हिन्दू संगठित हों
|
विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल का त्रिनिदाद–टोबेगो प्रवास के दौरान आह्वान
श्री अशोक सिंहल ने कहा कि विहिप ने भारत में हिन्दुओं की मतांतरण से रक्षा, अयोध्या के राम मंदिर के लिए आह्वान और हिन्दुओं के तीन मंदिरों– काशी का विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और अयोध्या के श्रीराम मंदिरों की मांग की।
विश्व हिन्दू परिषद और वर्ल्ड हिन्दू काउंसिल के संरक्षक श्री अशोक सिंहल विगत दिनों अपने 6 दिवसीय प्रवास पर त्रिनिदाद-टोबेगो
पहुंचे। प्रवास में उनके साथ स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद, विश्व हिन्दू परिषद के श्री आनंद मेहरा तथा ब्रह्म विद्या पीठम की सुश्री अनंदा और सुश्री विद्या भी रहीं। त्रिनिदाद-टोबेगो के पियारको हवाई अड्डे पहुंचने पर सनातन धर्म महासभा के महामंत्री श्री सत्यनारायण महाराज, विश्व हिन्दू परिषद, त्रिनिदाद-टोबेगो के अध्यक्ष श्री राज जादो एवं त्रिनिदाद-टोबेगो के खाद्य मंत्री श्री देवंत महाराज ने श्री सिंहल का स्वागत किया। सभी गण्यमान्यजन श्री सिंहल का स्वागत करने का आतुर दिखे। हवाई अड्डे से श्री सिंहल पुलिस की सुरक्षा में श्री राज जादो के घर के लिए रवाना हुए। त्रिनिदाद-टोबेगो के अपने सम्पूर्ण प्रवास के दौरान श्री सिंहल श्री राज जादो के घर ही ठहरे। श्री सिंहल ने प्रवास के दौरान अनेक सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया।
सनातन धर्म महासभा, त्रिनिदाद-टोबेगो के तत्वावधान में 22 अगस्त को श्री सिंहल के स्वागत में एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पंडित खेमराज व्यास की कथा के बाद स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद ने श्री सिंहल का विस्तृत परिचय कराया। परिचय में श्री सिंहल के जीवन और उनके संगठन कौशल पर विस्तार से प्रकाश डाला। स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद ने कहा 'श्री अशोक सिंहल हिन्दू हृदय सम्राट हैं। वे सम्पूर्ण विश्व के हिन्दू समाज की सहायता और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहते हैं'।
सनातन धर्म महासभा के महामंत्री श्री सत्यनारायण महाराज ने श्री सिंहल के साथ प्रथम भेंट का जिक्र करते हुए कहा 'प्रथम भेंट में ही मैं श्री सिंहल और उनकी सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए कार्य करने की क्षमता से प्रभावित हो गया था। वे वास्तव में एक मजबूत व्यक्ति हैं और मैं उनके गुणों का अनुकरण करूंगा। वे दुनिया की किसी भी सरकार के सामने अपनी राय और विचार प्रस्तुत करने में साहसी हैं'। अंत में श्री राज जादो ने धन्यवाद ज्ञापित किया और देश की हिन्दू गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
रेडियो जागृति, 102.7 एफ.एम., जोकि त्रिनिदाद-टोबेगो में 'वॉइस ऑफ द हिन्दूस' के नाम से प्रसिद्ध है, ने श्री सिंहल को साक्षात्कार के बुलाया। यहां श्री सिंहल से 1 घंटे तक भारत, पाकिस्तान, अमरीका, इंग्लैंड आदि देशों के हिन्दुओं के संबंध में चर्चा की गई। इस अवसर पर श्री सिंहल के साथ श्री सत्यनारायण महाराज और स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद भी उपस्थित थे। रेडियो जागृति पर हुए इस साक्षात्कार का त्रिनिदाद-टोबेगो सहित सम्पूर्ण विश्व में सीधा प्रसारण हुआ था।
23 अगस्त को श्री सिंहल के त्रिनिदाद-टोबेगो आगमन पर दत्तात्रेय योग केन्द्र द्वारा भव्य स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहां हनुमान जी की 85 फीट की मूर्ति है। केन्द्र में पहुंचने पर श्री सिंहल का ढोल-नगाड़े बजाकर भव्य स्वागत किया गया। ढोल-नगाड़ों के वादन द्वारा हुए भव्य स्वागत के बाद श्री सिंहल हनुमान जी की मूर्ति के निकट पहुंचे। यहां पंडित शिव कुमार ने पूजा संपन्न कराई। मूर्ति की परिक्रमा करने के बाद सभी प्रार्थना भवन की ओर चल पड़े। यहां दीप प्रज्ज्वलन के बाद स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद ने विश्व हिन्दू परिषद का इतिहास तथा इसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
इसके बाद श्री अशोक सिंहल ने विश्व हिन्दू परिषद की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विहिप ने भारत में हिन्दुओं की मतांतरण से रक्षा, अयोध्या के राम मंदिर के लिए आह्वान और हिन्दुओं के तीन मंदिरों- काशी का विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और अयोध्या के श्रीराम मंदिरों की मांग की। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं का गौरवशाली इतिहास वैदिक काल से लेकर प्राचीन युग तक था। श्री सिंहल ने कहा कि इतिहास में हिन्दुओं को बहुत संघर्ष करना पड़ा। मुगल काल में मुसलमानों ने हिन्दुओं पर खूब अत्याचार किए। ब्रिटिश काल में भी हिन्दुओं को ईसाई मिशनरियों से संघर्ष करना पड़ा। श्री सिंहल ने आह्वान किया कि हिन्दू वैश्विक दृष्टि के साथ हिन्दू संगठित हों, ताकि गुरु गोलवलकर और डा. हेडगेवार का स्वप्न साकार हो सके। कार्यक्रम से पूर्व पंडित सत्यनारायण शर्मा ने राम कथा का पाठ किया।
24 अगस्त की शाम सनातन महासभा ने श्री सिंहल के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया। कार्यक्रम में सरकार के योजना मंत्री श्री भोए तिवारी और खाद्य मंत्री श्री देवंत महाराज भी उपस्थित थे। दोनों मंत्रियों ने श्री सिंहल की प्रशंसा में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में वेस्ट इंडिज विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य डा. क्लीमेंट संकट भी उपस्थित थे। उन्होंने हिन्दू संस्कृति पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर श्री सिंहल ने कहा कि भारत आध्यात्मिक देश है, साम्प्रदायिक नहीं। उन्होंने कहा कि हम सब महान धर्म से संबंधित हैं जोकि सबसे प्राचीन है। दुनिया के सभी धर्मों को अन्य धर्मों को सम्मान देना सीखना चाहिए। सभी धर्म बराबर हैं इसलिए सभी को समान सम्मान मिलना चाहिए। 25 अगस्त को श्री अशोक सिंहल स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद के आश्रम ब्रह्म विद्या पीठम पहुंचे। यहां उन्होंने करीब आधा दिन बिताया। आश्रम में श्री सिंहल से मिलने के लिए अनेक प्रमुख लोगों का आगमन हुआ, जिन्होंने हिन्दू धर्म और हिन्दू समाज से संबंधित अनेक विषयों पर चर्चा की। श्री सिंहल के सम्पूर्ण प्रवास के दौरान त्रिनिदाद-टोबेगो में धर्म और संस्कृति के लिए कार्य करने वाले अनेक महत्वपूर्ण लोगों ने उनका सम्मान किया। प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ