|
अपनी मां के साथ स्वागतिका (बाएं)हर बेटी की तरह उड़ीसा की रहने वाली स्वागतिका मिश्र को भी अपनी मां से बहुत प्रेम है किन्तु किन्हीं कारणों से वे अपनी मां को अपने दिल की बात कहने में हिचकिचाती हैं। कुछ दिनों पहले स्वागतिका का एक पत्र हमें प्राप्त हुआ जिसमें उसने अपना उपरोक्त मनोभाव प्रकट किया। साथ में एक अन्य पत्र भी भेजा जो मां को सम्बोधित था और इसे पाञ्चजन्य में प्रकाशित करने का प्रबल आग्रह भी उसने किया ताकि उसकी बात मां तक पहुंच जाए। स्वागतिका के इसी पत्र के मुख्य अंशों को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं, इस आशा के साथ कि अपनी मां के प्रति उसका प्रेम दिन दूना रात चौगुना बढ़ता रहे। साथ ही यह भी कि मां-बेटी के बीच यदि कोई संवादहीनता हो गई है तो वह शीघ्र ही दूर हो जाए। -सं.मां,सादर चरण स्पर्श।मैं अपने परिवार को, आपको बहुत चाहती हूं। परिवार में सभी ने मुझे बहुत प्यार दिया है, लेकिन सबसे ज्यादा प्यार अगर किसी ने दिया है तो मां, वह आप हैं। मां, आपने अपने जीवन में दु:ख ही दु:ख उठाए हैं। हमेशा कष्ट ही सहे हैं। सभी को प्यार दिया, पर आप स्वयं तकलीफें ही सहती रही हैं। जाने-अनजाने मैंने भी आपको बहुत पीड़ा पहुंचाई है। धैर्य और क्षमाभाव से आपने सब कुछ भुलाया है। मेरी गलतियों को भी आप क्षमा करें। मैं कैसे कहूं कि आप मेरे लिए सब कुछ हैं। मुझे जीवन के पग-पग पर आपका आशीर्वाद चाहिए मां।आपकी बेटीस्वागतिका मिश्रसुपुत्री-अनिल कुमार मिश्र (उड़ीसा)24
टिप्पणियाँ