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आगामी दिसंबर 2011 में पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य द्वार गुवाहाटी में “संस्कार भारती पूर्वोत्तर” द्वारा त्रिदिवसीय “बाल कला संगम” आयोजित होगा। संगम का उद्देश्य है “देश का भविष्य:बच्चों के हाथ-बच्चों के साथ।” संगम में सिक्किम सहित पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों से चित्रकला, नाटक, गायन, वादन, नृत्य (शास्त्रीय-उपशास्त्रीय) लोकगीत, लोकनृत्य, कविता पाठ हेतु 8 से 15 साल के बाल कलाकार कार्यशाला व प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित होकर आएंगे।उपरोक्त जानकारी असमिया फिल्म के जाने-माने अभिनेता श्री निपन गोस्वामी ने श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र में आयोजित संस्कार भारती पूर्वोत्तर दृष्टि 2010 के दो दिवसीय बैठक के समापन अवसर पर दी। श्री गोस्वामी संस्कार भारती असम प्रांत के अध्यक्ष भी हैं।संगम की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए श्री गोस्वामी ने बताया कि उस समय 1100 मीटर लंबे चित्र का निर्माण 1100 बाल चित्रकारों द्वारा होगा, जिनके प्रोत्साहन हेतु 111 स्थापित चित्रकार भी उनके साथ चित्र बनाएंगे। उस अवसर पर 1100 कलाकार समवेत स्वर में ध्येय गीत व वंदेमातरम् का गान करेंगे। संगम में 111 बाल कलाकार विभिन्न वाद्य बजाएंगे व लोकनृत्य भी प्रस्तुत किया जाएगा। ये सभी अपने-अपने पारंपरिक परिधानों में पधारेंगे। संगम में प्रतिदिन अपराह्न 3 से रात्रि 8 बजे तक आम जनता हेतु मंचीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। जबकि प्रात: 9 से 12 बजे तक कला विषयक आंतरिक सत्र होंगे जिनमें सिने व कला जगत के वे साधक सहभागी होंगे, जो बच्चों के लिए कार्य कर रहे हैं। बाल कला संगम के पूर्व सिक्किम सहित पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों के 86 जिलों में वर्ष भर कार्यक्रम आयोजित होंगे।बैठक में पूर्वोत्तर राज्यों सहित बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश व दिल्ली से कुल 61 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी प्रतिनिधियों का परंपरागत तरीके से जापियुक्त फूलेन गमछा द्वारा श्री निपन गोस्वामी ने स्वागत किया। प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले, क्षेत्र प्रचारक डा.कृष्ण गोपाल व अखिल भारतीय संस्कार भारती के संस्थापक सदस्य श्री यादवराव देशमुख ने किया। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि सांस्कृतिक संकट से जूझ रहे पूर्वोत्तर के लिए यह संगम मील का पत्थर साबित होगा। इससे पूर्वोत्तर की भौगोलिक सीमाओं की सुरक्षा को भी बल मिलेगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है। इसकी सफलता हेतु राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास होना चाहिए। डा.कृष्ण गोपाल ने अथर्ववेद के भूमि सूक्त को उद्धृत करते हुए “माता भूमि पुत्रोऽहम पृथिव्या:” की भावना और प्रतिबद्धता को बखूबी रेखांकित किया।10 से 12 सितम्बर 2010 तक चली बैठक में संगम की सफलता के लिए सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई। इसमें असम से सुश्री मीता सेन, डा.मीर नंदा, श्रीमती मर्मी मेधी, श्री अजय भट्टाचार्य, डा.आलेख्य बरुआ, श्री अरुप चक्रवर्ती, अरुणाचल से सुश्री तेची लता, मेघालय से हैंवर्मी सुंगो व अप्रलोंग डोलिंग तथा सिक्किम से रवि पोडवाल व रामचन्द ने भाग लिया। बैठक में कोलकाता से वरिष्ठ रंगकर्मी व संस्कार भारती दृष्टि 2010 के प्रभारी श्री विमल लाठ, पटना आट्र्स कालेज के पूर्व प्राचार्य श्री श्याम शर्मा, बाल रंगकर्म से जुड़ी श्रीमती नवनीत शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे। श्री रोशन व श्री हरिशंकर-पटना, श्री सुरेन्द्र जैन-गुवाहाटी तथा श्री वीरेन्द्र गोरखपुर ने आर्थिक संसाधनों हेतु कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु 11 दिन, 11 सप्ताह व 11 माह का समय देने वाले पूर्वोत्तर सहित देश के अन्य भागों से युवा कार्यकत्र्ता पर्याप्त संख्या में विस्तारक निकले हैं। इस दो दिवसीय बैठक का संचालन सर्वश्री धनंजय कुशरी, प्रसेनजीत राय चौधरी व सुखदेव बिस्वास ने किया। प्रात:कालीन योग सत्र श्री पराग अग्रवाल के मार्गदर्शन में चला। 11 सितम्बर की सांस्कृतिक संध्या में प्रशांत खाउंड ने बरगीत, श्रीमती जयदास बरुआ, मोनी बारदोली व कमल पाठक ने लोकगीत तथा हिमांशु बरुआ ने भजन प्रस्तुत किया। जिसमें तबले व खोल पर संगत दी देव कुमार दास व मीना राम मेधी ने।इस त्रिदिवसीय बैठक का समापन 12 सितम्बर को आयोजित विशेष सांस्कृतिक संध्या में हुआ। इस अवसर पर कलाकार श्री शांतनु बिस्वास ने राग पूरिया, कल्याण विलम्बित व द्रुत ख्याल पेशकर श्रोताओं को अपनी साधना का अहसास कराया। इनके साथ तबले पर श्री धृति गोविंद व हारमोनियम पर श्री सुशांत चौधरी ने संगत दी। दूसरी प्रस्तुति रही सरोद वादन की, जिसे श्री तरुण कोलिता ने राग मालकौस विलम्बित व द्रुत में प्रस्तुत करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनके साथ तबले पर श्री देवाशीष भट्टाचार्य ने संगत दी। इस सांस्कृतिक संध्या के प्रारंभ व अंत में संस्कार भारती गुवाहाटी के बाल कलाकारों ने सुश्री मीता सेन के संयोजन में संस्कार भारती का ध्येय गीत, सरस्वती वंदना तथा वंदेमातरम् प्रस्तुत किया। राजीव पाठक12
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