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देश एक बहुत ही खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। मुस्लिम समुदाय से जुड़े वैज्ञानिकों, डाक्टरों, पत्रकारों, सरकारी कर्मचारियों के बीच जिहादी आतंकवाद ने पैठ बना ली है। ऐसी संवेदनशील संस्थाओं में काम करने वाले लोग भी यदि आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की साजिश में शामिल पाए जाने लगें और देश की सेकुलर सरकार इनकी करतूतों को वोट बैंक के लिए दबाने लगे तो फिर देश का क्या होगा? 29 अगस्त से अब तक बंगलूरू, नांदेड़ और हैदराबाद में जिन 18 आतंकवादियों को पकड़ा गया है उनमें से एक एजाज अहमद मिर्जा (25) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में शोधार्थी है। नईम सिद्धिकी डाक्टर है। डा.जफर इकबाल शोलापुर में जल विभाग में तैनात है। मुतिउर रहमान एक अंग्रेजी दैनिक का पत्रकार है।
जून के अंतिम सप्ताह में सऊदी अरब से लाये गए आतंकवादी अबू जुंदाल से इन सबकी जानकारी मिली थी। तभी से इन सब पर खुफिया तंत्र की नजर थी। ये सभी सऊदी अरब में बैठे भारत के दुश्मनों के इशारे पर आतंकवादी घटनाओं की साजिश रच रहे थे। इनके निशाने पर भाजपा और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के नेता एवं प्रमुख संस्थान थे। यह भी खबर आई है कि ये आतंकवादी दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को उड़ाना चाहते थे। कर्नाटक में ये लोग बम विस्फोट को अंतिम रूप देने में लगे थे। जब सुरक्षा एजेंसियों को लगा कि अब ये आतंकी विस्फोट करके ही मानेंगे तब उन्हें गिरफ्तार किया गया।
भारत की सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत ही गंभीर मामला है। आई.बी. के निदेशक नेहचल संधू भी मानते हैं कि युवाओं में बढ़ती मतान्धता देश के लिए नया खतरा बन गई है। 6 सितम्बर को नई दिल्ली में पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन में श्री संधू ने यह भी कहा कि इंटरनेट-मोबाइल पर आतंकवादी गतिविधियां सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती हैं।
किंतु इस पर सभी चुप हैं। दिग्विजय सिंह, लालू यादव, रामविलास पासवान, मुलायम सिंह यादव, सलमान खुर्शीद, ममता बनर्जी, कुलदीप नैयर, सुभाष गताडे जैसे अपने को सेकुलर मानने वाले लोग इस मुद्दे पर न एक शब्द बोल रहे हैं और न ही एक शब्द लिख रहे हैं। वे टीवी चैनल भी इस गंभीर मुद्दे पर बहस नहीं कर रहे हैं, जो काल्पनिक और सरकारी 'हिन्दू आतंकवाद' पर घंटों गला फाड़ते हैं। वोट बैंक की देशघातक राजनीति आतंकवादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने देती है और इसका पूरा लाभ देश के ही वे कट्टरवादी उठा रहे हैं, जो भारत को दारुल इस्लाम बनाना चाहते हैं।
दहशतगर्द और मजहबी संगठन
बंगलूरु में जो आतंकी पकड़े गए हैं, उनके परिजन कह रहे हैं कि वे 'निर्दोष' हैं। ऐसी ही बात दिल्ली के पत्रकार सैयद अहमद काजमी के बारे में कही जा रही थी। 13 फरवरी को दिल्ली में इस्रायली दूतावास की गाड़ी में हुए 'स्टिक बम' विस्फोट के आरोप में काजमी को 7 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उसकी रिहाई के लिए दिल्ली के संसद मार्ग पर कई मुस्लिम संगठनों ने प्रदर्शन किया था। किन्तु सच तो सच होता है। काजमी की करतूतें सामने आ चुकी हैं और वह उस मामले में नामजद हो गया है। कहा जा रहा है कि हाल में गिरफ्तार किए गए आतंकियों के खिलाफ भी काफी सबूत हैं। फिर भी कई मजहबी संगठन उन आतंकियों को 'निर्दोष' मानकर उनकी रिहाई का दबाव सरकार पर डाल रहे हैं।
इन दहशतगर्दों को विभिन्न मजहबी संगठनों और मजहबी नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है। इसलिए ये संगठन और नेता कभी भी इन आतंकवादियों की निंदा तक नहीं करते हैं। उल्टे ये लोग कहते हैं कि 'निर्दोष' मुस्लिम युवकों को बेबुनियाद आरोपों के आधार पर सुरक्षा एजेंसियां पकड़ रही हैं। कथित निर्दोष युवाओं के मामले को तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा दिया है। 27 जुलाई को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार की है। याचिका में मांग की गई है कि 2002 के बाद हुईं सभी आतंकवादी घटनाओं की न्यायिक जांच की जाए। यह भी मांग की गई है कि इन मामलों में शामिल बताए गए सभी निर्दोष भारतीय मुस्लिमों को मुआवजा दिया जाए। यदि मजहबी संगठन आतंकवादी घटनाओं में शामिल मुस्लिम युवाओं को डांटते, डपटते, उनका सामाजिक बहिष्कार करते तो शायद उन्हें ऐसी याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। पर ये संगठन भी वोट बैंक की राजनीति करने वाले नेताओं के पीछे भागते रहे और अब उसका दुष्परिणाम सामने आने लगा है।
पाकिस्तान भड़काता है
अच्छे पढ़े-लिखे भारतीय मुस्लिम युवा भी आतंकवादी बनने लगे हैं। यह भारत की सुरक्षा के लिए कितना खतरा है? इस पर कैप्टन (से.नि.) भरत वर्मा कहते हैं 'पाकिस्तान काफी सालों से भारतीय मुस्लिमों को भड़काने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान का मानना है कि यदि वह एक प्रतिशत भारतीय मुस्लिमों को भड़का देता है तो इसका नतीजा भारत के लिए बहुत घातक होगा। एक तो पाकिस्तान भारतीय मुस्लिमों को भड़का रहा है, दूसरा यहां वोट बैंक राजनीति को बड़ी तवज्जो दी जा रही है। इसलिए जांच एजेंसियां या पुलिस आतंकवादी गतिविधियों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाती हैं। जब पानी सिर के ऊपर से बहने लगता है तब उनके खिलाफ कार्रवाई होती है। यह हमारी सुरक्षा के लिए बहुत ही घातक है। इतिहास देखा जाए तो दक्षिण भारत में काफी समय से जिहादी गुट कार्य कर रहे हैं। केरल इस्लामी उन्मादियों का केन्द्र बन चुका है। इन सबको पाकिस्तान की आईएसआई और सेना की पूरी मदद मिलती है। सउदी अरब से पेट्रो डालर उन्हें मुहैया कराया जाता है। अगर भारत में वोट बैंक की राजनीति बंद नहीं हुई और हमारा प्रजातंत्र कानून–व्यवस्था के अन्तर्गत नहीं चला तो हमारी आंतरिक सुरक्षा चरमरा जाएगी। फिर भारत को संभालना बहुत मुश्किल हो जाएगा। देश में सेकुलरवाद के नाम पर कट्टरवादियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान भारत को 'आसान लक्ष्य' मान चुका है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वह दिन–रात लगा है। भारत सरकार और कुछ राज्य सरकारें कट्टरवादियों को बढ़ावा दे रही हैं। कभी मजहब के नाम पर आरक्षण की बात होती है, तो कभी उन्हें विशेष सुविधाएं देने की। जब एक सेकुलर देश में ऐसी मजहब–परस्त सरकारी नीतियां बनेंगी तो आप मतांध लोगों को रोक नहीं पाएंगे। भारत इसलिए पंथनिरपेक्ष है कि यहां हिन्दू बहुसंख्यक हैं। पर यदि यहां मुस्लिम बहुसंख्यक होते तो भारत पंथनिरपेक्ष नहीं रहता और न ही यहां प्रजातंत्र चलता। यह कोई सैद्धांतिक बात नहीं है, व्यावहारिक है। क्योंकि पूरी दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जहां मुस्लिम 50 प्रतिशत से अधिक हों और वह पंथनिरपेक्ष हो। जिस देश में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं वह इस्लामिक राज्य के रूप में ही जाना जाता है। भारत से अलग हुआ पाकिस्तान तो इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। इसलिए भारत में किसी एक पंथ को बढ़ावा देने का काम नहीं होना चाहिए। सरकार सभी मत–पंथ के लोगों के साथ समान व्यवहार करे, इसी में भारत की भलाई है। हमारे यहां सरकारी सेवा में हर योग्य व्यक्ति आ सकता है, चाहे वह किसी भी जाति, मजहब या पंथ से हो। पर हालिया घटना ने यह सबक सिखाया है कि देश के संवेदनशील प्रतिष्ठानों में जिनको भी लिया जाए उनकी पूरी छानबीन होनी चाहिए। हो सकता है इस छानबीन में किसी को बुरा भी लगे, पर यह देश की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। इसकी अनदेखी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।'
बिग्रेडियर (से.नि.) बी.डी.मिश्रा भी मानते हैं कि उच्च शिक्षित मुस्लिम लड़कों का आतंकवाद की ओर झुकाव भारत के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने पाञ्चजन्य से यह भी कहा कि भारत के अंदर जो लोग लश्करे तोयबा, हूजी आदि आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई न करने का नतीजा है यह। उन्होंने सरकार से कहा कि वोट बैंक की राजनीति से बाहर निकलकर देश के दुश्मनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
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