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डेविड हार्ट
आलोचनाओं से परे एक गणेश भक्त पादरी
प्रदीप कुमार
क्याकोई एंग्लिकन पादरी हिन्दू पूजा पद्धति में विश्वास कर सकता है? सारी दुनिया में यह बहस चल रही है। बहुत से लोगों, विशेषकर ईसाइयों का मानना है कि एक सच्चा ईसाई ईसा मसीह के अतिरिक्त किसी अन्य पर विश्वास नहीं कर सकता। लेकिन हिन्दू परम्परा में तो यही मान्यता है कि सम्प्रदाय-पंथ कोई भी हो, व्यक्ति को अपनी उपासना पद्धति चुनने की आजादी है। बहरहाल, इस विषय पर बहस जारी है।
लेकिन इन विवादों और बहस से दूर तिरुअनन्तपुरम को अपना घर बना चुके एक एंग्लिकन ईसाई पादरी डेविड हार्ट उसी भक्तिभाव के साथ गायत्री मंत्र गाते हैं जिस भक्तिभाव के साथ वह बाइबिल पढ़ते हैं। उन्हें बाइबिल के साथ वैदिक मंत्रों के उच्चारण पर कोई संकोच भी नहीं है। हाल ही में भगवान गणेश के प्रति अपनी श्रद्धा के कारण उन्होंने गणेश चतुर्थी पर अपने शुभेच्छुओं के साथ पूजा-अर्चना भी की।
51 वर्षीय रेवरेण्ड हार्ट विंचेस्टर विश्वविद्यालय, यू.के. में धर्म-दर्शन अध्ययन विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं। हाल ही में उन्होंने कैम्ब्रिाजशायर में इली के बिशप के तहत पादरी पद का नवीनीकरण भी कराया है।
हार्ट ने गत 1 सितम्बर को सागर में गणेश प्रतिमा प्रवाहित की थी। वे कहते हैं, “बचपन से ही मेरे मन में गणेश जी की आकृति के प्रति उत्सुकता थी। हाथी का सिर, चार हाथ। मन में धीरे-धीरे इस असाधारण देवता के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ती गई। उन दिनों इंग्लैण्ड में गणेश जी के मन्दिर नहीं थे। इसलिए उस समय गणेश जी को जानने की अपनी उत्सुकता का समाधान नहीं कर पाया था। लेकिन आज तो गणेश जी सारे विश्व में व्याप्त हैं। वे सिर्फ भारतीय देवता के रूप में ही नहीं हैं, उनकी छवि वैश्विक हो चुकी है। सब प्रकार की बाधाओं को दूर करने वाले गणेश भगवान की आध्यात्मिक छवि सभी के लिए विशेष महत्व रखती है।”
डेविड हार्ट के अनुसार, गणेश जी इंग्लैण्ड में किसी अन्य देवी-देवता की तुलना में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। बहुत से घरों में उनकी मूर्ति सुशोभित है। एक ईसाई द्वारा गणेश जी की पूजा को लेकर हो रही आलोचना पर हार्ट कहते हैं- आधुनिक विश्व में किसी एक मत का प्रभुत्व नहीं है। आज पांथिक विविधता का समय है। हार्ट लंदन स्थित “वल्र्ड कांग्रेस आफ फेथ्स” के अन्तरराष्ट्रीय सचिव भी हैं। वे कहते हैं-भगवान तो एक ही हैं और वह सभी जगह समान हैं, चाहे आप मंदिर में जाएं या चर्च या फिर मस्जिद में। उनकी एक पुस्तक इसी वर्ष के प्रारम्भ में तिरुअनन्तपुरम से प्रकाशित हुई है, नाम है- “ट्रेडिंग फेथ: ग्लोबल रिलीजन इन द एज आफ रैपिड चेन्ज”। इस पुस्तक में मत-पंथों और पूजा पद्धतियों को अपनी समझ के अनुसार उन्होंने प्रस्तुत किया है। हार्ट “द यूनीफिकेशन आफ वल्र्ड्स फेथ्स” नामक पुस्तक का लेखन वे शीघ्र ही पूर्ण करने वाले हैं।
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