पाठकीय/अंक-सन्दर्भ 20 नवम्बर,2011
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पाठकीय
अंक-सन्दर्भ *20 नवम्बर,2011
आवरण कथा के अन्तर्गत श्री अरुण कुमार सिंह की रपट “जो लोग पाकिस्तान गए उनका भारतीय सम्पत्ति पर कोई हक नहीं” सुखद लगी। भला हो उस समिति का जिसने शत्रु सम्पत्ति विधेयक को खारिज कर दिया। शत्रु सम्पत्ति का इस्तेमाल देशहित में होना चाहिए। जो लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए उनकी सम्पत्ति भारत की हो गई ऐसी सीधी बात हमारे नेता क्यों नहीं करते? क्यों यह सम्पत्ति उन्हें लौटाने की बात की जाती है?
-प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर
म.सं. 1-10-81, रोड नं. 8बी, द्वारकापुरम दिलसुखनगर, हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)
द जो लोग बंटवारे के समय पाकिस्तान गए उन्हें यहां की सम्पत्ति देने का कोई अर्थ ही नहीं। करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिनके पास खुद का घर नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान में जा बसे लोगों को उनकी सम्पत्ति लौटाकर बेघरों की संख्या बढ़ाने में कौन-सी बुद्धिमानी है? जिसे शत्रु सम्पत्ति कहा जा रहा है उस पर करोड़ों लोग आश्रित हैं। किसी ने घर बना लिया है, कोई खेती कर रहा है, तो कहीं सरकारी दफ्तर कार्यरत हैं।
-वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर
दिल्ली-110051
द शत्रु सम्पत्ति विधेयक-2011 यदि कानून बन जाता तो देश में हाहाकार मच सकता था। यह कानून बनते ही बड़ी संख्या में पाकिस्तानी भारत आते और अपने पुरखों की सम्पत्ति हासिल करने के लिए लालायित रहते। इससे देश का जनसांख्यिकी सन्तुलन तो बिगड़ता ही, साथ ही साथ करोड़ों लोगों को उजड़ना पड़ता। क्या पाकिस्तान उन हिन्दुओं की सम्पत्ति लौटा सकता है, जो विभाजन के समय भारत आए हैं? पाकिस्तान ऐसा कभी नहीं करेगा। फिर भारतीय नेता ऐसा क्यों कर रहे हैं?
-सरिता राठौर
हैदरपुर, अम्बेडकर नगर कालोनी, दिल्ली-110048
मानव देह में दानव
सम्पादकीय “आतंकियों के पैरोकारों को फटकार” की ये पंक्तियां बड़ी अच्छी लगीं कि “कोई भी आतंकवादियों के हाथों मारे गए निर्दोष लोगों के मानवाधिकारों की बात क्यों नहीं करता?” देवेन्द्र सिंह भुल्लर, अफजल, कसाब या अन्य किसी आतंकवादी के लिए मानवाधिकार की बात करना किसी को शोभा नहीं देता। यह बात तो समझनी पड़ेगी कि अधिकार तो मानव के लिए होता है। दानव का तो कोई अधिकार होता ही नहीं है। भुल्लर, अफजल, कसाब- ये सब मनावदेहधारी दानव हैं। इन पर दया बिल्कुल नहीं।
-कु. पुष्पलता
13-1-400, आर.के. पेट, मंगलहाट
हैदराबाद-500006 (आं.प्र.)
संवेदनशील बने मीडिया
चर्चा सत्र में प्रो. बी.के. कुठियाला ने ठीक कहा है कि हमें पूरी तरह से भारतीय मीडिया चाहिए। किन्तु यह मीडिया आज एक उद्योग बन चुका है, जिसमें आधे से अधिक निवेश प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विदेशी है। विदेशी संस्थाएं भारतीय जीवन मूल्यों को भयंकर हानि पहुंचाकर अपने समुदाय व राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ा रही हैं। इसलिए भारतीय मीडिया को देशभक्त, अनुशासित, संवेदनशील व जवाबदेह होना ही चाहिए। आजादी का मतलब राष्ट्रीय तथा जीवन मूल्यों की कीमत पर स्वछन्दता नहीं होता।
-सुरेन्द्र पाल वैद्य
पाल ब्रदर्स, कालेज रोड, मण्डी-175001 (हि.प्र.)
भाषाशास्त्री से “इतिहासकार”
मंथन में श्री देवेन्द्र स्वरूप ने अपने लेख “तो अब रामानुजम इतिहासकार हो गए” में भाषाशास्त्री रामानुजम को किस प्रकार इतिहासकार बनाया जा रहा है, उसकी पूरी जानकारी दी है। रामानुजम के विवादास्पद लेख को पुन: पढ़ाने की मांग करना निर्लज्जता है। ये निर्लज्ज भाग्य मनाएं कि इन्होंने सहिष्णु हिन्दू समाज को अपमानित किया है। यदि इन लोगों ने किसी अन्य मत-पंथ के लोगों का अपमान किया होता तो पता चलता कि ये कितने बड़े लेखक हैं। केरल में एक ईसाई प्राध्यापक का हाथ कट्टरवादियों ने काटा था। इस घटना को देखते हुए सेकुलर लेखकों को हिन्दू समाज की सहिष्णुता की प्रशंसा करनी चाहिए।
-बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023
कश्मीर की बदहाली
आतंकियों की नकेल कसने के लिए जरूरी है “सुरक्षा बल विशेषाधिकार” के अन्तर्गत श्री नरेन्द्र सहगल का यह आकलन बिल्कुल सही है कि “यदि सुरक्षा विशेषज्ञों और सेनाधिकारियों के परामर्श की अनदेखी करके मात्र वोट बैंक के मद्देनजर “आम्र्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट” को निरस्त कर दिया गया तो पाकिस्तान प्रेरित हिंसक जिहाद पहले से कहीं ज्यादा उग्र रूप में सामने आकर कश्मीर घाटी में सक्रिय अलगाववादियों के स्वप्न साकार कर देगा।” जब तक वोटों की लालची केन्द्र की यह सत्तालोलुप सरकार इस साधारण सी बात को समझने से इनकार करती रहेगी कि भारत-द्रोहियों की मिजाजपुर्सी नहीं, बल्कि उनके प्रति कठोर कार्रवाई ही कश्मीर की बदहाली को दूर करने का एकमात्र उपाय है, तब तक वहां हालात का सामान्य होना असंभव बना रहेगा।
-आर.सी गुप्ता
द्वितीय ए-201, नेहरू नगर
गाजियाबाद-201001 (उ.प्र.)
द जम्मू-कश्मीर सरकार जानबूझकर सुरक्षाबलों के विशेषाधिकारों में कटौती की बात छेड़ती है, ताकि उस पर अलगाववादियों की मेहरबानी बनी रहे। “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है”- सिर्फ यह कहने से बात नहीं बनेगी। धारा-370 तुरन्त हटानी पड़ेगी। इसी की आड़ में वहां भारत-विरोधी मांगें उठती हैं और “पाकिस्तान जिन्दाबाद” के नारे लगते हैं। धारा-370 के समाप्त होने से वहां की स्थिति पूरी तरह बदल सकती है।
-उदय कमल मिश्र
समीप गांधी विद्यालय, सीधी-486661 (म.प्र.)
हिन्दू संस्कृति के रक्षक
पंजाब केसरी लाला लाजपतराय के कृतित्व और व्यक्तित्व पर आधारित श्री शिवकुमार गोयल का लेख “भविष्यदृष्टा और प्रखर हिन्दू” पढ़ा। लाला जी ने आजादी की लड़ाई में अमूल्य योगदान दिया था। मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं की हत्या रोकने के लिए भी उन्होंने प्रखर आन्दोलन चलाया था। वे प्रखर राष्ट्रवादी और हिन्दू संस्कृति के रक्षक थे। देश और समाज के लिए उन्होंने अपने आपको झोंक रखा था। ऐसे मनीषी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
-देशबन्धु
आर.जेङ 127, सन्तोष पार्क, उत्तम नगर
नई दिल्ली-110059
यह हो रहा है सेकुलरवाद के नाम पर!
1. छात्रवृत्ति में हिन्दू विद्यार्थियों के साथ भेदभाव-
संप्रग सरकार ने गैर-हिन्दू अर्थात् अल्पसंख्यक वर्ग के स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिये 25 लाख छात्रवृत्तियों की घोषणा की है। किन्तु हिन्दू बच्चों को इस सुविधा से वंचित रखा गया है। इस प्रकार अति गरीब हिन्दुओं के बच्चे शुल्क न दे सकने के कारण स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते, क्योंकि हिन्दू होने के कारण उपरोक्त छात्रवृत्तियों का लाभ उन्हें नहीं दिया जाता।
2. अल्पसंख्यक विद्यार्थियों का शुल्क हिन्दू करदाताओं के कर से-
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) जैसे देश के 50 उच्च अध्ययन केन्द्रों में हिन्दू विद्यार्थियों को पूरा शुल्क भरना पड़ता है, परन्तु अल्पसंख्यक वर्ग (ईसाई, मुसलमान आदि) के विद्यार्थियों का पूरा शुल्क केन्द्र सरकार देती है।
3. मुस्लिम व ईसाई विद्यार्थियों को मुफ्त “कोचिंग”-
यदि कोई अल्पसंख्यक विद्यार्थी आई.आई.एम., आई.आई.टी. जैसे उच्च शिक्षण संस्थाओं की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए किसी “कोचिंग सेंटर” में जाता है तो उसका पूरा खर्च सरकार उठाती है, जबकि हिन्दू विद्यार्थी इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं। पुष्टि के लिए www.minorityaffairs.gov.in देख सकते हैं।
4. हिन्दू विद्यार्थी अध्ययन ऋण पर ज्यादा ब्याज चुकाते हैं-
हिन्दू विद्यार्थी अपने अध्ययन ऋण पर 12 प्रतिशत से 14 प्रतिशत ब्याज चुकाते हैं, जबकि अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थी को मात्र 3 प्रतिशत ब्याज दर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास वित्त निगम, जो कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन है, के द्वारा धन उपलब्ध कराया जाता है। पुष्टि के लिए www.mndfc.org देखें।
5. हिन्दू युवा उद्यमी भेदभाव के शिकार-
हिन्दू उद्यमियों को नया व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंकों से 15 से 18 प्रतिशत से अधिक ब्याज दर पर ऋण प्राप्त होता है, किन्तु गैर हिन्दुओं (अल्पसंख्यक) को ऋण राशि का 35 प्रतिशत तो 3 प्रतिशत की ब्याज दर से और शेष राशि पर भी हिन्दुओं से 2 प्रतिशत कम पर ऋण प्राप्त होता है।
-डा. कैलाश चन्द्र
डी-107, आनन्द निकेतन, नई दिल्ली-110021
गरीबों का अपमान
जिस तरह कांग्रेसनीत संप्रग सरकार आंकड़ों में गरीबी का खात्मा करने पर तुली है वह गरीबों के साथ क्रूर मजाक है। विश्व बैंक से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक के सर्वेक्षण यही बता रहे हैं कि भारत निर्धनता में जकड़ा एक ऐसा देश है, जहां लगभग आधी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है और इनमें भी लगभग 12 करोड़ निर्धन ऐसे हैं, जो बिल्कुल भुखमरी के कगार पर हैं। परन्तु सरकार के शाही ढंग में कोई कमी नहीं है। यह इस बात से सिद्ध है कि केन्द्र ने अपने मंत्रियों के विदेशी दौरों या यूं कहें सैर-सपाटे पर पिछले वर्ष 42 करोड़ रुपए खर्च किए, जो करदाता के खून-पसीने की कमाई पर खुलेआम डाका है।
-रमेश गुप्ता
गाजियाबाद (उ.प्र.)
वंशवाद पर है टिकी
वंशवाद पर है टिकी, जिस दल की बुनियाद
वे हमको दिलवा रहे, लोकतंत्र की याद।
लोकतंत्र की याद, लिखे भाषण को पढ़कर
गरियाते हैं जनता को मंचों पर चढ़कर।
कह “प्रशांत” करके भारत की ऐसी-तैसी
उसको ही बतलाते हैं वे “डेमोक्रेसी।।
-प्रशांत
पञ्चांग
वि.सं.2068 तिथि वार ई. सन् 2011
पौष कृष्ण 8 रवि 18 दिसम्बर, 2011
“” “” 9 सोम 19 “” “”
“” “” 10 मंगल 20 “” “”
“” “” 11 बुध 21 “” “”
“” “” 13 गुरु 22 “” “”
(द्वादशी तिथि का क्षय)
“” “” 14 शुक्र 23 “” “”
पौष अमावस्या शनि 24 “” “”
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