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सोनिया-मनमोहन के इशारे पर कामत सरकार बचाई गईगोवा में गत 30 जुलाई को अल्पमत वाली दिगम्बर कामत सरकार ने विधानसभा अध्यक्ष के एक विवादास्पद निर्णय के बाद (ध्वनिमत से) बहुमत हासिल कर लिया। किन्तु भाजपा के नेतृत्व में बने गोवा प्रजातांत्रिक गठबंधन ने आरोप लगाया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के दो विधायकों और श्रीमती विक्टोरिया फर्नांडीस यानी कुल तीन विधायकों को मतदान से रोककर असंवैधानिक कार्य किया है, कामत सरकार अब भी अल्पमत में है। गठबंधन के नेता एवं गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रीकर इन दिनों अपने सभी सहयोगी विधायकों के साथ कामत सरकार को हटाने की मांग को लेकर दिल्ली में जमे हुए हैं। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर चुनौती भी दी है। गोवा के पूरे घटनाक्रम पर अरुण कुमार सिंह ने उनसे बातचीत की, जिसके मुख्यांश यहां प्रस्तुत हैं। सं.कामत सरकार अल्पमत में होते हुए भी टिकी हुई है, जबकि भाजपा एवं उसके सहयोगी दल पणजी से लेकर दिल्ली तक विरोध कर रहे हैं। क्या कहेंगे आप?इस सरकार को बचाने में केन्द्र सरकार का हाथ है। साफ शब्दों में कहें तो सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इशारे पर वहां सब कुछ हो रहा है। सरकार बचाने के लिए कांग्रेसी नेता किस स्तर तक गिर सकते हैं, इसकी कल्पना आम लोगों को नहीं है।आपने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने तीन विधायकों को मतदान करने से रोककर असंवैधानिक कार्य किया है। इस निर्णय के खिलाफ आपने क्या आन्दोलन चलाया है?सबसे पहले तो विधानसभा में ही हम लोगों ने इसका विरोध किया। जब कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हमने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उम्मीद है 6 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय का कुछ फैसला आएगा। जब तक अल्पमत वाली कामत सरकार हटाई नहीं जाती है तब तक हमारा गठबंधन उसका विरोध करता रहेगा।विधानसभा अध्यक्ष प्रताप सिंह राणे के व्यवहार के बारे में क्या कहना चाहेंगे?वे विधानसभा अध्यक्ष के नाते नहीं, एक कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनको केन्द्र सरकार और राज्यपाल की शह प्राप्त है। ये सब मिलकर गोवा में लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं। यह सिर्फ गोवा का सवाल नहीं है। यदि विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल निष्पक्ष नहीं रहे तो किसी भी राज्य में लोकतंत्र सुरक्षित नहीं रहेगा। कांग्रेस गोवा की घटना कहीं भी दुहरा सकती है। उसकी मनमानी को रोकने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अन्य दलों को भी गंभीर विचार करना चाहिए।खबर है कि कामत सरकार को बचाने के लिए विधायकों को खरीदने का प्रयास किया जा रहा है।खबर बिल्कुल सही है। विधायकों से सौदेबाजी की जा रही है। मामले को कुछ समय तक लटकाने का प्रयास हो रहा है, ताकि उन्हें खरीदा जा सके और कामत सरकार बची रहे। अफसोस होता है कि एक अल्पमत सरकार से इस्तीफा मांगने की बजाय उसे बचाने के लिए दिल्ली से पणजी तक साजिशें रची जा रही हैं। साफ है कि इसमें जानबूझकर देर की जा रही है ताकि अंधेर की जा सके।आपके गठबंधन के नेताओं ने केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शिवराज पाटिल से भी भेंट की थी। उन्होंने क्या आश्वासन दिया?कुछ विशेष नहीं। उन्होंने कहा, इस संदर्भ में वे पूरा अध्ययन कर रहे हैं। अध्ययन के बाद ही कुछ करेंगे या कहेंगे।10
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