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रियाणा प्रान्त के मेवात जिले में मांस की तस्करी बहुत तेज व आधुनिक तरीके से की जा रही है। पुलिस को चकमा देने के लिए तस्करी में वी.आई.पी. गाड़ियों का प्रयोग किया जा रहा है। 24 मई को पिनगवां पुलिस ने एक ऐसी सेन्ट्रो कार गुप्त सूचना के आधार पर पकड़ी है। इसमें लगभग 500 कि.ग्रा. गोमांस भरा हुआ था। कार का न. एच.आर. 26 ए.सी. 4131 है। कार पर मोटे अक्षरों में लिखा है “अखिल भारतीय शहीदाने सभा (मेवात) राष्ट्रीय महासचिव।” पुलिस ने गाड़ी को अपने कब्जे में ले तो लिया, पर उस पर सवार दोनों व्यक्ति भाग गए। हालांकि उनकी पहचान हो गई है। एक का नाम है वाबुद्दीन, पिता इब्रााहीम व उमरद्दीन पिता नूर मोहम्मद, निवासी जमालगढ़, खण्ड पुन्हाना (मेवात)।पुलिस का कहना है कि ये लोग लगातार गोमांस की तस्करी इस गाड़ी से कर रहे थे। सूचना मिलने पर पुलिस कार्रवाई भी करती है और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर चुप हो जाती है। इसी वर्ष जनवरी माह में शिकरावा गांव में 85 गायों की हत्या की गई, फरवरी में हसनपुर में बछड़े काटे गए। मई में पुन: शिकरावा गांव में 36 गायों की हत्या की गई। किन्तु इन मामलों में संलिप्त लोगों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। इससे साबित होता है कि गोहत्या व गो तस्करी में पुलिस भी अपराधियों से मिली हुई है। मिलीभगत की पुष्टि भी हुई है। शिकरावा गांव में 36 गायों का वध हुआ, किन्तु केवल 7 गायों के वध का मुकदमा दर्ज किया गया। जब मेवात के गोपालकों व गोभक्तों ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर दबाव बनाया तब मामले की जांच का आश्वासन दिया और पुलिस ने 7 गायों के स्थान पर 17 गायों के वध का मामला दर्ज किया।गो तस्करों के खिलाफ कार्रवाई न होने से उनका हौसला बढ़ता जा रहा है। तस्कर पुलिस से भी भिड़ रहे हैं। 27 मई की ही बात है। मेवात के बिलासपुर चौक पर जब पुलिस वालों ने एक ट्रक (एच.आर.55 डी-7314) को रुकने का इशारा किया तो चालक ने गति और तेज कर दी। पुलिस ने पीछा किया और अन्तत: उसे पकड़ लिया। उस ट्रक में ठूंस-ठूंस कर 9 गायों लादी गई थीं। एक गाय की तो मौत भी हो गई थी। इस मामले में सुलेमान नामक एक तस्कर पकड़ा गया और दो फरार हो गए। इससे पूर्व इन लोगों ने पुलिस की गाड़ी को टक्कर मारने की हरसंभव कोशिश की। मनीष सिंघल29
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