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छात्रों के लिए यह समय है अपने आपको गढ़ने का, नए शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने का और नई राह चुनने का। आप अपने आपको कैसे गढ़ सकते हैं, नई राह कैसे पकड़ सकते हैं, अपने व्यक्तित्व का विकास कैसे कर सकते हैं, इन्हीं सबको समेटता हुआ एक विशेष आलेख।
अलग पहचान बनाएं
आमतौर पर व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति की शारीरिक रचना, वेशभूषा और रंग-रूप से लगाया जाता है। साथ ही जो व्यक्ति अपने बाह्य गुणों के जरिए दूसरे व्यक्ति को जितना अधिक प्रभावित कर लेता है उसका व्यक्तित्व उतना ही अच्छा और प्रभावशाली माना जाता है। हालांकि बदलते परिवेश में अब व्यक्तित्व का आकलन व्यक्ति के आंतरिक और बाह्य गुणों दोनों के आधार पर किया जाने लगा है।
खुद को स्वस्थ रखें
व्यक्तित्व विकास के लिए एक स्वस्थ शरीर व मस्तिष्क बेहद जरूरी होता है। इसलिए सबसे पहले आप खुद को स्वस्थ और निरोग रखें। निश्चित तौर पर भागमभाग भरी दिनचर्या में लोग खुद के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। नतीजन उन्हें कई ऐसी परेशानियां घेर ले रही हैं जिन पर यदि समय रहते ध्यान दिया गया होता तो वे दूर हो सकती थीं। सुबह जल्दी उठकर टहलने जाएं, हल्का-फुल्का व्यायाम करें और खान-पान पर ध्यान दें। इससे न सिर्फ आप स्वस्थ रहेंगे बल्कि आपके अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क का वास होगा। यह भी जरूरी तथ्य है कि आप नाश्ते में क्या ले रहे हैं और दोपहर व रात के भोजन में आपकी थाली में क्या-क्या तत्व मौजूद हैं। जो भी खाएं समय से खाएं। नींद में कोई कोताही न बरतें क्योंकि इसका प्रतिकूल प्रभाव आपके शरीर पर पड़ेगा। नींद कम लेने पर आप तरोताजा दिखने की बजाए बुझे-बुझे दिखेंगे।
काम और आराम में संतुलन
दुनिया में हर किसी को काम करने के लिए 24 घंटे ही मिलते हैं। निश्चित तौर पर अपनी क्षमता और जिम्मेदारी से अधिक काम करना हमें जीवन में आगे ले जाता है लेकिन कहना गलत न होगा कि यदि हम आराम न करें तो उसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे काम पर पड़ता है। हमारे आसपास कई ऐसे लोग होंगे जो महज आठ घंटे काम करके ही वह परिणाम दे जाते हैं जिसे करने में औरों को 12 घंटे लगते हैं। बाकी बचे चार घंटे वे आराम या अपने लिए बचाते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम जरूरी चीजें पहले करने की आदत डालें और वरीयता क्रम में आगे बढ़ते जाएं। इसके लिए पहले हमें महत्वपूर्ण कार्यों की एक सूची बनानी होगी। जो काम पूरा हो जाए उसे सूची से हटा दें। ऐसा करने से जब भी आप सूची देखेंगे आपको संतुष्टि का अहसास होगा।
दूसरों की भी सुनें
जो भी बोलें उसमें प्रवाहता और शालीनता होनी चाहिए। शब्द भी ऐसे चुनें जो श्रोताओं को बांधे रखें। विशेषज्ञों की मानें तो एक अच्छा संवाद कौशल उसे माना जाता है जिसके अंतर्गत खुद के बोलने के अलावा दूसरे व्यक्ति की बातों को भी गौर से सुना जाए। यदि कोई और वक्ता बोल रहा है तो बीच-बीच में टिप्पणी करने की बजाए अंत में अपने विचार को सामने लाएं। साथ ही यदि वक्ता ने कोई अच्छी बात कही है तो उसे इसके लिए धन्यवाद दें और उसे अपने व्यक्तित्व विकास के क्रम में भी अपनाएं। यह सारी बातें एक ही दिन में नहीं सीखी जा सकतीं, बल्कि इसके लिए निरंतर अभ्यास और प्रयोग करने की जरूरत है।
समय व ऊर्जा नष्ट न करें
आपके आसपास कई सारी ऐसी चीजें होंगी जो आपके समय और ऊर्जा को नष्ट कर देती होंगी। जैसे कि कार्यालय में आप अक्सर गपशप, इंटरनेट अथवा फोन पर अपना वक्त खराब करते हैं। जबकि उतने समय में आप कई प्रभावी अथवा सार्थक काम कर सकते थे या आप अपनी ऊर्जा को किसी और कार्य में लगा सकते थे। आपके कार्यालय में कई ऐसे भी सहकर्मी होंगे जो दूसरों का समय नष्ट करते हों। ऐसी दिक्कतें कार्यस्थल और स्कूली जीवन दोनों ही जगहों पर आती हैं। इससे प्रगति रुकती है और अपने वरिष्ठों की निगाह में भी आपकी छवि गिरने लगती है। इन्हें जितनी जल्दी दूर कर दिया जाए उतना ही फायदेमंद होता है।
तनाव व डर को दूर भगाएं
पढ़ाई के दौरान परीक्षा में असफल होने या कम अंक आने का डर, अच्छे कॉलेज में दाखिला न मिलने पर करियर खराब होने का डर, किसी कारणवश नौकरी खोने का डर, कहीं दूसरी जगह नौकरी न मिलने का डर या पदोन्नति अथवा वेतन वृद्धि न होने का तनाव आदि कई ऐसी चीजें हैं जो इनसान का पीछा जीवन पर्यन्त करती हैं। इनसान चाहकर भी इससे पीछा नहीं छुडा सकता। लेकिन यह भी सत्य है कि बिना इससे पीछा छुड़ाए आप आगे बढ़ नहीं सकते हैं। इसके लिए आप अपने अंदर सकारात्मक भाव पैदा करें। सकारात्मक सोच की बदौलत खुद कोई रास्ता तलाश लेंगे।
समय का सदुपयोग करें
आप जहां भी रहें, खुद को सार्थक कामों में लगाएं रखें। इससे आपका हुनर निखरेगा और ज्ञान भी बढ़ेगा। घर, कॉलेज और कार्यालय जहां भी आपको खाली समय मिलता है उसे अपनी जरूरत के मुताबिक सदुपयोग करें।
दूसरों का आदर करें
आप गलत तरीके से सफलता हासिल कर या दूसरे की टांग खिंचाई कर भले ही सफलता के शिखर तक पहुंच जाएं पर आपकी छवि सिर्फ सफल व्यक्ति की बन सकती है। लेकिन आप सार्थक नहीं बन सकते और न ही आपका व्यक्तित्व किसी अन्य के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। आप अपने परिवेश में आने वाले व्यक्तियों के प्रति आदर व स्नेह का भाव रखें। जब आप दूसरों को सम्मान और आदर देंगे तो लोग भी आपके प्रति कृतज्ञता का भाव रखेंगे। आपका व्यक्तित्व तो निखरेगा ही, आपको शीर्ष पर बैठने की आत्मसंतुष्टि भी मिलेगी। आदर व सम्मान के साथ ही आता है अनुशासन का गुण। इसकी बदौलत आप अपने लक्ष्य के बारे में प्रतिबद्ध तो रहते ही हैं, साथ ही अपने कार्य सिध्दांतों और नैतिक मूल्यों के प्रति भी सचेत रहते ½éþ*n|ɺiÉÖÊiÉ: नमिता सिंह
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