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पश्चिम बंगाल/ बासुदेब पाल
महिला मुख्यमंत्री के राज में ही बढ़े महिलाओं पर अत्याचार
शर्मनाक प्रगति–बंगाल नम्बर 1
हाल ही में देश के गृह मंत्रालय से सम्बद्ध राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान विभाग (नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) द्वारा सन् 2011 में देशभर में हुई आपराधिक घटनाओं का लेखा-जोखा सार्वजनिक किया गया। इस रपट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों में महिला मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) द्वारा शासित पश्चिम बंगाल सबसे आगे है, वह भी तब जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास ही राज्य का गृह मंत्रालय भी है। सन् 2011 के पहले पांच माह में राज्य पर वाममोर्चा का शासन था। उसके बाद से तृणमूल कांग्रेस सत्ता संभाले हुए है। राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने अपनी रपट में कहा कि पिछले साल 22 राज्यों एवं 7 केन्द्र शासित प्रदेशों में महिलाओं से सम्बंधित कुल मिलाकर 2,28,650 आपराधिक मामले दर्ज किये गये। इनमें से 25,133 मामले केवल पश्चिम बंगाल में दर्ज हुए, जो कुल पंजीकृत घटनाओं का 12.7 प्रतिशत है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले ममता बनर्जी के राज में तेजी से बढ़े और प. बंगाल पहले नम्बर पर आ गया। गत वर्षों में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में प. बंगाल का देश में क्रमांक (एक नजर)
2006-छठा, 2007-तीसरा, 2008- तीसरा, 2009-दूसरा, 2010-दूसरा, 2011-पहला
साफ है कि ममता सरकार ने महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामले में वाममोर्चा सरकार की स्थिति को न केवल बरकरार रखा बल्कि चिंताजनक बनाया। राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो के अनुसार पिछले साल (2010) में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामले में पहला एवं दूसरा स्थान क्रमश: मध्य प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल का था, इस बार प. बंगाल आगे निकल गया।
चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों में नजदीकी लोग अधिक शामिल पाए गए। पिछले साल की कुल 35 प्रतिशत घटनाओं में पड़ोसी या नजदीकी लोगों के शामिल होने का आंकड़ा है। महिला आयोग द्वारा जारी रपट का भी चौकाने वाला तथ्य यह है कि पितृगृह (मायका) एवं पतिगृह (ससुराल) में महिलाओं का उत्पीड़न सर्वाधिक हुआ। इस दृष्टि से भी ममता का पश्चिम बंगाल सबसे आगे है। देश भर में दर्ज किये गये इसी श्रेणी के अपराधों की संख्या 97,496 है। इनमें से 19,772 घटनाओं के साथ पश्चिम बंगाल सबसे आगे है। दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है, जहां कुल घटनाओं की संख्या 13,376 है। दहेज के लिए उत्पीड़न एवं दहेज हत्या की घटनाएं भी इसमें शामिल हैं। हालांकि दहेज के लिए उत्पीड़न और हत्या जैसे मामलों में पश्चिम बंगाल पांचवें नम्बर पर है।
जम्मू –कश्मीर/ विशेष प्रतिनिध
अमरनाथ तीर्थयात्रियों की मृत्यु पर सर्वोच्च न्यायालय ने मांगा जवाब
श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की मौत की बढ़ती घटनाओं को सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेकर जिस प्रकार केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को नोटिस देकर कुछ सवाल उठाए उसका राज्य के सभी हिन्दू संगठनों ने स्वागत किया है। श्री अमरनाथ की पवित्र व दुर्गम यात्रा के मार्ग में श्रद्धालुओं की अकाल मृत्यु पर प्रशासन तथा राज्य सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही थी। इस वर्ष यात्रा के पहले ही तीन सप्ताह में 67 से अधिक तीर्थयात्री काल के गाल में समा गए। इनमें अधिक आयु वाले बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा भी शामिल हैं।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड पिछले कई वर्षों से सुविधा-सुरक्षा की आड़ लेकर अलगाववादियों के दबाव में यात्रा अवधि घटाता आ रहा है। पहले यह अवधि 2 माह से घटकर 55 दिन की गई। पिछले वर्ष इसे 45 दिन और इस बार 39 दिन कर दिया गया। यद्यपि तीर्थयात्रियों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। पिछले वर्ष 6 लाख 16 हजार श्रद्धालुओं ने श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा के दर्शन किए थे, इस वर्ष यह आंकड़ा 7 लाख की सीमा के भी पार जाने की संभावना है। लेकिन जिस मार्ग पर कठिनाई से दिन भर में चार-पांच हजार यात्री चल सकते हैं, वहां 15 से 20 हजार से अधिक यात्रियों को आने-जाने की अनुमति दी जा रही है। यात्रा के पहले तीन सप्ताह में ही 4 लाख, 50 हजार से अधिक श्रद्धालु यात्रा कर चुके हैं। किन्तु यात्रा मार्ग में कुप्रबंधन के चलते तीर्थयात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चारों तरफ लूट-खसोट मची हुई है। चाय का एक कप 40 से 50 रुपए में बेचा जा रहा है। इसी भाव में पीने के पानी की एक बोतल दी जा रही है। भोजन के अतिरिक्त पालकी तथा घोड़े वाले मनमाने पैसे बसूल रहे हैं, पर कोई रोकने-टोकने या पूछने वाला नही है। गुफा के भीतर और बाहर भी विचित्र-सी भीड़ होती है। प्रसाद आदि चढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रसाद दूर से ही फेंककर चढ़ाया जाता है। यह इतनी दुर्गम यात्रा कर बाबा बफर्ानी के दर्शन करने पहुंचे तीर्थयात्रियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है?
वस्तुत: श्री अमरनाथ की यह प्राचीन यात्रा करोड़ों लोगों की आस्था के साथ ही नहीं जुड़ी है बल्कि इसका एक राष्ट्रीय महत्व भी है। आतंकवादियों तथा अलगाववादियों द्वारा इसका विरोध इसीलिए ही किया जा रहा है। उनके इस विरोध में राज्यपाल की अध्यक्षता वाला श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड भी शामिल हो गया लगता है। इसीलिए एक तरफ वह यात्रा अवधि घटा रहा है दूसरी तरफ अव्यवस्था और कुप्रबंधन के द्वारा तीर्थयात्रियों को असमय मौत के मुंह में धकेल रहा है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप और निर्देश से आशा की जा सकती है कि यात्रा अब सुगम होगी। पिछले वर्ष 107 तीर्थयात्रियों की मृत्यु को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान एवं न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने इस वर्ष भी इसी प्रकार की घटनाओं पर संबंधित पक्षों को लताड़ा है। देखना यह है कि तीर्थयात्रियों की मौत पर केन्द्र व राज्य सरकार न्यायालय में क्या तर्क प्रस्तुत करती है।
दिल्ली/ प्रतिनिधि
बिजली-पानी के मुद्दे पर दिल्ली के आर.डब्ल्यू.ए. एकजुट
शीला ने दी छूट,
निजी कम्पनियों ने मचाई लूट
विजय गोयल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री
बिजली मूल्य में वृद्धि और पानी की समस्या के मुद्दे पर पूरी दिल्ली में एक घंटे के लिए बिजली बंद कर शीला सरकार का विरोध किया जाएगा। रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोशिएसन (आर.डब्ल्यू.ए.) की गत दिनों कान्स्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक में हुए इस फैसले की जानकारी देते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं बिजली आंदोलन के संयोजक श्री विजय गोयल ने कहा कि बिजली उपभोक्ता संघों एवं विभिन्न राजनीतिक दलों से चर्चा कर अगस्त माह में एक घंटे के लिए दिल्ली की बिजली बंद रखी जाएगी। श्री गोयल ने सभी आर.डब्ल्यू.ए. से भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस संबंध में 4 अगस्त को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित सम्मेलन में भाग लेने की अपील भी की।
लोक अभियान एवं चेतना संस्था द्वारा आयोजित आर.डब्ल्यू.ए. की इस बैठक में यह भी तय किया गया कि जिन बिजली कम्पनियों ने दिल्ली सरकार के साथ मिलीभगत कर बेतहाशा दाम बढ़ाकर लूट मचा रखी है, उनके खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर की जायेगी एवं संबंधित पंचाट में भी अपील की जाएगी। श्री गोयल ने इस अवसर पर कहा कि दिल्ली में 'पब्लिक-प्राईवेट पार्टनरशिप' नाकाम हो रही है। रिलायंस के साथ प्रारम्भ की गई दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो बंद हो गई है। दिल्ली सरकार ने बिजली कम्पनियों के साथ जो 50 प्रतिशत की भागीदारी की, उसको लोग संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। न ही बिजली पूरी आ रही है और न ही दाम कम हो रहे हैं। पानी के निजीकरण में आने वाली प्राईवेट कम्पनियां भी लूट मचा देंगी।
ईस्ट दिल्ली आर.डब्ल्यू.ए. फेडरेशन के महामंत्री बी.एस. वोहरा ने बैठक में कहा कि जब इन बिजली कम्पनियों द्वारा आयकर विभाग को दी गई 'बैलेंस सीट' में लाभ दिखाया गया है तो नुकसान दिखाकर दाम क्यों बढ़ाये जा रहे हैं? चेतना संस्था के अनिल सूद ने कहा कि 40 प्रतिशत पानी की बर्बादी के कारण ही पानी की कमी है। आर.डब्ल्यू.ए. (तिलक नगर) के प्रतिनिधि ओ.पी. तनेजा ने कहा जब बिजली का निजीकरण हुआ था तब कहा गया था कि निजी कम्पनियों द्वारा ढांचागत सुधार किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
आर.डब्ल्यू.ए. (गीता कालोनी) के सूरज प्रकाश ने कहा कि दिल्ली में जितने भी मीटर लगे हैं उनकी 'रीडिंग' कम्प्यूटर में 'रिमोट सिस्टम' से आती है, ये सिस्टम कम्पनी वालों ने जनता को लूटने के लिए ही लगाया है। आर.डब्ल्यू.ए. (खानपुर-ईस्ट पटेल नगर) के यशवंत सिंह चौहान ने कहा कि लोगों को पानी पीने के लिए नहीं मिलता लेकिन 40 प्रतिशत पीने का पानी बर्बाद हो रहा है। शक्तिनगर आर.डब्ल्यू.ए. के सौरभ गांधी ने कहा कि पानी की वितरण व्यवस्था को जानबूझकर खराब किया जा रहा है जिससे कि पानी का निजीकरण करने में सरकार को असानी हो।
केके घई (आरडब्ल्यूए, मधुबन) ने कहा कि कई बिजली के 'प्रोजेक्ट' इसलिए नहीं चल रहे हैं क्योंकि रिलायंस को उसे गैस देनी थी, जो नहीं दी गई। वसंत कुंज आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष ए.के. उपाध्याय ने कहा कि यदि एक साल में एक दिन भी उपभोक्ता किसी कार्यक्रम के कारण ज्यादा बिजली चला लेता है तो उसका 'लोड' हमेशा के लिए क्यों बढ़ा दिया जाता है?
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