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सुनील दत्तएक सज्जन राजनेताप्रतिनिधिचिर निद्रा में लीन स्व. सुनील दत्तसुनील दत्त नहीं रहे। फिल्मी दुनिया और राजनीतिक क्षेत्र में “दत्त साहब” के नाम से मशहूर श्री सुनील दत्त का गत 26 मई की सुबह मुम्बई में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे।राजनीति में आने से पूर्व दत्त साहब ने “50 और “60 के दशक में बालीवुड पर राज किया था। मदर इंडिया के बिरजू को भला कौन भुला सकता है। अल्हड़, उद्दण्ड और विद्रोही बिरजू का किरदार निभाने वाले सुनील दत्त फिल्म और राजनीति के क्षेत्र में एक अति सज्जन और नम्र व्यक्ति के नाते जाने जाते थे। “80 के दशक की शुरुआत में श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रशंसक रहे सुनील दत्त ने राजनीति में कदम रखा था। 1984 में उन्होंने लोकसभा के लिए उत्तर-मध्य मुम्बई से पहला चुनाव जीता था और तबसे लगातार पांच बार चुनाव जीते। किन्तु पहली बार उन्हें मनमोहन सिंह सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिली। खेल एवं युवा मंत्री के रूप में उनकी छोटी सी पारी सराहनीय रही।6 जून, 1929 तो झेलम जिले (अब पाकिस्तान में) के एक गांव में जन्मे दत्त साहब जब मात्र 5 साल के थे तब उनके पिता चल बसे। पिता के निधन के बाद उनका लालन-पालन उनके ताऊ जी ने किया। भारत विभाजन के समय उनका पूरा परिवार अम्बाला (हरियाणा) आ गया। कुछ दिन बाद वे मुम्बई चले गए। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। विद्यार्थी जीवन में उन्होंने “बेस्ट” बसों के कोलाबा डिपो में 100 रुपए महीने की नौकरी भी की थी। कठिन संघर्ष के बावजूद उन्होंने मुम्बई के हिन्द कालेज से स्नातक की उपाधि ली। इसके बाद वे रेडियो सीलोन के लिए काम करने लगे। इसी दौरान 1955 में फिल्म निर्माता रमेश सहगल ने उन्हें अपनी फिल्म “रेलवे प्लेटफार्म” में नायक की भूमिका निभाने का मौका दिया। अगले ही वर्ष उनकी दो फिल्में “एक ही रास्ता” और “मदर इंडिया” प्रदर्शित हुईं। इन दोनों फिल्मों ने सुनील दत्त को एक नायक के रूप में स्थापित कर दिया। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक अभिनेता, सांसद, मंत्री और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी। हालांकि जिन्दगी ने हर कदम पर उनकी परीक्षा ली चाहे कैंसर से पीड़ित अभिनेत्री पत्नी नरगिस की दु:खद मृत्यु हो या बेटे संजय दत्त की झंझावात भरी जिंदगी, हर पड़ाव को हिम्मत और धीरज से पार किया। 100 से भी अधिक फिल्मों में अभिनय करने वाले सुनील दत्त को अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए थे। उनके अंतिम संस्कार में जहां फिल्मी दुनिया की मशहूर हस्तियां मौजूद थीं, वहीं राजनीतिक क्षेत्र के उनके चाहने वाले भी थे।प्रतिनिधिNEWS
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