभी हिन्दू थे,जबकि वह इलाका मुस्लिम बदमाशों को लेकर ज्यादा चर्चित रहता था। इससे लोगों में नक्सलियों को लेकर कुछ सन्देह हुआ। बाद में पता चला कि ये नक्सली पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आई एस आई के लिए काम कर रहे हैं। ये नक्सली धनवान हिन्दुओं से पैसा भी वसूलते थे और यह बात किसी को न बताने की हिदायत भी देते थे। इस कारण लोग परेशान होने लगे थे। फिर प्रशासन और इलाके के कुछ प्रभावशाली लोगों ने इन नक्सलियों को ललकारा। इस कारण कुछ लोगों ने अपनी जान भी गंवाई। किन्तु इस लड़ाई में उनका साथ स्थानीय लोगों ने भी दिया और अब वह पूरा इलाका शान्त है। नक्सली दुम दबाकर भाग चुके हैं।
–रामावतार महतो
एस क्यू-2,शिवालिक अपार्टमेंट
अलकनन्दा,कालकाजी
नई दिल्ली-110019
जिसकी जैसी भावना, उसके वही विचार
अपने अपने तर्क हैं, अपना है व्यवहार।
अपना है व्यवहार, हटा दीं देवी धारी
इसके कारण विपदाओं का क्रम है जारी।
कह 'प्रशांत' यह पश्चिम के विकास का मॉडल
इसने ही पहाड़ को कर डाला है घायल।।
–प्रशांत
पञ्चांग
वि.सं.2070 तिथि वार ई. सन् 2013
आषाढ़ कृष्ण 14 रवि 7 जुलाई, 2013
आषाढ़ अमावस्या सोम 8 ” “
आषाढ़ शुक्ल 1 मंगल 9 ” “
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” ” 4 शुक्र 12 ” “
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