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गरीब बच्चों को शिक्षा और संस्कारनिर्धन महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षणअम्माविदर्भ का एक पीड़ित किसान परिवारअमृतानंदमयी आश्रमकेरल के सुप्रसिद्ध माता अमृतानन्दमयी आश्रम द्वारा “नर सेवा-नारायण सेवा” के मंत्र पर चलते हुए हाल ही में दो ऐसे प्रकल्प आरम्भ किए गए जो देशभर के 30 हजार से ज्यादा गरीब बच्चों की शिक्षा और परिस्थितियों के कारण असहाय बनीं महिलाओं के हित की चिन्ता करेंगे। ये प्रकल्प मुख्यत: उन किसान परिवारों को ध्यान में रखकर शुरू किए गए हैं जिन्होंने कर्ज दबाव में आत्महत्या का दंश झेला है या उनकी खेती बर्बाद हो गयी है। केरल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के ऐसे अनेक किसान परिवार हैं जिनका कोई आसरा नहीं बचा है।गरीब बच्चों के लिए पहले प्रकल्प के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिता रहे किसानों के बच्चों और धन के अभाव में पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हुए छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी। जिनके माता-पिता नहीं रहे हैं या किसी अन्य कारण से वे अपने माता-पिता के साथ नहीं हैं, ऐसे बच्चों को भी उस प्रकल्प के अन्तर्गत सहायता प्रदान की जाएगी। 10-15 वर्ष आयु के हर वर्ग-जाति के बच्चे इस प्रकल्प के अन्तर्गत सहायता पाएंगे। इन बच्चों को उनके पढ़ाई में प्रदर्शन को देखते हुए शिक्षा पूरी होने तक प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाएगी। शुरूआत में 60 प्रतिशत बच्चे केरल से होंगे और शेष 40 प्रतिशत अन्य राज्यों से। जो बच्चे पहले ही किसी तरह की सरकारी अथवा गैरसरकारी संस्थाओं से कोई अनुदान पा रहे हैं, उन्हें इस प्रकल्प के अन्तर्गत नहीं रखा जाएगा।आश्रम इस प्रकल्प के ही अन्तर्गत संस्कार देने के अनेक कार्यक्रम भी चेतना अभियान के नाम से शुरू करेगा। बच्चों के मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए उन्हें लेखों, कहानियों और अन्य विषयों पर प्रकाशित सामग्री वितरित की जाएगी। उच्च शिक्षा के लिए विशेष शिविर लगाए जाएंगे और पर्यावरण स्वच्छता के लिए चर्चाएं होंगी। माता अमृतानंदमयी का यह सपना था कि एक और पीढ़ी भावनात्मक कमजोरी, जैसे आत्महत्या की गुलाम नहीं बननी चाहिए। इसके बजाय उनमें आत्मविश्वास पैदा करने की जरूरत है। अम्मा ने यह भी कहा कि मठ का एक विशेषज्ञ दल किसानों में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के कारणों का अध्ययन करेगा।इस शिक्षा प्रकल्प के अलावा आश्रम ने 5 हजार किसान परिवारों की महिलाओं को कुटीर उद्योगों का प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई है। प्रशिक्षण पाने के बाद ये महिलाएं आवश्यक आर्थिक सहायता प्राप्त करके विभिन्न क्षेत्र में अपना व्यवसाय शुरू करेंगी। इसके लिए मठ सभी प्रकार के बैकों से चर्चा कर रहा है ताकि इन महिलाओं को ऋण मिल सके। इस स्वावलम्बन योजना के अन्तर्गत अम्मा के अनुयायियों ने अमृतश्री नाम से एक संगठन शुरू किया है, जो महिलाओं को खाद्य पदार्थ तथा दैनन्दिन प्रयोग की चीजें बनाने का प्रशिक्षण देगा और इनके विक्रय में सहयोग करेगा। इन दोनों प्रकल्पों के लिए छात्रों और महिलाओं का चयन पूरी जांच के बाद किया जाएगा। 27 सितम्बर, 2007 को अम्मा के 54वें जन्मदिवस पर चयनित छात्रों और महिलाओं की सूची घोषित की जाएगी। उसी दिन राहत राशि भी बांटी जाएगी। प्रदीप कुमार23
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