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नर सेवा ही नारायण सेवा-सूर्यनारायण राव, सदस्य, अ.भा. कार्यकारी मण्डल, रा.स्व.संघगत 29 जुलाई को व्यास पूर्णिमा के दिन चेन्नै के मयलापुर संस्कृत भारती सभागार में विवेकानंद केन्द्र पत्रिका के श्रीगुरुजी विशेषांक- श्रीगुरुजी : आध्यात्मिक राष्ट्रवाद के जीवंत स्वरूप- का लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। केन्द्र की पत्रिका के इस 70वें अंक का लोकार्पण रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री सूर्यनारायण राव ने किया। इस अवसर पर श्री राव ने 35 वर्ष पूर्व केन्द्र के प्रथम अंक के लोकार्पण कार्यक्रम की एक घटना का उल्लेख किया। उस कार्यक्रम में भी श्री राव उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि जब 1972 में विवेकानंद केन्द्र के श्री शेषाद्रि और श्री बासवानी श्रीगुरुजी के पास पत्रिका के प्रथम अंक के लिए शुभकामना संदेश लेने पहुंचे तो श्रीगुरुजी ने एक कहानी सुनाई। कथा कहती है कि एक देवदूत ने अबू का नाम “भगवान के प्रेमियों की सूची” में सबसे पहले स्थान पर लिखा था, क्योंकि अबू खुद को मानव-प्रेमी बताते थे। यानी गुरुजी ने मानवता से प्रेम की ओर संकेत किया था, मानवता की सेवा के जरिए ईश्वर की सेवा की ओर संकेत था। श्री राव ने बताया कि केन्द्र की पत्रिका का प्रथम अंक “नर सेवा-नारायण सेवा” पर केन्द्रित था। उन्होंने कहा कि केन्द्र की इस पत्रिका का गंभीर अध्ययन करना चाहिए क्योंकि इसमें श्रीगुरुजी साथ काम करने वालों और उनको निकट से जानने वालों के संस्मरण समाहित हैं। -विसंके., चेन्नै32
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