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डा. राजेन्द्र निशेशसियासी मकड़जालों में मत उलझो, दोस्त कुछ नहीं मिलेगा सिवाय मायूसी के! हर गणित का होता है अपना अपना दायरा जैसे पृथ्वी घूमती है अपनी ही धुरी पर, सूरज चलता है अपने ही हिसाब से, लेकिन आगजनी, हत्याओं और लूटपाट का होता नहीं कोई गणित न ही होता है सियासी गफलत का कोई मुहावरा। सच्चाई के कुतुबमीनार पर कोई नहीं चढ़ता, भूख की सूखी नदी में नहीं कोई उतरता। सदन की बैठकों की उठा-पटक में आंकड़ों का खेल रचता है अपना इतिहास और बन्द मुट्ठी में रेत की तरह फिसलता सब कुछ बिखर जाता है दम तोड़ती महत्वाकांक्षाओं के आंगन में। सियासी मकड़जालों में मत उलझो, दोस्त खाली हाथ लौटने का दर्द कौन नहीं जानता।17
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