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काबा शरीफ में भारतीय प्रतिनिधि27दिसम्बर को मक्का (सऊदी अरब) में काबा शरीफ की वार्षिक साफ-सफाई प्रक्रिया हुई। इस आयोजन का, जो कि हज की प्रक्रिया प्रारम्भ होने के 15 दिन पहले शुरू होता है, मक्का के सूबेदार (गवर्नर) ने नेतृत्व किया। शाही सऊदी परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य इसमें शामिल हुए तथा इसमें 50 इस्लामिक देशों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था। सऊदी अरब में भारत के राजदूत एम.ओ.एच. फारुख के साथ भारत के विदेश राज्यमंत्री ई. अहमद ने अधिकृत रूप से इस आयोजन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। भारत की “सेकुलर” सरकार ने एक ओर पूज्य शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी पर मौन साधा, दूसरी ओर काबा में अधिकृत प्रतिनिधि के नाते मुस्लिम लीग के नेता और केन्द्रीय मंत्री ई.अहमद को भेजकर अपना “सेकुलर” इहलोक सुधार लिया।तूफान के वक्त सोनिया का व्यवहारसुनामी तूफान से हुई बर्बादी का जायजा लेने तथा पीड़ितों को सांत्वना देने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह नहीं गए, सिर्फ श्रीमती सोनिया गर्इं। इसी से संप्रग सरकार की भीतरी विद्रूपताएं सामने आ गर्इं। जाना था प्रधानमंत्री को, लेकिन श्रीमती सोनिया गांधी को अपनी एकमेव छवि का प्रचार चाहिए था इसलिए वह अपने साथ प्रधानमंत्री नहीं बल्कि रक्षामंत्री प्रणव मुखर्जी को ले गर्इं। प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह का तूफान पीड़ित क्षेत्रों का दौरा घोषित भी हो गया था, परन्तु उन्हें अपना दौरा रद्द करना पड़ा ताकि मीडिया का “फोकस” सिर्फ और सिर्फ श्रीमती सोनिया गांधी पर रहे।जब गले तक आयी तो बोले कामरेड”उत्तर और दक्षिण बंगाल में कामतापुर मुक्ति संगठन और पीपुल्स वार ग्रुप अथवा माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर नामक आतंकवादी संगठनों के बाद भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा को सबसे गंभीर खतरा “पड़ोसी देश” को केन्द्र बनाकर अपनी विध्वसंक कारगुजारियों को अंजाम देने वाले कुख्यात पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. के कट्टरवादी और उग्रवादी तत्वों से है।” यह बात प. बंगाल के माक्र्सवादी मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने गत 24 दिसम्बर को राज्य विधानसभा में कही। पिछले दो दशक से भी अधिक समय से पूर्वोत्तर भारत में बंगलादेशी घुसपैठियों की बढ़ती जनसंख्या से देश की राष्ट्रवादी शक्तियां जनता और शासन का ध्यान आकर्षित करती रही हैं। किन्तु माक्र्सवादियों और कांग्रेसियों ने उन्हें अपना “थोक वोट बैंक” समझ बंगलादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने की कार्रवाई नहीं की। न्यायपालिका के निर्देशों की भी न केवल अवहेलना की अपितु न्यायपालिका द्वारा चिन्हित बंगलादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने का प्रयास राजग शासन-काल में हुआ तो माक्र्सवादियों ने उन्हें जबरन रोकने का प्रयास भी किया था।स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब माक्र्सवादी मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य यह कहने के लिए विवश हो उठे हैं कि “पड़ोसी देश से ये विध्वंसकारी तत्व प. बंगाल में अवैध घुसपैठ करके सीमावर्ती जिलों में बसते जा रहे हैं और वहां शान्ति-व्यवस्था तथा सुरक्षा की समस्याएं उत्पन्न कर रहे हैं।” मुख्यमंत्री भट्टाचार्य ने राज्य विधानसभा में यह रहस्योद्घाटन भी किया कि 1993 से अब तक पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. के गिरफ्तार किए गए 137 व्यक्तियों के विरुद्ध 27 मुकदमे दर्ज हुए हैं और इस सम्बंध में प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह तथा केन्द्रीय गृहमंत्री को सूचित कर दिया गया है। इस वक्तव्य से भारत की माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सहित बंगाल के वामपंथी संयुक्त मोर्चे में हड़कम्प मच गया है। यह समय ही बताएगा कि मुख्यमंत्री भट्टाचार्य का रहस्योद्घाटन कितना सार्थक है।बंगलादेश में जाली नोटों का व्यापारप्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, नेशनल लिबरेशन फ्रन्ट आफ त्रिपुरा, बंगलादेश में जाली नोट छापकर त्रिपुरा में भेज रहा है। यह संगठन हत्याएं, आगजनी व अपहरण में लिप्त है। इसके आतंकवादी अपहरण के बाद मोटी राशि न मिलने पर अपह्मत की हत्या कर देते हैं। गत सोमवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने कहा एन.एल.एफ.टी. (विश्वमोहन देववर्मा गुट) के पास जाली नोट छापने के आधुनिक यंत्र हैं। यह कार्य मुख्य रूप से बंगलादेश में ही हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गत 9 दिसम्बर को त्रिपुरा के विशालगढ़ थाने के हरिहरदोल अंचल में छापा मारकर अधिकाधिक भारतीय जाली नोट और विदेशी मुद्रा प्राप्त की गई है। जाली नोटों में अधिकतर 500 और 100 रुपए के नोट हैं।NEWS
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