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भारतनिष्ठ बौद्धिक साधना के माध्यम से समस्त राष्ट्रभक्तों का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले धर्मपाल जी ने सन् 1960 से सन् 2000 के बीच अंग्रेजी में अनेक पुस्तकों की रचना की थी। अप्रैल, 2005 में उनकी 10 पुस्तकों का “धर्मपाल: समग्र लेखन” के नाम से कर्णावती के पुनरुत्थान ट्रस्ट ने गुजराती भाषा में अनुवाद प्रकाशित किया था। ये पुस्तकें हैं- “भारतीय चित्त, मानस एवं काल”, “18वीं शताब्दी में भारत में शिक्षा”, “पंचायती राज और भारतीय राज्यतंत्र”, “भारत में गोहत्या का अंग्रेजी मूल”, “भारत की बदनामी एवं दुरुपयोग”, “गांधी को समझें”, “भारत की परम्परा” एवं “भारत का पुनबोधि”। अब इन पुस्तकों का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हो रहा है। प्रकाशन तिथि वर्ष प्रतिपदा (20 से 27 मार्च, 2007) तक रखी गई है। प्रकाशनोपरान्त प्रति संच की कीमत 2,000 रु. है। जबकि प्रकाशन पूर्व एक संच की कीमत 1,200 रु. है। अग्रिम ग्राहक योजना 31 मार्च, 2007 तक लागू रहेगी। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी राशि का ड्राफ्ट “पुनरुत्थान ट्रस्ट” के नाम भेंजे। ड्राफ्ट स्टेट बैंक आफ इंडिया का हो तो ट्रस्ट को सुविधा होगी। विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क करें।कार्यालय प्रमुख, पुनरुत्थान ट्रस्ट4 वसुन्धरा सोसायटी, आनन्द पार्क, कांकरिया, अमदाबाद-380028दूरभाष: 079-2532265511
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