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कार्यक्रम में उपस्थित गांववासी
संतानहीन दंपति द्वारा बच्चे को गोद लेने की बात तो हमने जरूर सुनी होगी, लेकिन किसी दंपति द्वारा पौधे को गोद लेने के बारे में हमने नहीं सुना होगा। परन्तु मध्य प्रदेश के खंडवा जिला स्थित डाभी गांव के एक हजार से अधिक लोगों ने ऐसा काम कर दिखाया है, जिससे देश के अन्य लोगों को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। गांव के लोगों ने पर्यावरण संरक्षण तथा क्षेत्र को हरा-भरा बनाए रखने के उद्देश्य से एक-एक पौधे को गोद लेकर जीवनभर उसकी देखभाल करने का संकल्प लिया है।
पौधारोपण से पूर्व पूजा–अर्चना करते हुए दंपति
डाभी गांव में गत दिनों 'तरुपुत्र रोपण महायज्ञ' नामक एक अनूठा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इसमें गांव के 1124 परिवारों ने एक-एक पौधे को पुत्र रूप में गोद लेकर उनका रोपण किया। पौधे लगाने के लिए खोदे गए गड्ढों के पास यज्ञकुंड का निर्माण किया गया था। यज्ञ में पौधों को गोद लेने वाले परिवारों के साथ-साथ गांव के अन्य लोगों ने भी भाग लिया। यज्ञ के पश्चात पौधों को गोद लेने वाले परिवारों ने अपने-अपने पौधे को गले लगाकर विधि-विधान पूर्वक रोपण किया तथा इसकी देखभाल का संकल्प लिया। जिस स्थान पर इन पौधों का रोपण किया गया है उस स्थान का नाम 'श्रीराम स्मृति उपवन' संत सिंगाजी पर्वत रखा गया है। कार्यक्रम का आयोजन गायत्री परिवार द्वारा 'वृक्ष गंगा अभियान' के अंतर्गत किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ निमाड़ी गीत 'पर्यावरण को पर्व आयो रे, चलो धरती का स्वर्ग बनाइला रे….' गीत से हुआ। यज्ञ के पूर्व पर्यावरण प्रेमियों को संबोधित करते हुए गायत्री परिवार के पदाधिकारी श्री केदार प्रसाद दुबे ने कहा कि वृक्ष साक्षात् विषपायी शिव हैं, जो 'कार्बन डाई ऑक्साइड' पीकर प्राणवायु 'ऑक्सीजन' प्रदान करते हैं। यह वृक्ष जीवनपर्यन्त करोड़ों की संपदा प्रकृति में लुटाकर अपने देवता होने का प्रमाण देते हैं।
श्री दुबे ने कहा कि मां गंगा का अवतरण साठ हजार सागर पुत्रों का उद्धार करने के लिए भगीरथ के प्रयास से संभव हुआ था, किन्तु इन तरुपुत्रों का योगदान उस भगीरथ से भी बढ़कर होगा। क्योंकि यह लोग जो प्रयास कर रहे हैं उससे 'विश्व-वसुधा' को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 600 करोड़ लोगों के उद्धार का केवल यही एकमात्र विकल्प है।
कार्यक्रम में उपस्थित पर्यावरणविद् श्री सुधीर भारद्वाज ने गायत्री परिवार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्य मध्य प्रदेश के बुरहानपुर, खंडवा, सनावद आदि जिलों के साथ-साथ गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड आदि प्रान्तों में भी हो रहे हैं।
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