सच्चरित्र, व्यापक दृष्टि एवं नि:स्वार्थ बुद्धि वाले बनें-मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
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इंदौर
में विद्या भारती का 'वामन दृष्टि महाशिविर'
नि:स्वार्थ बुद्धि वाले बनें
-मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
'भौगोलिक दृष्टि से पाताल लोक भारत के ठीक नीचे माना जाता है, आज उस स्थान पर अमरीका और यूरोप स्थित हैं। वहां की ताकतों अर्थात वहां के अधर्म, अनाचार का आज भारत में बोलबाला है। इसे समाप्त करने के लिए सद्गुण और सदाचार की आवश्यकता है, जो केवल भारत के पास सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मौजूद है। हमें पाताली ताकतों को वहीं दबाना है। उन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने देना। आज वामन अवतार की महती प्रासंगिकता है। जिस प्रकार वामन ने अपने तीसरे डग में पाप और अनाचार के प्रतीक बाली को दबाकर पाताल पहुंचा दिया था, हम कार्यकर्ताओं को भी समाज में अनाचार और कुत्सित संस्कृति फैलाने का काम कर रहे पश्चिमी संस्कृति के लोगों को उन्हीं के स्थान पर दबाना है'। उक्त उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत दिनों इंदौर में 'वामन दृष्टि महाशिविर' का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए। विद्या भारती, मध्य भारत प्रांत के तत्वावधान में सम्पन्न हुए महाशिविर में सम्पूर्ण प्रांत से 11 हजार के लगभग कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
11 हजार कार्यकर्ता सम्मिलित हुए
'चाणक्य' नाटक ने मोहा मन
श्री भागवत ने आगे कहा कि लोग डराएंगे, लालच देंगे, परन्तु हमें बिना किसी की परवाह किए बगैर आगे बढ़ते जाना है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती शिक्षा को धर्म से जोड़ना चाहती है। वह हिन्दू, मुस्लिम व वैष्णव वाला धर्म नहीं है, अपितु मानव को सृष्टि से जोड़ने वाला है। वह धर्म प्रकृति के हित की बात करता है। पाप-पुण्य का विवेक सिखाता है। हमें चाहिए कि इन एकाधिक प्रतिकूल प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखते हुए अपने आप को वामन की तरह सच्चरित्र, व्यापक दृष्टि एवं नि:स्वार्थ बुद्धि वाला बनाएं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित विद्या भारती के संरक्षक श्री ब्रह्मदेव शर्मा 'भाईजी' ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि विद्या भारती ने देशभर में शिक्षा का उजियारा फैलाया है। पूरे देश में लाखों विद्यार्थी इन प्रकल्पों के माध्यम से शिक्षा ले रहे हैं। अध्यक्षता कर रहे विद्या भारती के अध्यक्ष श्री गोविन्द प्रसाद शर्मा ने कहा कि शिक्षा समाज का आधार होती है। दुर्भाग्य से हमारे देश में शिक्षा, संस्कृति के साथ नहीं जुड़ पा रही। कार्यक्रम में सरसंघचालक श्री भागवत ने रीवा जिले में पहले सरस्वती शिशु मंदिर की नींव रखने करने वाले श्री रोशन लाल सक्सेना को सम्मानित किया।
शिविर में दोपहर को विभिन्न विषयों पर सामूहिक चर्चा हुई। इसमें वनवासी व बस्ती क्षेत्रों में चलने वाले अनौपचारिक केन्द्रों और कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ाने जैसे विषय खास थे। शाम के समय कार्यकर्ताओं के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए। इसमें महानाट्य चाणक्य की प्रस्तुति आकर्षण का मुख्य केन्द्र रही। केशव विद्यापीठ के 250 छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए इस नाटक को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए। स्थिति यह हो गई थी कि लोग एक लाख वर्गफीट वाले पंडाल के बाहर भी खड़े हुए दिखाई दिए। चाणक्य की शिक्षा नीति को दर्शाने वाला यह नाटक अद्भुत और अविस्मरणीय रहा। चाणक्य का पात्र निभाने वाला छात्र जैसे ही मंच पर पहुंचा, पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। शिक्षा के उत्थान और पतन को इस नाटक द्वारा बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर छोटे पर्दे पर चाणक्य का किरदार निभाने वाले डा. चंद्र प्रकाश द्विवेदी विशेष रूप से उपस्थित थे। साथ ही अपनी ओजस्वी वाणी में भारतमाता की आरती गाने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य भी मौजूद थे।
शिविर के समापन समारोह को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के सह-सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने कहा कि समाज में भ्रष्टाचार और अपराधों के बढ़ने का कारण है, उपभोग प्रवृत्ति का बढ़ना। आज वैश्विक परिदृश्य में मार्क्सवादी, पूंजीवादी आदि व्यवस्थाएं असफल हो गई हैं। केवल एकात्म मानववाद ही वह विचार है, जिसे वैश्विक समाज को सीखने के लिए हमारे पास आना पड़ेगा। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हम पर भगवाकरण के जितने भी आरोप लग जाएं, पर शिक्षा सुधार के काम जारी रहेंगे। गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ-साथ इतिहास, धर्म, संस्कृति और संस्कारों को भी पाठ्यक्रमों में शामिल करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। प्रतिनिधि
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