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जल संसद और पूर्वाञ्चल युवा सम्मेलनगत 8 सितम्बर, 2006 को अ.भा. वनवासी कल्याण आश्रम की कार्यकारी मण्डल की बैठक आगरा में सम्पन्न हुई। कल्याण आश्रम के अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव की अध्यक्षता में दिनभर चली इस बैठक में सर्वप्रथम संसार से विदा हुए कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को श्रद्धाञ्जलि दी गई। कल्याण आश्रम से जुड़े रहे श्री दया प्रकाश (गया), डा. महेन्द्र भाटिया (आगरा), डा. अरुण मोहगांवकर (महाराष्ट्र), श्री सन्नील कुमार (सचिव- केरल, वनवासी कल्याण आश्रम), श्री ह्मदयानन्द लेंका (उड़ीसा), श्री भानुप्रताप शुक्ल (पूर्व संपादक, पाञ्चजन्य) व श्री अजय कुमार (बिहार) की माता जी, श्री बीरबल सिंह (छत्तीसगढ़) के पिताजी तथा कमला मंघनानी (नागपुर) की पूज्य माता जी का पुण्य स्मरण किया गया। सह महामंत्री श्री कृपा प्रसाद सिंह ने गत बैठक की कार्यवाही प्रस्तुत की। जशपुर व मुम्बई कार्यालय द्वारा विभिन्न प्रकल्पों हेतु प्रांतों को प्रेषित राशि को सभी सदस्यों ने स्वीकृति दी। जशपुर, मुम्बई व अन्य प्रकल्पों पर मनगाव में मई, 2006 की बैठक के पश्चात जो धन प्रेषित किया गया उसकी भी स्वीकृति कार्यकारी मण्डल के सदस्यों ने दी। बैठक में आगामी कार्यक्रमों की दृष्टि से जो निर्णय लिए गए वे इस प्रकार हैं-4,5, 6 नवम्बर, 2006 को कल्याण आश्रम के सभी प्रान्तीय कार्यालयों में कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण कोलकाता में सम्पन्न होगा।27, 28, 29 नवम्बर को इन्दौर में जल प्रबंधन योजना के तहत “जल संसद” का आयोजन होगा। देशभर के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जल प्रबंधन एक ज्वलंत समस्या बन गयी है। झाबुआ जिले में वनवासी कल्याण आश्रम यह प्रयोग 131 ग्रामों में कर रहा है। भारत के जल प्रबंधन कार्य से जुड़े बड़े-बड़े समाजसेवी इस संसद में भाग लेंगे।1,2, 3 दिसम्बर, 2006 को रांची में जनजातीय हित रक्षा आयाम से जुड़े कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण वर्ग सम्पन्न होगा। वनों में रह रहे समाज का वनों पर वास्तविक अधिकार है। भारत सरकार ने उनको वनों में जीवन यापन के लिये क्या अधिकार दिये हैं, इस विषय पर चिंतन होगा।24 से 28 दिसम्बर, 2006 को उत्तर-पूर्वी राज्यों के जनजातीय युवक-युवतियों का सम्मेलन “नार्थ ईस्ट ट्रायबल कल्चरल प्रोटेक्शन फोरम” के द्वारा आयोजित होगा। इसमें आश्रम से जुड़े युवक-युवतियां भी भाग लेंगे।25, 26, 27 दिसम्बर, 2006 को राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता, पूर्णिया, बिहार में सम्पन्न होगी। इस प्रतियोगिता में देशभर के जनजातीय तीरंदाज भाग लेंगे।मजदूरी के लिये बड़ी संख्या में झारखण्ड, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश व उत्तर पूर्व की महिलाएं बड़े नगरों में जाती हैं। उनकी समस्याओं पर विचार करने वाली कोई सशक्त एजेन्सी न होने के कारण जनजातीय महिलाओं का आर्थिक व शरीरिक शोषण होता है। कल्याण आश्रम ऐसी कई ज्वलंत समस्याओं पर काफी चिंतित है और उसने इस दृष्टि से कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। साथ ही कुपोषण के कारण मृत्यु, खासकर बच्चों में बढ़ती इस समस्या पर रणनीति बनाना व इसके लिए कार्य करना अति आवश्यक हो गया है।जनजातीय क्षेत्रों में घुसपैठ, आतंकवाद व नक्सली गतिविधियों के कारण जनजातीय समाज पर पड़ने वाले कुप्रभावों पर कार्यकारी मण्डल में चर्चा हुई व इसका मुकाबला करने हेतु रणनीति बनायी गई। आश्रम का मानना है कि घुसपैठ, आतंकवाद व नक्सली गतिविधियों के कारण जनजातीय क्षेत्रों में विकास कार्य अवरुद्ध हो जाता है।-प्रतिनिधि35
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