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कांग्रेस का हाथ
कट्टरवादियों के साथ!
विदेशीकरण का सूत्रधार कौन?
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह अब तक की सबसे भ्रष्ट केन्द्र सरकार के कठपुतली मुखिया साबित हुए हैं। यही कारण है कि आज भारत महंगाई, आतंकवाद और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मकड़जाल में फंस कर छटपटा रहा है। 1991 में मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री बनते ही वैश्वीकरण और उदारीकरण द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हवाले करना प्रारंभ कर दिया था। इसके लिए उन्होंने भारतीय रुपये का अवमूल्यन कराया। 1991 में रु. का अवमूल्यन (गिरावट) 35 प्रतिशत तक हो गया। इससे विदेशी डालर का भाव इतना ही बढ़ गया। इन्होंने विदेशी वस्तुओं के आयात पर कर घटाया। इससे विदेशी कम्पनियों ने भारत में आकर भारतीय बाजार पर कब्जा करना प्रारंभ कर दिया। तब से अब तक 5 हजार से अधिक विदेशी कम्पनियां भारत आ चुकी हैं। इन विदेशी कम्पनियों को मुख्यत: 4 फायदों- निर्यात बढ़ाने, विदेशी पूंजी निवेश बढ़ाने, तकनीकी बढ़ाने व बेरोजगारी कम करने के नाम पर बुलाया गया। परन्तु हुआ इसका उल्टा। उन दिनों मनमोहन सिंह ने संसद में बताया था कि- 1991 से 1996 जून तक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा 96 हजार करोड़ रुपयों के निवेश के अनुबंध सरकार के साथ किये गये, परन्तु असली निवेश केवल 19 हजार सात सौ करोड़ रुपयों का किया गया। इसमें भी अधिकतर निवेश शेयर बाजार में किया गया, जो अस्थिर होता है। एक दूसरे प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री द्वारा बताया गया कि इन कम्पनियों द्वारा भारतीय बाजार से कमा कर बाहर भेजी रकम 34 हजार करोड़ रुपये थी। अर्थात् विदेशी निवेश से अधिक कमाकर बाहर भेजी गयी रकम। आखिर फायदा किसको हुआ? सत्यता यह है कि 1980 के दशक में अमरीका और यूरोप में भारी मन्दी का दौर चल रहा था, तो वे लोग भारत में निवेश क्यों और कैसे करते? बल्कि वे लोग तो भारत की पूंजी लूटने आये थे। उस समय भारत का राष्ट्रीय बजट ही 2.40 लाख करोड़ का तथा घरेलू बचत 2 लाख करोड़ की थी। तो फिर विदेशी निवेश के 19.7 हजार करोड़ की क्या हैसियत थी?
उनकी उदारीकरण नीति के भारी विरोध के बावजूद विदेशी निवेश के कारण भारतीय शेयर बाजार बढ़ता चला गया। लोगों ने अपनी सारी जमा पूंजी शेयरों में लगा दी। अचानक शेयर बाजार धड़ाम से गिर गया और लाखों लोगों का 70 हजार करोड़ रुपये लूट लिया गया। इससे हजारों भारतीय उद्योग बन्द हो गये। हर्षद मेहता उसका एक मोहरा भर साबित हुआ। इस पूरी लूट में अमरीका के सिटी बैंक की भूमिका अत्यन्त संदिग्ध पायी गयी और उसे भारत से बन्द कर देने की मांग उठी। परन्तु वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने उसका पक्ष लेते हुए ऐसा करने से मना कर दिया।
उदारीकरण के बाद भारत में घोटाले बढ़ते ही रहे हैं। अर्थशास्त्री लारेंस समर्स भारतीय उदारीकरण के प्रारंभिक चरणों में विश्व बैंक के अध्यक्ष थे। उस समय उन्होंने अपने कुछ अधिकारियों को पत्र लिखा कि, 'उदारीकरण (भारतीय) का फायदा उठाकर सभी विकसित देशों का खतरनाक रासायनिक कचरा भारत भेज देना चाहिए, क्योंकि भारत में व्यक्ति की जिन्दगी और मौत की कीमत बहुत कम है।' इसके बाद अमरीकी कम्पनी पेप्सीकोला ने 10 हजार मीट्रिक टन रासायनिक कूड़े को भारत में दबाने का समझौता किया, जो सबसे पहले चेन्नई के पास एक गांव में दबाया गया। उसके बाद केरल के वाइपीन द्वीप पर। इसके बाद तो भारत सरकार द्वारा हजारों विदेशी कम्पनियों से ऐसे समझौते किये गये। उदारीकरण और विदेशी निवेश के कारण भारत का लघु, स्थानीय व कुटीर उद्योग- बिस्कुट, नमकीन, नमक, तेल, चटनी, पापड़, साबुन, पेस्ट, शरबत, आटा, कपड़े, सौन्दर्य प्रसाधन, टाफी-चाकलेट, आइसक्रीम आदि तक समाप्त होकर विदेशियों के हाथ में पहुंच चुके हैं। शायद आज सत्ता की स्थिति भी कुछ इसी प्रकार हो चुकी है। कहीं भारतीय सत्ता का विदेशीकरण व निवेशीकरण तो नहीं हो गया है?
–डा. सुशील गुप्ता
शालीमार गार्डन कालोनी, बेहट बस स्टैण्ड, सहारनपुर (उ.प्र.)
आवरण कथा में शिवानी ओक की रपट 'मुम्बई में जिहादी आग' और मंथन में श्री देवेन्द्र स्वरूप का विचारोत्तेजक लेख 'दूसरे विभाजन के कगार पर देश?' तथ्यपूर्ण हैं। मुम्बई हिंसा ने यह सोचने को मजबूर कर दिया कि ऐसी हरकतें कब तक बर्दाश्त की जाएंगी? पंथनिरपेक्षता का गगनभेदी नारा बुलंद करने वाली कांग्रेस और उसकी सरकारें कट्टरवाद और मजहबी उन्माद को खामोशी से देखती रही हैं। देश को जिस सामाजिक अराजकता की ओर धकेला जा रहा है उसका एक बड़ा कारण सत्ता और वोट का गणित है।
–मनोहर 'मंजुल'
पिपल्या बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़-451225 (म.प्र.)
मुम्बई हिंसा के आरोप में उन छुटभैयों को पकड़ा जा रहा है, जो कट्टरता के कारण 'अंधे' हो चुके हैं। उनसे जो कहा जाता है वही वे करते हैं। ऐसे लोगों को जो मतान्ध बना रहे हैं और हिंसा के लिए उकसा रहे हैं, उन लोगों को पकड़ा जाना चाहिए। आजाद मैदान में जब हिंसा हो रही थी उस समय वहां महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री भी उपस्थित थे। उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
–गणेश कुमार
कंकड़बाग, पटना (बिहार)
मुम्बई हिंसा के लिए कायर एवं कमजोर केन्द्र सरकार जिम्मेदार है। लेकिन भविष्य को लेकर सच्चे भारतीयों की चिन्ता स्वाभाविक है। हम अपने भविष्य के प्रति लापरवाह हैं। हिन्दू समाज अनेक बिरादरियों में बंटा हुआ है। हिन्दू एकता में बिरादरी बाधा न बने। यह भी विचार करना होगा कि अपने जो लोग किसी कारणवश मतान्तरित हो गए हैं, उन्हें अपने साथ कैसे जोड़कर रखा जाए। ऐसा करने से देश के दुश्मनों की ताकत कम होगी।
–सत्येन्द्र प्रसाद जैन
सी-2/303, यमुना विहार, दिल्ली-110053
कुछ दिन पहले समाचार आया था कि नागपुर में 2000 पाकिस्तानी मुस्लिम रह रहे हें। इनकी वीजा-अवधि बहुत पहले ही समाप्त हो गई है। दूसरा सामचार रुड़की का था कि वहां एक पाकिस्तानी मुस्लिम परिवार कई साल से किराए पर रह रहा है। ऐसा लगता है कि जो मुस्लिम पाकिस्तान से भारत आ रहे हैं वे वापस नहीं जाते हैं। देश की सुरक्षा के साथ इतनी लापरवाही क्यों की जा रही है? लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, मुम्बई आदि शहरों में जो घटनाएं हुई हैं, उनमें बंगलादेशी और पाकिस्तानी भी हो सकते हैं।
–ब्रजेश कुमार
गली सं. 5, आर्य समाज रोड, मोतीहारी, पूर्वी चम्पारण (बिहार)
कुछ मजहबी तत्व, थोड़ी-सी बात पर मार-काट के लिए सड़कों पर उतर आते हैं। पर ये लोग कभी इस बात का विरोध नहीं करते हैं कि जिन आतंकवादियों को फांसी की सजा हुई है, उन्हें फांसी पर लटकाया क्यों नहीं जाता है? सरकार की तुष्टीकरण नीति का मोहरा बने ये बंधु अपना वास्तविक विकास नहीं कर पा रहे हैं। सिर्फ वोट बैंक बन कर अपनी कट्टरता को सीने से चिपकाए हुए हैं।
–किशोर गुगनानी
मेन रोड, आमला-460551 (म.प्र.)
कांग्रेस की देशतोड़क नीतियों से देश में जिहादी तत्वों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। चाहे श्रीनगर, लखनऊ हो या मुम्बई हर जगह देश-विरोधी तत्व अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगे हैं। कायर कांग्रेसी सरकार जम्मू-कश्मीर के मामले पर ही नहीं, हर मामले पर घुटने टेक देती है। सबसे बड़ी समस्या यही है।
–हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला, कटिहार-854105(बिहार)
कांग्रेसी दंभ भरते हैं कि वे बड़े सेकुलर हैं और उनकी मंशा किसी भी मत-पंथ में हस्तक्षेप करने की नहीं है। तथ्य तो यह है कि कांग्रेस का हाथ मजहबी कट्टरवादियों के साथ है। यदि ऐसा नहीं होता तो कांग्रेसी सरकारें कट्टरवादियों के खिलाफ कार्रवाई करतीं।
–अमित कुमार त्रेहन
653, गली सं. 3, नेहरू कालोनी, मजीठा रोड, अमृतसर-1 (पंजाब)
भामाशाह की राह पर नाहर
श्री अरुण कुमार सिंह की रपट 'पाकिस्तानी हिन्दुओं की मदद को उठे हाथ' से पता चला कि दिल्ली के बिजवासन में रहने वाले श्री नाहर सिंह बेचारे पाकिस्तानी हिन्दुओं की हर तरह से मदद कर रहे हैं। उन्होंने अपने घर में ही उन लोगों को रखा है। ऐसे उदार लोग कम ही होते हैं। हिन्दू अपने हिन्दू समाज के लिए और उदार बनें, यह समय की मांग है।
–तेजशंकर भट्ट
डवकुडी, तहसील–भावली, जिला–उदयपुर-313203 (राजस्थान)
नाहर सिंह महान हैं। वे सही मायने में दानवीर भामाशाह के 'वंशज' हैं। दुर्भाग्य से आज महाराणा प्रताप नहीं हैं। शासक के नाम पर जो हैं, वे सत्ताभोगी हैं। उन्हें न तो देश की चिन्ता है, न ही धर्म की। हिन्दू-बहुल देश में हिन्दू-हित की बात करना साम्प्रदायिक हो जाता है।
–बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023
नाहर सिंह बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उनकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। आज के भौतिक युग में कुछ लोग पैसे के लिए अपने माता-पिता को भी घर से बाहर कर दे रहे हैं। पर नाहर सिंह ने पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए अपना पूरा घर किरायेदारों से खाली करा लिया। यह कोई छोटी बात नहीं है।
–महेन्द्र सेन
44, ओम शान्ति नगर, झांसी-3 (उ.प्र.)
नाहर सिंह के लिए मन में असीम श्रद्धा का भाव उत्पन्न हुआ। साथ ही कुछ उनके जैसा करने की प्रेरणा भी मिली। मेरे गृह नगर रुद्रपुर में अधिकांश हिन्दू आबादी सन् 1947 के बाद पाकिस्तान से आये विस्थापितों की है। मेरा विश्वास है कि यहां के लोग पाकिस्तान से आये अपने भाई-बहनों को न सिर्फ जमीन पर, बल्कि अपने हृदय में भी जगह देंगे। मैं और मेरे कुछ साथी इस राष्ट्रहित हिन्दू हित कार्य के लिए संगठित हैं।
–मानस जायसवाल
manas.jaiswal@gmail.com
सिन्दूर सौभाग्यवर्धक है
कुछ अंक पहले श्री विपिन किशोर सिन्हा ने सिन्दूर के प्रति विवाहित युवतियों के रूख को लेकर एक सार्थक प्रश्न उठाया था। इसमें यह बताया गया था कि कथित आधुनिक युवतियां सिन्दूर को छिपाने का प्रयास करती हैं। यह बिल्कुल सही है। कामकाजी महिलाएं इस सौभाग्य चिह्न को छोटा कर रही हैं। यह जानना कठिन हो जाता है कि देवी विवाहित हैं या कुमारी। सिन्दूर भारतीय स्त्री की एक प्रमुख पहचान है। इसे छुपाना नहीं, प्रगट ही रखना चाहिए। यह टीका उनकी रक्षा करता है।
–प्रो. परेश
1251/8 सी, चंडीगढ़
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