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काशी स्थित निवेदिता शिक्षा सदन के भाउराव देवरस सभागार में गत 25 फरवरी को “रज्जू भैय्या स्मृति सेवा न्यास” ने शिक्षा क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले 35 निर्धन मेधावी छात्र-छात्राओं को अभिनन्दन पत्र, अंग वस्त्र, 5,000 रुपए और रज्जू भैय्या का चित्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के पूर्व निदेशक प्रो. जगमोहन सिंह राजपूत ने कहा कि शिक्षा नीति का निर्धारण शिक्षाविदों द्वारा किया जाना चाहिए, न कि राजनेताओं द्वारा। उन्होंने कहा कि शिक्षा में जीवन मूल्यों के साथ आध्यात्मिकता का तत्व भी होना चाहिए। उन्होंने देश को जड़ों से जोड़ने के लिए नए इतिहास लेखन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जब तक हम भारतीय शिक्षा, संस्कृति, सभ्यता और इतिहास का गौरव बोध अपने विद्यार्थियों को नहीं कराएंगे तब तक हम भारत को वैभव सम्पन्न नहीं बना सकेंगे। इसका समर्थन सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णयों में किया है।कार्यक्रम में तीन श्रेष्ठ शिक्षकों-आचार्य पुरुषोत्तम त्रिपाठी (प्रख्यात संस्कृत विद्वान), प्रो. अजय नारायण गंगोपाध्याय (प्रख्यात चिकित्सक) एवं डा. शंकर शरण श्रीवास्तव (वरिष्ठ शिक्षाविद्) को भी सम्मानित किया गया। सभी को सारस्वत सम्मान पत्र एवं 11 हजार रुपए प्रदान किए गए। रज्जू भैय्या न्याय के राष्ट्रीय सचिव प्रो. गिरीश त्रिपाठी ने न्यास के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि रज्जू भैय्या साधक महापुरुष थे, प्रतिभा सम्पन्न थे इसलिए उनकी स्मृति में प्रतिभा का सम्मान उनका ही सम्मान है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता वीरेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा, “रज्जू भैय्या न्यास पू. रज्जू भैय्या के स्वप्नों के अनुरूप कार्य कर रहा है। निर्धन किन्तु मेधावी छात्र पैसे के अभाव में पढ़ाई न कर सकें, रज्जू भैय्या से यह कभी देखा नहीं गया। वे प्रयाग विश्वविद्यालय में ऐसे छात्रों की खोज-खोज कर मदद करते थे। और तो और ऐसे छात्रों को अपने घर में स्थान देते थे।” रज्जू भैय्या के परम मित्रों में एक, विख्यात विधिवेत्ता वीरेन्द्र सिंह चौधरी की यह टिप्पणी अनायास ही नहीं है। सम्मानित छात्र-छात्राओं में कोई मजदूरी, खेती-किसानी कर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं तो कई छात्र-छात्राओं के पिता-माता पान की दुकान चलाने, सब्जी बेचने से लेकर दूसरों के घरों में झाडू-पोंछा तक करते हैं। भाग्य की इस विडम्बना के बावजूद इन छात्र-छात्राओं का अध्ययन जारी है। 35 छात्र-छात्राओं में 1 को छोड़ सभी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होते रहे हैं।कार्यक्रम के प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं रज्जू भैय्या स्मृति सेवा न्यास के अध्यक्ष प्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डेय, डा. अमर सिंह, डा. कृष्ण गोपाल (क्षेत्र प्रचारक, असम), प्रो. जे.पी. लाल, डा. वीरेन्द्र जायसवाल, डा. राजसिंह, प्रो. बी.डी. अग्रवाल, श्री शिवनारायण, डा. प्रमोद सहित अनेक गण्यमान्य जन उपस्थित थे। वि.सं.के., काशी13
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